राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले के मुख्य मुस्लिम पक्षकार हाजी महबूब ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्तर पर मध्यस्थता की जाए, तो राम मंदिर विवाद का समाधान अदालत के बाहर एक घंटे में निकल जाएगा. इस दौरान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई लगातार टलने पर भी निराशा जाहिर की. उन्होंने दावा किया कि उनके पास इस विवाद के हल का सटीक फॉर्मूला है. अयोध्या में राम मंदिर बनाने में भी कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन बात तभी बनेगी, जब इसके लिए प्रधानमंत्री के स्तर पर पहल होगी.
आजतक से खास बातचीत में हाजी महबूब ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट में रोज-रोज तारीख बढ़ने से निराशा बढ़ रही है. शीर्ष अदालत को इस बारे में गंभीरता सोचना चाहिए. यह विवाद हिंदू और मुसलमानों के बीच खाई बढ़ाता जा रहा है. ऐसे में इस मामले को जल्द से जल्द निपटाया जाना चाहिए.' उन्होंने कहा कि अगर सरकार चाहे, तो इस विवाद का समाधान अदालत के बाहर भी निकल सकता है. यदि इस पूरे मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्तर पर मध्यस्थता की जाती है और साधु-संतों व मामले के पक्षकारों को आमने-सामने बैठाया जाता है, तो इस विवाद का हल एक घंटे में ही निकल आएगा.
इस दौरान हाजी महबूब ने आरोप लगाया कि विश्व हिंदू परिषद और कई मुस्लिम संगठन नहीं चाहते हैं कि इस विवाद का हल निकले. राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि मामले के मुस्लिम पक्षकार हाजी महबूब ने कहा कि उनके पास राम मंदिर मसले के हल का फॉर्मूला है. वहां पर राम मंदिर बने, इसमें भी कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्तर पर पहल होनी चाहिए. इस मामले में पीएम मोदी के स्तर पर पहल होने पर ही बात बनेगी. उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान में हजारों मंदिर हैं, एक मंदिर और हो जाएगा, तो इसमें कोई बुराई नहीं हैं. इससे पहले भी हाजी महबूब ने इस मामले को पीएम मोदी के स्तर पर सुलझाने की बात कह चुके हैं. पिछले साल ही उन्होंने कहा था कि देश के लिए मुसलमान कुर्बानी देंगे.
आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले राम मंदिर निर्माण को लेकर सियासत तेज हो गई है. साधु-सतों समेत कई हिंदूवादी संगठन राम मंदिर निर्माण के लिए केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार पर लगातार दबाव बना रही है. हाल ही में इसको लेकर अयोध्या और प्रयागराज में धर्म संसद का आयोजन किया गया था. इसमें साधु-संतों और हिंदूवादी संगठनों ने राम मंदिर का निर्माण जल्द करने की मांग की थी. इसके अलावा सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) का मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) भी राम मंदिर निर्माण के लिए सरकार पर दबाव डाल रहा है.
फिलहाल इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है. शीर्ष अदालत ने इसी महीने के शुरुआत में राम मंदिर मामले की सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय पीठ का गठन किया है. इस मामले की सुनवाई 29 जनवरी को होनी थी, लेकिन जस्टिस शरद अरविंद बोबडे के मौजूद न रहने की वजह से इसको टाल दिया गया है. वहीं, इस मामले की सुनवाई टल जाने से साधु-संतों और हिंदूवादी संगठनों में नाराजगी बढ़ती जा रही है.