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शिवपाल के बाद राजा भैया हो रहे हैं अखिलेश से अलग, खास है वजह

कभी समाजवादी पार्टी तो कभी बीजेपी के साथ निर्दलीय रहकर अपनी सियासत करने वाले राजा भैया अपनी नई पार्टी इसलिए लेकर आ रहे हैं क्योंकि कोई भी पार्टी फिलहाल उनके साथ खड़ी होने को तैयार नहीं है.

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राजा भैया (फोटो-इंडिया टुडे अर्काइव)
राजा भैया (फोटो-इंडिया टुडे अर्काइव)

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उत्तर प्रदेश में बाहुबल की राजनीति करने वाले रघुराज प्रताप सिंह यानी राजा भैया एक बार फिर सियासत में अपना दम दिखाने जा रहे हैं. इस बार कुंडा के राजा, राजा भैया अपनी नई पार्टी लेकर सामने आ रहे हैं.

राजा भैया के करीबी सूत्रों के मुताबिक 30 नवंबर को जब कुंडा का यह राजा सियासत के अपने 25 साल पूरे करेगा तो आगाज एक नई पार्टी के साथ होगा. चुनाव आयोग में नई पार्टी के लिए आवेदन दिया जा चुका है और नाम भी लगभग तय माना जा रहा है. राजा भैया की नई पार्टी का नाम "जनसत्ता पार्टी" हो सकता है. यही नाम राजा भैया ने चुनाव आयोग को सुझाया है.

सूत्रों के मुताबिक 30 नवंबर को लखनऊ के रमाबाई मैदान में एक बड़ी रैली में इसका ऐलान हो सकता है. कभी समाजवादी पार्टी तो कभी बीजेपी के साथ निर्दलीय रहकर अपनी सियासत करने वाले राजा भैया अपनी नई पार्टी इसलिए लेकर आ रहे हैं क्योंकि कोई भी पार्टी फिलहाल उनके साथ खड़ी होने को तैयार नहीं है.

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राजा भैया की सियासत

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से उनके रिश्ते राज्यसभा चुनाव के वक्त से ही बेहद खराब हो चुके हैं. जबकि मायावती उनकी, और वह मायावती के धुरंधर सियासी विरोधी हैं. बीजेपी के साथ सीधे जुड़ना भी राजा भैया की सियासत को सूट नहीं करता, ना ही बीजेपी उन्हें सीधे अपनी पार्टी में रखना चाहती है. ऐसे में 2019 के चुनाव के पहले राजा भैया अपना दमखम भी टटोलना चाहते हैं.

नई पार्टी का फार्मूला

सपा-बसपा गठबंधन होने की सूरत में करीब आधी सीटों पर ऐसे कैंडिडेट खाली होंगे जिन्हें किसी न किसी पार्टी की दरकार होगी. ढेरों मजबूत उम्मीदवार किसी न किसी पार्टी की तलाश में होंगे. ऐसे में राजा भैया की और शिवपाल यादव की पार्टी दोनों सबसे ज्यादा डिमांड में होंगी. इसी को देखते हुए राजा भैया ने भी अपनी तरफ से पार्टी का पासा फेंक दिया है. अब देखना यह है कि यह नुकसान किसके लिए साबित होता है क्योंकि फिलहाल राजा भैया बीजेपी के साथ माने जा रहे थे.

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