यूपी में रेप की दिल दहला देने वाली घटनाओं का सिलसिला जारी है. आए दिन खबरें आ रही है फलां इलाके में महिला या फिर लड़की का शव पेड़ से लटकता मिला. लेकिन यूपी के हुक्मरानों के लिए यह रूटीन घटना है. जिन पर इन घटनाओं को रोकने की जिम्मेदारी है उनके लिए यह रूटीन है.
यूपी के डीजीपी एएल बनर्जी ने रेप को नॉर्मल रूटीन बताया है. बुधवार को उन्होंने रेप पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा, 'यह तो हर साल होता है, नॉर्मल रूटीन है और लॉ एंड ऑर्डर एजेंसियां इसीलिए हैं.'
बनर्जी का कहना था कि रेप की घटनाओं में बढ़ोतरी नहीं हुई है. इतनी घटनाएं तो हर साल हो जाती है. बनर्जी का यह बयान बताता है कि यूपी में हो रहे बलात्कार की घटनाओं पर वह कितने संवेदनशील है. ये बयान यूपी पुलिस की लापरवाही को दिखाता है जिसके लिए रेप चिंता का विषय नहीं है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि बनर्जी ने यूपी में रेप की घटनाओं को रोकने के लिए क्या किया.
राष्ट्रीय महिला आयोग ने बनर्जी की इस टिप्पणी की निंदा की है. आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा ने कहा है कि ऐसा बिल्कुल नहीं है कि रेप रोके नहीं जा सकते, लेकिन दिक्कत यूपी पुलिस के साथ है.
पुलिस अफसरों और नेताओं की ओर दिया गया कोई नया बयान नहीं है. ना ही यह चौंकाता है क्यों कि हमारे देश की पुलिस और हुक्मरान ऐसे ही है. सपा के मुखिया मुलायम सिंह पहले ही कह चुके हैं कि लड़कों से गलती हो जाती है, तो महाराष्ट्र के गृहमंत्री आर. आर. पाटिल मानते है कि हर घर पर पुलिस की तैनाती से भी रेप नहीं रुक सकता.