उत्तर प्रदेश की आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं, जहां 23 जून को वोट डाले जाएंगे. ऐसे में सपा और बीजेपी दोनों ने अपनी-अपनी ताकत झोंक रखी है. रामपुर सीट को सपा ने आजम खान परिवार के भरोसे छोड़ रखा है जबकि आजमगढ़ सीट जीतने के लिए पार्टी ने अपनी पूरी फौज को मैदान में उतार दिया है. सहयोगी दलों की भी मदद ली जा रही है. ऐसे में सवाल उठता है कि सपा रामपुर से ज्यादा आजमगढ़ को लेकर क्यों चिंतित नजर आ रही है?
बता दें कि 2022 के चुनाव में विधायक बनने के बाद अखिलेश यादव ने आजमगढ़ सीट और आजम खान ने रामपुर लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था. जिसके बाद यहां उपचुनाव हो रहे हैं. ये दोनों ही लोकसभा सीटें सपा की हैं, जिसके चलते पार्टी की साख दांव पर लगी है.
आजमगढ़ सीट पर सपा से धर्मेंद्र यादव मैदान में हैं जबकि बीजेपी से दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ फिर से किस्मत आजमा रहे हैं. बसपा ने शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को उतारकर लड़ाई को त्रिकोणीय और रोचक बना दिया है. वहीं, रामपुर सीट पर बीजेपी से घनश्याम सिंह लोधी किस्मत आजमा रहे हैं तो सपा से आसिम राजा चुनावी मैदान में आमने-सामने हैं.
आजमगढ़ में मुलायम परिवार की साख दांव पर
आजमगढ़ और रामपुर का चुनाव सपा के लिए ज्यादा अहम है, क्योंकि दोनों ही सीटें सपा की रही हैं. आजमगढ़ का इलाका सपा का गढ़ माना जाता है और अखिलेश यादव के इस्तीफे के बाद लोकसभा चुनाव हो रहा है. इस तरह से आजमगढ़ में अखिलेश और रामपुर में आजम खान की परीक्षा होनी है. रामपुर सीट से ज्यादा सपा का फोकस आजमगढ़ सीट पर है, क्योंकि यहां से मुलायम परिवार की साख दांव पर है. इसीलिए सपा ने आजमगढ़ पर अपने नेताओं की पूरी फौज को उतार रखा है.
आजमगढ़ में सपा की चिंता इसलिए?
दरअसल, आजमगढ़ सीट पर बीजेपी ने निरहुआ के रूप में यादव दांव खेला तो बसपा ने शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली के रूप में मुस्लिम कार्ड खेलकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है. सपा के सामने अपने यादव और मुस्लिम कोर वोटबैंक को संभालने की चिंता है. सपा के यादव नेताओं को बीजेपी अपने साथ मिलाकर धर्मेंद्र यादव के खिलाफ जबरदस्त चक्रव्यूह रच रही है, जिसको देखते हुए सपा आजमगढ़ सीट पर किसी तरह का कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती है. इसीलिए सपा अपने नेताओं के साथ-साथ सहयोगी दलों की मदद लेने से गुरेज नहीं कर रही है.
सहयोगी भी आजमगढ़ में उतरे
आरएलडी के चीफ जयंत चौधरी और भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने आजमगढ़ पहुंचकर धर्मेंद्र यादव के पक्ष में प्रचार किया, लेकिन ये दोनों नेता रामपुर में सपा प्रत्याशी के प्रचार के लिए अभी तक नहीं गए. इसके अलावा आजमगढ़ में राम गोपाल यादव से लेकर अबु आसिम आजमी, स्वामी प्रसाद मौर्य, रामअचल राजभर, राम गोविंद चौधरी और नरेश उत्तम सहित सपा नेता कैंप किए हुए हैं. इतना ही नहीं आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम तक ने आजमगढ़ में पहुंचकर धर्मेंद्र यादव के लिए जनसभाएं की हैं. इतना ही नहीं, मुख्तार अंसारी के बेटे विधायक अब्बास अंसारी आजमगढ़ में घूम-घूमकर प्रचार कर रहे हैं.
