प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अहम मुद्दा बनी मोक्षदायिनी गंगा के दिन बहुरने वाले हैं. वाराणसी के नदी वैज्ञानिक और संत गंगा के लिए सात जुलाई को होने वाली बैठक में गंगा रक्षा से जुड़े अपने प्रस्ताव सरकार को सौंपने वाले हैं.
इस बाबत नरेंद्र मोदी की लोकसभा सीट वाराणसी से गंगा के लिए काम करने वाले संतों को न्योता भी आ गया है. इसके साथ ही वैज्ञानिकों ने भी गंगा सफाई के लिए अपना प्लान बताने की तैयारी कर ली है.
लगता है कि मोक्षदायिनी गंगा अब अपनी बदहाली के दिन गिन रही है. कहीं बहता सीवर इसके जल की गुणवत्ता के लिए खतरा बना है, तो लगातार कम होता जल प्रवाह भी गंगा के अस्तित्व के लिए संकट पैदा कर रहा है.
राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण के सदस्य डॉ. बीडी त्रिपाठी कहते हैं, 'आज गंगा के लिए अहम मुद्दा इसकी अविरलता है'.
गंगा पर बढ़ रहे खतरे से निजात पाने के लिए नरेंद्र मोदी ने जनता से भगीरथ प्रयास का वादा कर चुके हैं. उनकी ही सरकार में जल संसाधन व गंगा पुनरुद्धार मंत्रालय का जिम्मा पाने वाली नेत्री उमा भारती आगामी सात जुलाई को गंगा के उद्धार के लिए बैठक करने वाली हैं. इस बैठक में गंगा सफाई से जुड़े कई अहम लोगों को निमंत्रण भेजा गया है. इसमें काशी के संत और नदी वैज्ञानिक भी शामिल हैं.
गंगा महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानन्द ने कहा, 'गंगा के लिए होने वाली बैठक में मुझे बुलावा आया है.'
बीएचयू के रिटायर्ड प्रोफेसर यूके चौधरी ने बताया, 'मुझे सात जुलाई को होने वाली बैठक में बुलावा आया है. मैं पांच बिन्दुओं पर चर्चा करूंगा.'
नरेंद्र मोदी ने गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए गंगा भक्तों और बौद्धिकजनों का सहयोग मांगा है. अब इंतजार है उस दिन का, जब गंगा एक बार फिर पूरी तरह स्वच्छ होगी.