इलाहाबाद में गंगा और यमुना ने कहर बरपा रखा है. दोनों नदियां खतरे के निशान से लगभग डेढ़ मीटर ऊपर बह रही हैं. इलाहाबाद शहर का एक तिहाई हिस्सा डुबाने के बाद गंगा की रफ्तार भले ही धीमी हो गयी हो. लेकिन इसके बाद भी उसके तेवर में कोई कमी नहीं आई है.
इलाहाबाद की कई कॉलोनियों में गंगा और यमुना का पानी पहुंच चुका है. सलोरी ,करेली ,राजापुर ,न्यूराबाद ,कैलाशपुरी, हर तरफ पानी पहुंच चुका है. कई मुहल्लों में चारो तरफ पानी ही पानी है, हजारों लोग बाढ़ मे फंसे हुये हैं.
बाढ़ग्रसित एक इलाके में रहने वाले लाल कुंवर नाम बताते हैं, 'हम लोग की जिंदगी बहुत परेशानी से बीत रही है. हम लोग छत पर खाना बना रहे हैं. आदमी के साथ जानवर भी परेशान हैं. नाव कभी मिलती है तो कभी नहीं मिलती है. तैरकर जाना पड़ता है. सरकार की तरफ से भी कुछ खास मदद नहीं है, थोड़ा बहुत नाव का इंतजाम कर दिया है. कभी कभार थोड़ा बहुत खाना पहुंचा देते हैं.'
ये मंजर पिछले आठ दिनों से चल रहा है. यहां रहने वालों का कहना है कि 35 साल से ऐसी बाढ़ नहीं आयी है. इससे पहले 1978 की बाढ़ में भी इतना पानी नहीं आया था.
जलस्तर में थोड़ी कमी के बाद भी बाढ़ का आतंक कम नहीं हुआ है. अशोक नगर, राजापुर, बरेली से लेकर सलौरी, बधाड़ा तक हजारों घर बाढ़ से घिरे हैं. परिवारों को राहत नहीं मिल रही है. गाढी कमाई से बनाये उनके मकान गिरकर पानी में समा चुके हैं.
इलाहाबाद के बख्शी बांध से सटे सलौरी एफटीपी के तटबंध पर फिर से कई जगह कटान होने लगी है. यहां पर सेना नें मोर्चा संभाला हुआ है. फिलाहाल इलाहाबाद के लोगों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है.