यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने गए छात्रों के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. रात में बच्चे मेट्रो स्टेशन पर काटते हैं तो वही अपने फ्लैट में रहने वाले बच्चे बारी-बारी से रतजगा कर रात काट रहे हैं. रात भर हुए हैं हवाई हमलों और धमाकों की आवाज से बच्चे दहशत में हैं. अब उन्हें भारत सरकार से उम्मीद है.
यूक्रेन में फंसे भारतीयों छात्रों में एक लखनऊ की आकांशा भी है. आकांक्षा यूक्रेन की खारक्यू यूनिवर्सिटी से मेडिकल की पढ़ाई कर रही है. बीते अगस्त महीने में ही आकांक्षा यूक्रेन गई थी. रूसी सेना के हमले के बाद से आकांक्षा के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं. आकांक्षा ने अपनी आपबीती बताई कि रात भर अंडर ग्राउंड मेट्रो स्टेशन पर बैठना पड़ रहा है.
'खाने का सामान धीरे-धीरे खत्म हो रहा है'
आजतक से बात करते हुए आकांक्षा ने बताया कि अचानक हुए हमलों की वजह से खाने का सामान भी धीरे-धीरे खत्म हो रहा है. आकांक्षा पंजाब की दो छात्राओं के साथ दिन के वक़्त फ्लैट में रहती है. रात भर बच्चे जागकर काटते हैं ताकि अचानक कोई हमला हो तो सीधे सातवीं मंजिल से नीचे ग्राउंड फ्लोर पर चले जाए.
'रात में पहरेदारी करते हैं बच्चे'
जो बच्चे फ्लाइट में रुक रहे हैं, वह बारी-बारी से सोते और जाते हैं, एक बच्चा सोता है तो दूसरा बच्चा धमाकों की आवाज के बीच पहरेदारी करता है ताकि अगर कोई अचानक हमला हो तो साथियों को जगा कर अलर्ट किया जा सके. आकांक्षा की माने तो रात भर धमाकों की आवाज आती रही है. लगातार हालात बिगड़ते जा रहे हैं.
बेटी को देखते ही रोने लगी मां
बच्चों ने खाने के लिए जो सामान इकट्ठा किया है, वह खत्म होता जा रहा है. बच्चे वीडियो कॉल के जरिए ही अपने मां बाप से बात कर पा रहे हैं. आकांक्षा ने भी लखनऊ में रहने वाले अपने माता-पिता से बात की तो मम्मी बबीता सिंह बेटी को देखते ही रोने लगीं. बेटी ने ढाढ़स बनाते हुए कहा कि घबराओ नहीं सब ठीक हो जाएगा हम अभी ठीक हैं.
'पीएम मोदी के बातचीत के बाद भी हमला जारी'
आकांक्षा कहती हैं कि देर रात जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्लादिमीर पुतिन से बात की तो उम्मीद जगी थी कि शायद हमले बंद हो जाएंगे या कम हो जाएंगे लेकिन उसके बाद भी हमले वैसे ही हो रहे हैं, तेज धमाकों की आवाजे अभी भी आ रही हैं.
आकांक्षा अपने मम्मी पापा के साथ साथ यूक्रेन में फंसे सभी बच्चों के माता-पिता से अपील भी करती हैं कि यह वक्त घबराने का नहीं हिम्मत से काम लेने का है, आप लोग भी भारत सरकार के संपर्क में रहकर कोशिशें जारी रखें.
पिता महेंद्र सिंह कह रहे हैं कि हमने तो कम खर्च की वजह से बेटी को यूक्रेन भेजा था अब वहां पर ऐसे हालात हो गए हैं कि जिंदगी बचाना मुश्किल है, ऐसे में उम्मीद भारत सरकार से है कि वह बच्चों को सकुशल निकाले.