पश्चिमी यूपी का सहारनपुर जातीय हिंसा की आग में झुलस रहा है. 23 मई को बसपी सुप्रीमो मायावती के सहारनपुर दौरे के बाद वहां के हालात और ज्यादा तनावपूर्ण हो गए. मायावती की जनसभा से लौट रहे दलितों पर अटैक किया गया. जिसमें एक शख्स की मौत हो गई. जबकि करीब 15 लोग घायल हो गए. इस घटना के बाद योगी सरकार ने स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ एक्शन लिया. डीएम और एसएसपी को सस्पेंड कर दिया गया, जबकि डीआईजी और डीसी का तबादला कर दिया गया.
ये है अधिकारियों पर एक्शन की वजह
सहारनपुर के डीएम और एसएसपी को सस्पेंड करने की वजह थोड़ी हैरान करने वाली है. एक अंग्रेजी अखबार ने पुलिस सूत्रों के हवाले से लिखा है कि शब्बीरपुर में मायावती की रैली को परमिशन देने के चलते अधिकारियों पर गाज गिरी. बताया जा रहा है कि इलाके में तनाव होने के बावजूद मायावती को वहां जाकर लोगों से मिलने की परमिशन दी गई. जबकि इंटेलिजेंस इनपुट में किसी भी राजनैतिक रैली का आयोजन न करने की चेतावनी दी गई थी.
परमिशन देने के बाद नहीं की व्यवस्था
पुलिस-प्रशासन ने मायावती को तनाव के बीच शब्बीरपुर जाने की परमिशन दी. लेकिन वहां के हालात काबू कर पाने में स्थानीय पुलिस नाकाम रही. बताया गया कि जितना पुलिस बंदोबस्त होना चाहिए था, वो नहीं किया गया. यही वजह है कि दलितों पर अटैक किया गया.
दलित की हुई मौत
यूपी सरकार ने गृहमंत्रालय को भेजी रिपोर्ट में बताया है कि 23 मई को मायावती की रैली से लौट रहे लोगों पर ठाकुर समुदाय के लोगों ने हमला किया. इसमें 1 एक दलित युवक की मौत हो गई, जबकि 15 लोग घायल हो गए हैं.
इंटरनेट सेवा पर बैन
बिगड़ते हालात के बीच सहारनपुर में इंटरनेट सेवाओं पर बैन लगा दिया गया है. साथ ही पूरे शहर में धारा 144 लागू कर दी गई है. वहीं बुधवार को जिस शख्स को गोली लगी थी उसकी हालत नाजुक बताई जा रही है.
क्या है पूरा मामला?
सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में महाराणा प्रताप शोभायात्रा के दौरान हुए एक विवाद ने हिंसक रूप ले लिया था. इसके बाद विशेष जाति पर दलितों के साथ अत्याचार करने और उनके घर जलाने का मामला सामने आया था. इस मामले में भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर के खिलाफ केस दर्ज किया गया था. इसके बाद बीते रविवार को भीम आर्मी कार्यकर्ताओं ने बड़ी संख्या में दिल्ली के जंतर मंतर पहुंचकर प्रदर्शन किया था.