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योगी सरकार ने भीम आर्मी के चन्द्रशेखर पर रासुका की अवधि तीन माह के लिए बढ़ाई

चन्द्रशेखर के अधिवक्ता हरपाल सिंह ने जानकारी देते हुए कहा कि रासुका की अवधि तीन फरवरी को समाप्त हो रही है, लेकिन इससे पहले ही प्रशासन ने रासुका की अवधि को तीन माह के लिये बढ़ा दिया है.

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भीम आर्मी संस्थापक चन्द्रशेखर उर्फ रावण
भीम आर्मी संस्थापक चन्द्रशेखर उर्फ रावण

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उत्तरप्रदेश के सहारनपुर जिले में पिछले साल जातीय हिंसा ने पूरे यूपी में खौफ पैदा कर दिया था. हिंसा के मुख्य आरोपी भीम आर्मी के संस्थापक चन्द्रशेखर उर्फ रावण जेल में बंद हैं. चन्द्रशेखर के अधिवक्ता के अनुसार रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) की अवधि को तीन माह के लिये बढ़ा दिया गया है.

चन्द्रशेखर के अधिवक्ता हरपाल सिंह ने जानकारी देते हुए कहा कि रासुका की अवधि तीन फरवरी को समाप्त हो रही है, लेकिन इससे पहले ही प्रशासन ने रासुका की अवधि को तीन माह के लिये बढ़ा दिया है.

भीम आर्मी के मीडिया प्रभारी अजय गौतम ने इस फैसले की निंदा की है और कहा कि प्रशासन हमारी शांति का गलत फायदा उठा रहा है. गौतम ने कहा कि इस घटना के विरोध में आगामी 18 फरवरी को भीम आर्मी के कार्यकर्ता सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे.

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क्या था मामला?

सहारनपुर शहर से कुछ दूर शब्बीरपुर गांव में दलित समुदाय रविदास मंदिर में अंबेडकर की प्रतिमा लगाना चाहता था. सबसे पहली गलती तब हुई जब पुलिस ने प्रतिमा लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया, लेकिन दलित समुदाय को विश्वास में नहीं लिया. प्रशासन ने ना कहने के लिए ना तो कोई वजह बताई और ना ही आगे के लिए कोई रास्ता सुझाया, जिसको लेकर दलित समुदाय में नाराजगी पनप गई थी.

5 मई 2017 को महाराणा प्रताप जयंती पर शब्बीरपुर गांव से 11 किलोमीटर दूर शिमलाना गांव जा रहे ठाकुर समुदाय के लोगों ने बिना अनुमति के जुलूस निकाला. तेज म्यूजिक और डीजे के साथ जब 25-30 ठाकुर समुदाय के युवा शब्बीरपुर गांव से निकले तो लोगों ने तेज बाजे पर आपत्ति जताई.

दलित समुदाय के लोग और भड़क गए. उनको लगा कि प्रशासन उनके साथ भेदभाव कर रहा है. प्रशासन ने सख्ती दिखाई होती तो ना ये जलूस निकलता ना ही पत्थरबाजी और हिंसा होती. उस घटना में एक की मौत हुई और दो दर्जन से ज्यादा लोग घायल हुए.

भीम आर्मी का नाम सबसे आगे

इस पूरे बवाल में एक संगठन का नाम सबसे आगे आया था, वो है भीम आर्मी. इसकी स्थापना दलित समुदाय के सम्मान और अधिकार को लेकर की गई थी. एडवोकेट चंद्रशेखर आजाद ने जुलाई 2015 में इसका गठन किया था.

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