सुप्रीम कोर्ट में बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि मामले की सुनवाई टालने की मांग पर घमासान जारी है. मामले में विवाद बढ़ने के बाद पहले कांग्रेस पार्टी और फिर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कपिल सिब्बल से किनारा काट लिया. सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मामले को लेकर कपिल सिब्बल को जमकर लताड़ भी लगाई. हालांकि थोड़ी देर में ही सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इससे यूटर्न ले लिया.
पहले सुन्नी वक्फ बोर्ड के हाजी महबूब ने कहा कि कपिल सिब्बल हमारे वकील हैं, लेकिन वो एक राजनीतिक पार्टी से जुड़े हुए हैं. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर की सुनवाई टालने की सिब्बल की मांग गलत थी. हम मामले में जल्द से जल्द समाधान चाहते हैं. हालांकि थोड़ी ही देर में वो अपने बयान से पलट गए. उन्होंने कहा, ''अगर बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के कंवेनर जफरयाब जिलानी कपिल सिब्बल के बयान को सही ठहराते हैं, तो मैं उनसे सहमत हूं.'' फिलहाल उनके इस बदले रुख की वजह का पता नहीं चल पाया है.
सिब्बल के बचाव में उतरे जिलानी
मामले में जफरयाब जिलानी का कहना है कि यह सब मीडिया का बनाया हुआ है. मीडिया बीजेपी की ही बात करती है. हम कपिल सिब्बल की बातों से सहमत हैं. कपिल सिब्बल ने हमसे बात करने के बाद ये मांग की और यह सच भी है कि मामले का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश हो रही है. प्रधानमंत्री गुजरात मे कपिल सिब्बल के बयान की बात कर रहे हैं.
क्या मोदी सिर्फ हिंदुओं के ही पीएम हैं: जिलानी
जिलानी ने कहा कि क्या इस मुद्दे पर पीएम का बात करना शोभा देता है? उन्होंने कहा कि इससे हर हाल में बीजेपी को ही फायदा हो रहा है. हाजी महमूद की हमसे बात नहीं हुई है. उनसे बात होगी, तो वो भी हमसे सहमत होगें. हम ये लडाई इतने सालों से लड़ रहे हैं. ऐसे कैसे इस पर दावा छोड़ देंगे. साल 1950 से मस्जिद पर कब्ज़ा है. पीएम मोदी को इसकी फिक्र नहीं है. क्या मोदी सिर्फ हिंदुओं के पीएम हैं? उनको क्या मुसलमानों की फिक्र नहीं है?
वहीं, जब हाजी महबूब ने कपिल सिब्बल के बयान से असहमति जताई, तो फौरन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी तारीफ की और इसे साहसिक बयान बताया. साथ ही मामले को लेकर बीजेपी और हमलावर हो गई. जहां एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मसले पर अपना रुख साफ करने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को बधाई दी, तो वहीं बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस पर फिर से करारा हमला बोला.
Yes Kapil Sibal is our lawyer but he is also related to a political party, his statement in SC yesterday was wrong, we want a solution to the issue at the earliest: Haji Mehboob,Sunni Waqf Board #Ayodhya pic.twitter.com/CMN8MXr5ta
— ANI (@ANI) December 6, 2017
बुधवार को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि अब सुन्नी वक्फ बोर्ड ने भी कह दिया है कि सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मामले की सुनवाई टालने के कपिल सिब्बल के बयान से वह सहमत नहीं है.
शाह ने ट्वीट किया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड के बयान से साफ हो गया है कि कपिल सिब्बल ने शीर्ष अदालत में सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील के तौर पर नहीं, बल्कि कांग्रेस नेता के रूप में राम मंदिर मामले की सुनवाई टालने की मांग की थी. सिब्बल ने कांग्रेस हाईकमान के निर्देश पर ऐसी मांग की थी. बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि राम मंदिर पर कांग्रेस का दिखावा बेहद शर्मनाक है.
Now that Sunni Waqf Board has said that they don’t agree with what Kapil Sibal said in court, it is certain that Mr. Sibal spoke in his capacity as a Congress leader, with the blessings of their High Command. Shameful posturing by Congress on Ram Temple issue!
— Amit Shah (@AmitShah) December 6, 2017
इससे पहले मंगलवार को भी अमित शाह ने मामले को लेकर कांग्रेस पर जोरदार हमला बोला था. मामले को लेकर बीजेपी अध्यक्ष शाह ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से सीधा सवाल किया था कि राम मंदिर को लेकर आपकी पार्टी और आपका क्या स्टैंड है? उन्होंने कहा था कि बीजेपी चाहती है कि जल्द से इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो और फैसला आए, जिससे अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बन सके, जो कि देश की आस्था से जुड़ा हुआ है.
मंगलवार को बीजेपी अध्यक्ष ने कहा था कि आखिरकार राम मंदिर मामले की सुनवाई रोकने से क्या हासिल होने वाला है? राम मंदिर केस की सुनवाई को लेकर कांग्रेस पार्टी को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए. उन्होंने कहा था कि एक तरफ राहुल गांधी गुजरात में मंदिर जा रहे हैं, तो दूसरी तरफ राम जन्मभूमि केस पर सुनवाई को टालने के लिए कपिल सिब्बल का उपयोग किया जा रहा है. कांग्रेस पार्टी को अपना रूख स्पष्ट करना चाहिए.
आखिर सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल ने क्या कहा था?
सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से पक्ष रखते हुए कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि सुनवाई को जुलाई 2019 तक टाल दिया जाए, क्योंकि यह मामला राजनीतिक हो चुका है. कपिल सिब्बल और राजीव धवन ने कोर्ट से कहा था कि इस मामले की जल्द सुनवाई सुब्रमण्यम स्वामी की अपील के बाद शुरू हुई, जो कि इस मामले में कोई पार्टी भी नहीं हैं.
सिब्बल ने कहा था कि कोर्ट को देश में गलत संदेश नहीं भेजना चाहिए, बल्कि एक बड़ी बेंच के साथ मामले की सुनवाई करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि राम मंदिर का निर्माण बीजेपी के 2014 के घोषणापत्र में शामिल है, कोर्ट को बीजेपी के जाल में नहीं फंसना चाहिए.
कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा था कि देश का माहौल अभी ऐसा नहीं है कि इस मामले की सुनवाई सही तरीके से हो सके. क्यों इस मसले को लेकर हड़बड़ी में सुनवाई हो रही है. सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से कपिल सिब्बल ने मांग की है कि मामले की सुनवाई 5 या 7 जजों बेंच को साल 2019 के आम चुनाव के बाद करनी चाहिए. क्योंकि मामला राजनीतिक हो चुका है.
कपिल सिब्बल और राजीव धवन ने इसको लेकर आपत्ति जताते हुए सुनवाई का बहिष्कार करने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि अयोध्या में हुई खुदाई पर एएसआई की पूरी रिपोर्ट भी अभी रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं बनी है. रिकॉर्ड में दस्तावेज अधूरे हैं. सभी पक्षों की तरफ से अनुवाद करवाए गए कुल 19,950 पन्नों के दस्तावेज कोर्ट में औपचारिक तरीके से जमा होने चाहिए.
उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के सामने वह सारे दस्तावेज नहीं लाए गए हैं, जो इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के सामने रखे गए थे.