उत्तर प्रदेश में दो लोकसभा सीट पर आए उपचुनावों के नतीजों ने सूबे के साथ-साथ देश की राजनीति पर भी बड़ी छाप छोड़ी है. बीजेपी के विजयरथ को रोकने के लिए विपक्ष के सामने एकजुटता का नया फॉर्मूला सामने आया है. यूपी में मायावती और अखिलेश के गठबंधन के साथ ही राज्यसभा चुनावों का गणित भी तेजी से बदला है.
उपचुनावों में समाजवादी पार्टी और बसपा के गठबंधन का जादू चल गया. जिसका असर राज्यसभा चुनाव में दिख सकता है. अगर बसपा-सपा राज्यसभा चुनाव में भी एक-दूसरे का साथ देते हैं तो दोनों के उम्मीदवार जीत हासिल कर सकते हैं.
समीकरण
सपा - 47
बसपा - 19
कांग्रेस - 7
रालोद - 1
निषाद पार्टी - 1
निर्दलीय - 3
एक राज्यसभा सीट के लिए चाहिए 37 वोट
सपा - 37 विधायक
बसपा - 19 + 10 (सपा) + 7 (कांग्रेस) + 1 (रालोद) + 1 (निषाद पार्टी)
यूपी विधानसभा में सदस्यों की संख्या 403 है, जिनमें 402 विधायक 10 राज्यसभा सीटों के लिए वोट करेंगे. राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए एक सदस्य को 37 विधायकों का समर्थन चाहिए. इस आंकड़े के मुताबिक बीजेपी गठबंधन के खाते में 8 और 47 विधायकों वाली सपा के खाते में एक सीट तय है.
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10वीं और आखिरी सीट के लिए सपा के 10 अतिरिक्त वोट, बीएसपी के 19, कांग्रेस के 7 और 3 अन्य के साथ मिलकर एक उम्मीदवार को जिता सकते हैं. बीजेपी ने 9 उम्मीदवारों का ऐलान किया है, जिनमें से 8 की जीत पक्की नज़र आ रही है. विपक्ष की ओर से सपा ने जया बच्चन को उम्मीदवार बनाया है, उनकी भी जीत तय है.
राज्यसभा चुनाव के लिए एक तय फॉर्मूला है, खाली सीटों में एक जोड़ से विधानसभा की कुल सदस्य संख्या से भाग देना. निष्कर्ष में भी एक जोड़ने पर जो संख्या आती है. उतने ही वोट एक सदस्य को राज्यसभा चुनाव जीतने के जरूरी होता है.
अगर यूपी का उदाहरण लिया जाए तो 10 सीटों में 1 जोड़ा जाए तो योग हुआ 11. अब 403 को 11 से भाग देते हैं तो आता है 36.63. इसमें 1 जोड़ा जाए तो योग होता है 37.63. यानी यूपी राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए एक सदस्य को 38 विधायकों का समर्थन चाहिए. हालांकि चूंकि एक विधायक का निधन हो चुका है इसलिए यहां 37 विधायकों के समर्थन से ही राज्यसभा उम्मीदवार की जीत तय हो जाएगी.