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कांग्रेस को घेरने वाले युवा आंदोलनकारी, अब थामेंगे राहुल गांधी का हाथ

सरकार की नीतियों के खिलाफ संघर्ष करने वाले युवा आंदोलनकारी अब राजनीति में कदम रखने जा रहे हैं. राहुल गांधी से मुलाकात के बाद लखनऊ में कई आंदोलनकारी कांग्रेस का हाथ थामेंगे.

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शहनवाज आलम, अनिल यादव, लक्ष्मण प्रसाद
शहनवाज आलम, अनिल यादव, लक्ष्मण प्रसाद

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आंतकवाद के शक में गिरफ्तार किए जाने वाले बेगुनाहों की आवाज बने युवा आंदोलनकारी अब राजनीतिक पारी की शुरूआत कर रहे हैं. रिहाई मंच के कई युवाओं आंदोलनकारियों ने राहुल गांधी से मुलाकात के बाद कांग्रेस का हाथ थामने का फैसला किया है.

लखनऊ में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर के नेतृत्व में रविवार को पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में ये युवा कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करेंगे. रिहाई मंच के शाहनवाज आलम, अनिल यादव, लक्ष्मण प्रसाद, दिनेश सिंह, अंबेडकवादी मंगलराम और अहमद कमाल समेत फरहान वारसी, अक्षत शुक्ल, श्रवण साहू और सरिता पटेल कांग्रेस में शामिल होंगे.

बता दें कि इन युवा आंदोलकारियों ने इसी महीने 9 अगस्त को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के मुलाकात की थी. करीब तीन घंटे की इस मुलाकात में राहुल ने आंदोलनकारियों के दिल में कांग्रेस का प्रेम जगा दिया. इसी का नतीजा है कि इन्होंने कांग्रेस में शामिल होने का निर्णय किया है. जबकि ये वही लोग हैं जो कांग्रेस, सपा और बसपा नीतियों के खिलाफ संघर्ष करते रहे हैं.

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कांग्रेस के दौर में जब देश के अलग-अलग राज्यों से आंतकवाद के शक में बेगुनाह मुसलमानों की गिरफ्तारी हो रही थी तो इन्हीं लोगों ने मिलकर रिहाई मंच का गठन किया था, जिसमें कई राजनीतिक दल और अलग-अलग विचारधारा के लोग जुड़े थे.

ये युवा इस मंच से सामाजिक न्याय व सरकार की दमकारी नीतियों के खिलाफ आंदोलन और संघर्ष करते रहे. इतना ही नहीं यूपी में अखिलेश यादव के पांच साल के शासनकाल में मुजफ्फरनगर दंगे से लेकर जितने भी सांप्रदायिक दंगे और फसाद हुए उन सभी को बुलंद आवाज से उठाया. सत्ता के खिलाफ टकराने का खामियाजा भी इन्हें भुगतना पड़ा.

इलाहाबाद छात्र संघ विश्वविद्याल में छात्र नेता रहे और बाद में रिहाई मंच से जुड़े अनिल यादव ने आजतक से बातचीत करते हुए कहा कि मौजूदा दौर में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सामाजिक न्याय की परिकल्पना के साथ पार्टी को आगे ले जाना चाहते हैं. दूसरी तरफ सत्ता में ऐसी पार्टी है जो संविधान के खिलाफ चल रही है. जबकि राहुल गांधी कांग्रेस को नए तेवर और कलेवर में ले जाना चाहते हैं, जो अपनी खामियों को भी स्वीकार कर रहे हैं. राहुल की इन्हीं अच्छाइयों ने हमें कांग्रेस ज्वाइन करने के लिए प्रेरित किया.

रिहाई मंच के जरिए सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ लगातार संघर्ष करने वाले शहनवाज आलम ने बताया कि राहुल गांधी के ऑफिस से फोन आया और कहा गया कि पार्टी अध्यक्ष मिलना चाहते हैं. आप लोगों की बातों को सुनना और जमीनी स्तर के हालत को समझना चाहते हैं. इस तरह राहुल गांधी से हमारी मुलाकात हुई.

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उन्होंने बताया, 'राहुल से पहली मुलाकात हुई तो उन्होंने अपनी बात रखी. ये मुलाकात करीब एक घंटे की रही. इसके बाद उसी दिन शाम को हम लोगों फिर से बुलाया गया और इस बार राहुल गांधी ने हम सबकी बातों से ध्यान से सुना. इसके बाद राहुल गांधी ने कहा कि कुछ करना चाहते हो और कांग्रेस की आलोचना करना चाहते हो तो फिर पार्टी के अंदर रहकर करो.'

राहुल से मुलाकात के बाद लगा कि वे सिर्फ अपनी बात कहना ही नहीं बल्कि सुनना भी जानते हैं. उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन करने की बात रखी जिस पर हम लोगों ने फैसला किया है. राहुल के अंदर सबसे अच्छी बात लगी कि वे अपनी बात को एक प्रोफेसर की तरह समझाते हैं और सभी के साथ समानता का व्यवहार अपनाते हैं. आलम ने कहा कि राहुल की बात से साफ लगा कि वह कांग्रेस को प्रगतिशील बनाना चाहते हैं. राहुल ने मुलाकात के दौरान कहा कि यूपी में हम गंभरीता के साथ काम करना चाहते हैं. इसके लिए हम युवा लीडरशिप को तवज्जो देना चाहते हैं.

शहनवाज आलम ने कहा कि हम मानते हैं कि निश्चित रूप से देश में जो अच्छा और बुरा हुआ है उसके लिए कांग्रेस जिम्मेदार है. इतने लंबे अरसे तक कांग्रेस सत्ता में रही है, लेकिन गलतियों से सीखा जाता है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी भी यही कहते हैं वे अपनी गलतियों से सीख रहे हैं.  अभी तक जो बातें हम मंच के जरिए उठाते रहे हैं उसी को अब कांग्रेस के अंदर रहकर उठाएंगे.

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