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रामपुर उपचुनाव: आजम खान के दो करीबियों में सीधी लड़ाई, मुस्लिम वोटों में सेंध लगी तभी खिलेगा कमल

रामपुर लोकसभा सीट पर सपा से आसिम राजा मैदान में है तो बीजेपी से घनश्याम लोधी किस्मत आजमा रहे हैं. लोधी कभी आजम खान के करीबी रहे हैं तो आसिम राजा अभी साथ हैं. ऐसे में रामपुर की चुनावी लड़ाई आजम के दो करीबी नेताओं के बीच है, लेकिन यहां की जीत का आधार मुस्लिम मतदाता तय करते हैं. ऐसे में बीजेपी की जीत का दारोमदार मुस्लिम मतों पर टिका है.

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आजम खान, आसिम राजा, घनश्याम लोधी
आजम खान, आसिम राजा, घनश्याम लोधी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • रामपुर में सपा से आसिम राजा चुनावी मैदान में उतरे
  • घनश्याम लोधी रामपुर से बीजेपी के उम्मीदवार बने
  • रामपुर में 55 फीसदी मुस्लिम मतदाता है, जो अहम है

उत्तर प्रदेश की रामपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव का बिगुल बज चुका है, जहां पर सपा के कद्दावर नेता आजम खान की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. बीजेपी से घनश्याम सिंह लोधी किस्मत आजमा रहे हैं तो सपा से आसिम राजा चुनावी मैदान में उतरे हैं. बीजेपी से चुनाव लड़ रहे लोधी कभी आजम खान के करीबी थे तो आसिम राजा साये की तरह उनके साथ रहते हैं.

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रामपुर उपचुनाव में बसपा और कांग्रेस के मैदान में ना उतरने से मुकाबला बीजेपी और सपा के बीच सिमट गया है. यहां पर आजम के दो करीबी नेताओं के बीच सीधी लड़ाई है. ऐसे में मुस्लिम वोटों में सेंधमारी के बिना रामपुर में बीजेपी का 'कमल' खिलना मुश्किल है? 

रामपुर की सियासत के आजम किंगमेकर

रामपुर की सियासत पर भले ही एक दौर में 'नवाब परिवार' का कब्जा रहा हो, लेकिन अब यह आजम खान के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है. 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां से आजम खान ने बड़ी जीत दर्ज की थी. यूपी चुनाव 2022 के बाद जब उन्होंने इस सीट को खाली किया तो माना गया कि वे अपने परिवार के किसी सदस्य को इस सीट से उम्मीदवार बनाएंगे, लेकिन आखिरी समय में अपने करीबी आसिम राजा को प्रत्याशी घोषित कर दिया जबकि बीजेपी ने घनश्याम सिंह लोधी पर दांव लगाया, जो कभी आजम के करीबी नेता माने जाते थे. 

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घनश्याम लोधी कभी आजम के राइट हैंड थे

घनश्याम सिंह लोधी ने अपनी सियासी पारी बीजेपी के साथ शुरू की थी, लेकिन बसपा और कल्याण सिंह पार्टी में होते हुए 2011 में सपा का दामन थामकर आजम खान के करीबी बन गए. आजम खान के सबसे चेहते में वो शामिल हो गए, लेकिन इसका एहसास 2016 में सिर्फ रामपुर ही नहीं बल्कि पूरी यूपी ने तब देखा जब घनश्याम लोधी को स्थानीय निकाय से विधान परिषद भेजने के लिए आजम ने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी. 

आजम खान ने ना सिर्फ सपा द्वारा पहले से तय किया गया एमएलसी टिकट कटवाया बल्कि अंतिम पलों में घनश्याम लोधी के लिए पार्टी का सिंबल हेलिकॉप्टर से लखनऊ से रामपुर पहुंचा और उनका नामांकन हुआ था.

घनश्याम लोधी विधान परिषद सदस्य बनने के बाद आजम खान के सबसे करीबियों में गिने जाने लगे, लेकिन छह साल के बाद एमएलसी का कार्यकाल खत्म होने से ठीक दो महीने पहले साल 2022 के शुरू में वह बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी ने अब घनश्याम लोधी को आजम खान के द्वारा खाली की गई रामपुर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतार दिया. 

आसिम राजा को आजम का करीबी माना जाता है

वहीं, आजम खान ने परिवार के बजाय आसिम राजा पर भरोसा जताया है. शमसी बिरादरी से आने वाले आसिम राजा की अपनी बिरादरी में मजबूत पैठ है. सपा के साथ लम्बे समय से जुड़े पूर्व में व्यापारी नेता रहे राजा की गिनती आजम खान के भरोसेमंद लोगों में होती है. आजम खान ने उनको अपना अजीज साथी और लंबा सियासी तजुर्बा रखने वाला बताया. आजम ने कहा हम आसिम राजा को लड़ाना चाहते हैं और आप सबकी तकलीफों का हिसाब लेना चाहते हैं.

