केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने छात्रों को अपने गुरुजन का हमेशा सम्मान करने की सीख देते हुये आज अपने छात्र जीवन का एक किस्सा सुनाया कि कैसे उनके मौलवी साहब उन्हें छड़ी से पीटते थे और जब वह मंत्री बन गए तो वही मौलवी साहब उनके लिए फूल लेकर खड़े थे.
अपने बचपन की याद करके गृह मंत्री भावुक हो गए और कहा कि मौलवी साहब का सिखाया हुआ वही अनुशासन आगे चलकर उन्हें जिंदगी में काफी काम आया.
लखनऊ विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में गृह मंत्री ने अपने स्कूली दिनों का एक किस्सा सुनाया. उन्होंने कहा कि जब वह प्राइमरी में थे उनके स्कूल में एक मौलवी साहब पीटी (शारीरिक शिक्षा ) के शिक्षक थे. कोई भी छात्र पीटी के दौरान अगर अनुशासनहीनता करता तो मौलवी साहब कभी थप्पड़ लगाते और कभी एक पतली सी छड़ी से टांगों पर पीटते थे. लोग मौलवी साहब की छड़ी खाकर सही पीटी करने लगते थे.
उन्होंने कहा, 'लंबे समय बाद जब मैं उत्तर प्रदेश का शिक्षा मंत्री बना और मैं अपने काफिले के साथ अपने घर जा रहा था तो वाराणसी के पास चंदौली के करीब सड़क किनारे मैंने 90 साल के बुजुर्ग को फूल लिए हुए खड़े देखा. मैं तुरंत पहचान गया कि यह तो मेरे वही मौलवी साहब है. मैंने अपनी गाड़ी रुकवाई और मौलवी साहब जो मेरे लिए फूलों की माला लेकर खड़े थे, उसे मैंने उनके गले में डाला और उनके पैर छू कर आर्शीवाद लिया. मौलवी साहब बेतहाशा रोने लगे और मैं भी भावुक हो गया.'
उन्होंने कहा, 'छात्रों आज आपको यह बात बताने का उद्देश्य सिर्फ इतना ही है कि आप चाहे जितने ऊंचे पद पर पहुंच जांए लेकिन अपने शिक्षको को कभी न भूलें. उनका सम्मान करना, उन्हें प्यार देना, क्योंकि उन्होंने अपना ज्ञान आपको दिया जिसकी बदौलत आज आप इस मुकाम पर पहुंचे हो.'