रामपुर में सपा-बीजेपी की सीधी लड़ाई
वहीं, रामपुर में बीजेपी और सपा के बीच सीधी लड़ाई है, क्योंकि कांग्रेस और बसपा दोनों ने ही अपने-अपने कैंडिडेट नहीं उतारे हैं. आजम खान के गढ़ में सेंधमारी करने के लिए बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी है. प्रदेश ही नहीं, केंद्र के मंत्री भी रामपुर में डेरा जमाए हुए हैं और रामपुर के मतदाताओं को रिझाने में लगे हैं. ऐसे में रामपुर में सपा प्रत्याशी आसिम रजा को सिर्फ आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम का ही सहारा है.
रामपुर नहीं पहुंचे अखिलेश यादव
रामपुर का उपचुनाव प्रचार मंगलवार शाम थम जाएगा, लेकिन सपा का कोई भी नेता अभी तक आसिम रजा के समर्थन में वोट मांगने नहीं पहुंचा है. न तो अखिलेश यादव रैली के लिए पहुंचे और न ही सपा को कोई दूसरे नेता. आजमगढ़ में प्रचार करने वाले जयंत चौधरी और ओम प्रकाश राजभर ने भी रामपुर से दूरी बनाए रखी है. ऐसे में सियासी गलियारों में सवाल यह खड़े हो रहे हैं कि सपा हाईकमान ने रामपुर उपचुनाव में क्या सरेंडर कर दिया है या फिर पार्टी प्रत्याशी को जिताने की पूरी जिम्मेदारी आजम खान और उनके बेटे के कंधो पर है.
आजम के गढ़ में बीजेपी ने झोंकी ताकत
वहीं, रामपुर में बीजेपी ने अपनी फौज उतार रखी है. केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी रामपुर सीट से चुनाव लड़ रहे घनश्याम लोधी का नामांकन कराने पहुंचे थे तो केंद्रीय राज्यमंत्री बीएल वर्मा ने भी रामपुर में बीजेपी प्रत्याशी के समर्थन में वोट मांगे हैं. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी रैली कर चुके हैं. योगी सरकार के मंत्री सुरेश खन्ना और सूर्य प्रताप शाही रामपुर में कैंप किए हुए हैं. राज्य मंत्री समाज कल्याण (स्वतंत्र प्रभार ) असीम अरुण, लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद, मंत्री राकेश सचान, मंत्री संदीप सिंह डोर-टू-डोर जाकर बीजेपी सरकार की उपलब्धियों को गिना रहे हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी कार्यक्रम फिक्स है.
रामपुर में सपा के आसिम रजा को जिताने का जिम्मा पूरी तरह से आजम खान के ऊपर है, जिसके चलते हर रोज शाम को एक जनसभा आजम खान संबोधित कर रहे हैं. इसके अलावा रामपुर चुनाव प्रचार की कमान आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम संभाल रहे हैं, जो रामपुर सीट पर अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर आसिम रजा के लिए वोट मांग रहे हैं. अखिलेश यादव को विश्वास है कि रामपुर सीट आजम खान के दम पर सपा जीत लेगी.
सपा ने रामपुर सीट को भले ही आजम परिवार पर छोड़ रखा हो, लेकिन आजमगढ़ के लिए किसी तरह की कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है. आजमगढ़ से चुनाव लड़ रहे अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव घूम-घूमकर मुलायम सिंह के साथ शुरू हुई यादव परिवार की विरासत का हवाला देकर लोगों को भावनात्मक रूप से आकर्षित कर रहे हैं. इस तरह से आजमगढ़ के साथ रामपुर का चुनाव काफी रोचक बन गया है. ऐसे में देखना है कि आजम के भरोसे रामपुर की जंग क्या सपा फतह कर लेगी और आजमगढ़ में पूरी फौज उतारकर क्या अपना सियासी वर्चस्व बचाए रख पाएगी?