राम मंदिर निर्माण के लिए 5 अगस्त को भूमि पूजन होना है. इसके लिए तैयारियां जोरों पर हैं. काशी के विद्वानों को अनुष्ठान का दायित्व सौंपा गया है. भूमि पूजन के दौरान नींव में एक मन चांदी की रजत शिला स्थापित की जानी है. रजत शिला स्थापित किए जाने की खबर के बाद लोगों की दिलचस्पी इस बात में बढ़ गई है कि भूमि पूजन के दौरान और किस-किस सामग्री का उपयोग किया जाएगा?
इस विषय पर aajtak.in से विस्तार से बात की काशी विद्वत परिषद के मंत्री और बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म संकाय ज्योतिष विभाग के प्रोफेसर पंडित रामनारायण द्विवेदी ने. प्रोफेसर द्विवेदी ने बताया कि नींव में पंच रत्न- मूंगा, पन्ना, नीलम, माणिक्य और पुखराज के साथ ही बाबा विश्वनाथ को चढ़ाए हुए पांच रजत बेलपत्र, पांच चांदी के सिक्के डाले जाएंगे.
अयोध्या को सील करने की तैयारी, सड़क के साथ जलमार्ग पर भी कड़ी निगरानी
पंच रत्न का भी होगा उपयोग
डॉक्टर द्विवेदी ने बताया कि चांदी के ये पांच सिक्के नंदा, जया, भद्रा, रिक्ता और पूर्णा के प्रतीक होंगे. उन्होंने कहा कि ताम्र कलश में पांच नदियों का पवित्र जल भरा जाएगा, जिसका उपयोग अनुष्ठान के लिए किया जाएगा. काशी विद्वत परिषद के मंत्री ने बताया कि पाताल लोक के मालिक और पृथ्वी को अपने फन पर धारण करने वाले शेषनाग की प्रतिकृति भी नींव में डाली जाएगी.
राममय हुई अयोध्या, भूमि पूजन से पहले कैसी चल रही हैं तैयारियां, देखें तस्वीरें
काशी विद्वत परिषद के मंत्री प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी (फाइल फोटो)
बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म संकाय ज्योतिष विभाग के प्रोफेसर द्विवेदी ने कहा कि शेष नाग की प्रतिकृति सोने की होगी. साथ ही चांदी के कच्छप की प्रतिकृति के साथ ही खर्व औषधि का भी इस्तेमाल भूमि पूजन में किया जाएगा. उन्होंने बताया कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से भूमि पूजन का अनुष्ठान संपन्न कराने के लिए उन्हें औपचारिक निमंत्रण मिल चुका है.
कैसे बदल रही अयोध्या? सैटेलाइट तस्वीरों और ग्राउंड रिपोर्ट से जानिए हकीकत
काशी विद्वत परिषद के मंत्री ने बताया कि उनके साथ दो अन्य विद्वान भी राम मंदिर का भूमि पूजन कराने अयोध्या जाएंगे. उन्होंने बताया कि वे लोग 3 अगस्त को अयोध्या पहुंचेंगे. गौरतलब है कि 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में भूमि पूजन होना है. इसके लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटा है, वहीं देश के अलग-अलग स्थानों से नदियों का पवित्र जल और मिट्टी लाने की प्रक्रिया भी जारी है.