17 साल का एक लड़का अपने परिवार के साथ अयोध्या आता है और ऐसी लगन लगती है कि वहीं का हो जाता है. सरयू के किनारे कुटिया में रहने वाला यह युवक 12 साल तक वहीं रहता है और मंदिरों में भोजन कर संतो की सेवा करता है. आज यही युवक 49 साल का हो गया है और अपनी गतिविधियों के कारण चर्चा में भी बने रहते हैं. अब इस महंत में अयोध्या की सरयू नदी में जल समाधि लेने का ऐलान किया है.
मध्य प्रदेश के सीधी जिले के रहने वाले संत परमहंस दो भाई और 2 बहन हैं. इनके परिवार का अयोध्या से लगाव भी था और आना-जाना भी. लगभग 32 साल पहले जब इनका परिवार अयोध्या में गोपाल दास जी महाराज के मंदिर में आया तो 17 साल का यह युवक अयोध्या से वापस नहीं गया.
कुछ दिन गोपाल दास जी महाराज के आश्रम में रहने के बाद सरयू किनारे कुटिया बनाकर रहने लगा और जैसे की परंपरा है नया शिष्य मंदिरों में संतों की सेवा करता है और प्रसाद ग्रहण करता है कुछ ऐसा ही हाल संत परमहंस ने भी किया. अयोध्या में जहां यह युवक कुटिया बनाकर रहते थे, वह इलाका पानी से डूब जाता था इसलिए कमर बराबर पानी में चल कर लोग सड़क पर आते थे.
12 साल वहीं रहने के बाद उनकी उम्र लगभग 29 साल हो गई थी. इसके बाद वृंदावन, काशी और ऋषिकेश में अलग-अलग मंदिरों में भटकते रहे. 2017 में एक बार फिर वह वापस अयोध्या आए. सरयू के किनारे कुटिया में रहने के दौरान सीधे स्वभाव के तपस्वी छावनी के महंत सर्वेश्वर दास से परिचय हो गया और उसी समय से सर्वेश्वर दास किसको पसंद भी करते. लिहाजा 2017 में वापसी के बाद लगभग 44 साल के हो चुके परमहंस तपस्वी छावनी गए और सर्वेश्वर दास से मिले. इसके बाद तपस्वी छावनी में कुछ दिन रहने के बाद सर्वेश्वर दास ने परमहंस को महंत घोषित कर दिया.
महंत बनने के बाद शुरू की नई पारी
परमहंस नाम भी अयोध्या से मिला और महंत बनने के बाद जल्दी ही 2018 में महन्त परमहंस ने नई पारी शुरू कर दी. 2018 के अक्टूबर माह में राम मंदिर निर्माण को लेकर अपनी मांग रखी कि केंद्र सरकार कानून बनाकर राम मंदिर निर्माण शुरू करे. अपनी मांग को लेकर वह आमरण अनशन पर बैठ गए और 10 अक्टूबर की रात अयोध्या पुलिस ने उन्हें उठा लिया और लखनऊ के पीजीआई हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया. वहां भी परमहंस का अनशन जारी रहा तो यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें आवास पर बुलाकर जूस पिलाया और आमरण अनशन समाप्त कराया. इसके बाद संत परमहंस चर्चा में आए और अपनी गतिविधियां तेज कर दीं. 2019 में जब कुंभ लगा तो वहां भी संत परमहंस ने राम मंदिर निर्माण को लेकर एक बार फिर अपना अनशन शुरू कर दिया. जहां पर वासुदेवानंद सरस्वती ने उनका अनशन तुड़वाया.
नृत्य गोपालदास से हुए विवाद के बाद फिर आये चर्चा में
साल 2020 में अयोध्या के सबसे बड़े संत और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास से संत परमहंस का विवाद एक बार फिर सुर्खियों में आ गया. भाजपा के पूर्व सांसद और राम मंदिर न्यास के सदस्य रहे रामविलास दास वेदांती और संत परमहंस के बीच नृत्य गोपाल दास को लेकर हुई विवादास्पद ऑडियो वायरल होने के बाद नृत्य गोपाल दास के शिष्यों ने संत परमहंस की तपस्वी छावनी स्थित आवास घेर लिया. हालांकि अयोध्या पुलिस ने उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला और उसके बाद 27 दिनों तक संत परमहंस गाजियाबाद के डासना मंदिर में रहे. वहां भी उन्होंने अपनी अलग-अलग मांगों को लेकर अनशन शुरू कर दिया और चर्चा में रहे.
हिंदू राष्ट्र को लेकर आत्मदाह की पहले भी दे चुके हैं चेतावनी
25 मई को दोपहर 12:00 बजे आत्मदाह करने को लेकर पहले भी संत परमहंस घोषणा कर चुके है. हिंदू राष्ट्र को लेकर अपनी मांग के चलते संत परमहंस ने तपस्वी छावनी स्थित अपने आवास के बाद ही चिता सजा ली थी. यहां तक कि चिता पूजन भी कर लिया था. इसके बाद पुलिस ने उन्हें उनके ही कमरे में नजरबंद कर दिया, जिसके बाद उन्होंने 2 नवंबर को दोपहर 12:00 बजे सरयू में जल समाधि का ऐलान किया था. यहां यह महत्वपूर्ण है कि दोनों बार 12:00 बजे का ही समय निश्चित किया था. पहली बार जैसे उन्होंने चिता पूजन किया था, वैसे ही इस बार उन्होंने कफन पूजन किया है. सबसे पहले वह हिंदू राष्ट्र महायज्ञ करेंगे और उसके बाद अपने कमरे में चले जाएंगे. पुलिस के सूत्रों की माने तो पहली बार की तरह इस बार भी उन्हें उनके कमरे में नजरबंद कर दिया जाएगा.