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घनश्याम सिंह लोधी और आसिफ राजा के नाम के ऐलान के बाद यह साफ हो गया है कि रामपुर में आजम खान के ही दो करीबियों के बीच मुकाबला होने जा रहा है. ऐसे में घनश्याम लोधी के साथ रामपुर से सांसद रह चुके मुख्तार अब्बास नकवी साथ खड़े हैं तो कांग्रेस नेता नवाब काजिम अली उर्फ नावेद मियां चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. ऐसे में नवाब परिवार ने रामपुर में सपा को हराने का ऐलान जरूर कर दिया है. वहीं, आजम खान ने रामपुर से सपा को जिताने का बीड़ा अपने हाथ में ले रखा है. 

मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में

आजम खान का गढ़ कही जाने वाली रामपुर लोकसभा सीट पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में है. रामपुर के सियासी समीकरण में 55 फीसदी के करीबी मुस्लिम मतदाता है तो 42 फीसदी हिंदू और तीन फीसदी में सिख और बौद्ध हैं. मुस्लिम बहुल रामपुर में बीजेपी तीन बार कमल खिलाने में कामयाब रही है, लेकिन उसे तभी जीत मिली जब एक से ज्यादा मुस्लिम कैंडिडेट चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रहे थे. 

रामपुर में मुस्लिम वोटों के बिखराव में ही बीजेपी ने जीत का स्वाद चखा है, चाहे 1991 का लोकसभा चुनाव रहा हो या फिर 1998 और 2014 का संसदीय चुनाव. इससे साफ जाहिर है कि रामपुर में मुस्लिम मतदाता किंगमेकर की भूमिका में है. ऐसे में रामपुर लोकसभा उपचुनाव में बसपा और कांग्रेस के न उतरने से सपा के लिए वाकओवर नजर आ रहा है तो बीजेपी के लिए सियासी चुनौती खड़ी हो गई है. 

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2022 के विधानसभा चुनाव में क्या रहे थे नतीजे

रामपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत पांच विधानसभा सीटें आती हैं. 2022 के विधानसभा चुनाव में इन पांच में से तीन सीटें सपा को तो दो सीटें भाजपा को मिली थीं. रामपुर विधानसभा सीट से आजम खान, स्वार टांडा से उनके बेटे अब्दुल्ला आजम और चमरौआ विधानसभा सीट से उनके करीबी नसीर अहमद खान सपा के टिकट पर जीते थे.

वहीं, बिलासपुर सीट से बलदेव औलख और मिलख सीट से राजबाला सिंह भाजपा के टिकट पर जीतीं थी. इस तरह से पांचों विधानसभा सीटों पर भाजपा को कुल 4 लाख सात हजार से ज्यादा वोट मिले थे जबकि सपा को 5 लाख 52 हजार से ज्यादा वोट मिले. इस तरह सपा को भाजपा के मुकाबले करीब एक लाख 44 हजार से ज्यादा वोट मिले थे. हालांकि, सपा और कांग्रेस भी चुनाव लड़ी थी, लेकिन इस बार दोनों पार्टियां मैदान में नहीं है. 

आजम की साख रामपुर में दांव पर लगी

आजम खान ने आसिम राजा के नाम की घोषणा करने के बाद कहा कि उनके पुराने साथी आसिम राजा चुनाव लड़ने जा रहे हैं. इनकी जीत से वह सबकी तकलीफों का हिसाब लेना चाहते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि यदि आसिम हार गए तो उनकी मुश्किलें बढ़ जाएंगी.

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आजम ने नामांकन के बाद आसिम राजा की जीत की अपील करते हुए कहा कि यदि चूक हो गई तो उनकी मुश्किलों में इजाफा हो जाएगा. आजम ने कहा था कि जरा सी कोताही हुई तो मेरी स्याह रातें और स्याह हो जाएंगी. मेरे लम्हे वर्षों में बदल जाएंगे. मेरी तकलीफ में इजाफा हो जाएगा. मेरा यकीन मेरा भरोसा टूट जाएगा. यदि मेरा भरोसा टूट गया तो मैं टूट जाऊंगा और मैं टूट गया तो बहुत कुछ टूट जाएगा और फिर एक बार तुम्हारा इम्तिहान है.

रामपुर में सपा को जिताने के लिए आजम खान ने इमोशनल कार्ड खेल दिया है, जिसके जरिए मुस्लिम वोटों को एकजुट करने की रणनीति है. वहीं बीजेपी ने हिंदू वोटों के एक बड़े तबके पर मजबूत पकड़ बनाए रखी है. लेकिन घनश्याम लोधी की जीत की राह तभी बन सकती है जब मुस्लिम वोटों में बिखराव हो.

कांग्रेस-बसपा का रामपुर से ना उतरना सपा के लिए किसी सियासी संजीवनी से कम नहीं है, लेकिन नवाब काजिम अली का आजम खान के खिलाफ बगावती तेवर क्या सियासी करिश्मा दिखता है यह भी देखने वाला होगा.

 

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