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शाम में फिर होगी यूपी कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक

नोटबंदी के बाद यूपी में कांग्रेस की चुनावी यात्रा पर ब्रेक लग गया है. यूपी विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कांग्रेस के यूपी कोर ग्रुप की शुक्रवार को बैठक बुलाई. इस बैठक में प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के अलावा प्रियंका गांधी भी शामिल हुईं.

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प्रियंका गांधी और राहुल गांधी
प्रियंका गांधी और राहुल गांधी

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नोटबंदी के बाद से यूपी में कांग्रेस की चुनावी यात्रा और प्रचार अभियान पर ब्रेक लग गया है. इस पर चर्चा करने के लिए दिल्ली में कांग्रेस कोर कमिटी की मीटिंग हो रही है. मीटिंग में राहुल गांधी के साथ प्रियंका गांधी वाड्रा भी मौजूद हैं. सुबह मीटिंग में यूपी में सुस्त पड़ी कांग्रेस के प्रचार अभियान पर चर्चा हुई. शाम 5 बजे कमिटी की दोबारा मीटिंग होगी. कोर कमिटी की मीटिंग में यूपी इंचार्ज गुलाम नबी आजाद, संजय सिंह, पीसीसी राज बब्बर, शीला दीक्षित और प्रमोद तिवारी भी मौजूद हैं.

यूपी के चुनावी रण में दंगल से पहले ही कांग्रेस की हवा निकलती दिख रही है. जानिए क्यों 27 साल के वनवास के बाद भी यूपी में कांग्रेस बेहाल लग रही है.

पीके और यूपी नेताओं के बीच ठनी
इलेक्शन स्ट्रैटजिस्ट प्रशांत किशोर (पीके) और यूपी के नेताओं के बीच रिश्ते तू-तू मैं-मैं की कगार पर आ पंहूचे हैं. पीके पर बिना सलाह-मशवरा करे अपनी मनमानी थोपने का आरोप लग रहा है. पीके डायरेक्ट प्रियंका वाड्रा और राहुल गांधी से बात करते हैं. ऐसे में यूपी के नेता उनसे खीजे हुए हैं. पीके और पार्टी में यूपी चुनाव के खर्च को लेकर भी तोल-मोल चल रहा है. जाहिर है कि बढ़ते मतभेद कांग्रेस प्रचार पर भारी हैं.

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यूपी में नहीं चलेगा प्रियंका ब्रह्मास्त्र
जब शीला दीक्षित यूपी की सीएम उम्मीदवार बनी, तो उन्होंने कहा कि प्रियंका वाड्रा के आने से यूपी में कांग्रेस को मजबूती मिलेगी. हालांकि, वो कब आएंगी ये फ़ैसला वो खुद करेंगी. लेकिन, बदलते सियासी समीकरण में कांग्रेस का प्रचार अभियान धीमा पड़ता नजर आ रहा है. ऐसे में कांग्रेस आलाकमान भी प्रियंका पर चुप्पी साधे है, जिसके चलते पीके कि प्लानिंग गड़बड़ा गई है. पीके चाहते थे कि प्रियंका ही यूपी का चेहरा बने मगर कांग्रेस पार्टी अपने तुरुप के इक्के को सोच-समझ के ही खेलना चाहती है.

महागठबंधन कि गांठ
चुनावी समर में गठबंधन कि चर्चा जोरों पर है, समझ लीजिए जिस पार्टी कि हवा बन गई, तो मोल भी बढ़ जाएंगे. सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह के दूत शिवपाल यादव ने लोहिया वादी, गांधी वादी और चरण सिंह वादी लोगों को साथ आने कि अपील की, पर कुछ ही दिन बाद समाजवादी पार्टी कि सिल्वर जुबली से कांग्रेस ने कन्नी काट ली. कांग्रेस भी मोल-भाव के मूड में है. इसलिए इतनी जल्दी अपने पत्ते नहीं खोलना चाहती लेकिन, पीके के लिए मुलायम सिंह और फिर अखिलेश यादव से मुलाकात की तस्वीरों ने यूपी में कार्यकर्ताओं को असमंजस में डाल दिया. नेताओं ने इसकी शिकायत कांग्रेस आलाकमान से भी की.

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'खून कि दलाली' का तीर उल्टा चल गया
यूपी में सत्ता वापसी की राह तलाश रही कांग्रेस का चुनाव प्रचार अधर में लटका है. राहुल कि धुआंधार किसान यात्रा के बाद मामला गड़बड़ा गया है. सबसे पहला झटका तो खुद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की जुबान से निकले बयान से लगा. किसान यात्रा के आखिरी दिन जंतर-मंतर पर मंच से 'खून कि दलाली' का तीर राहुल को उल्टा पड़ा.

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