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दिवाली पर भी बिखरा रहा मुलायम का कुनबा, सियासी कलह का दिखा परिवार पर असर

अमूमन एक साथ त्योहार मनाने वाला सैफई का ये समाजवादी परिवार इस बार बिखरा बिखरा नजर आया. सियासी कलह का असर इतना दिखा कि एक साथ आना तो दूर, परिवार के लोगों ने एक दूसरे के सामने आने तक से परहेज किया.

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समाजवादी परिवार में दरारें साफ नजर आने लगी हैं
समाजवादी परिवार में दरारें साफ नजर आने लगी हैं

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अमूमन एक साथ त्योहार मनाने वाला सैफई का ये समाजवादी परिवार इस बार बिखरा बिखरा नजर आया. सियासी कलह का असर इतना दिखा कि एक साथ आना तो दूर, परिवार के लोगों ने एक दूसरे के सामने आने तक से परहेज किया.

एक ही दिन सबका कार्यक्रम अलग
एक ही दिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, राम गोपाल यादव और शिवपाल यादव सैफई में थे लेकिन कार्यक्रम कुछ ऐसा तय किया गया कि न तो अखिलेश शिवपाल से मिल पाए न ही शिवपाल रामगोपाल से न रामगोपाल यादव मुलायम सिंह यादव से.

नेताजी से मिलने नहीं आए शिवपाल और रामगोपाल
आलम ये रहा कि इस दिवाली भाइयों ने तो मुलायम सिंह का आशीर्वाद तक नहीं लिया. रामगोपाल सैफई आए लेकिन मुलायम से मिलने लखनऊ नहीं आए, शिवपाल भी मुलायम से मिलने नहीं पहुंचे. अखिलेश यादव सैफई से लौटकर अपने परिवार समेत मुलायम से आशीर्वाद लेने जरूर गए.

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अखिलेश के जाने के बाद आए शिवपाल
मुलायम सिंह यादव ने भी कलह की गंभीरता को भांपकर सैफई से दूर रहना ही बेहतर समझा और दांत दर्द के इलाज के नाम पर खुद को लखनऊ में ही रखा. अखिलेश ने सैफई में चाचा रामगोपाल से मुलाकात की और पैर छूकर उनके आशीर्वाद लिए लेकिन शिवपाल चाचा के सैफई आने के पहले लखनऊ के लिए उड़ान भर ली. वहीं शिवपाल यादव ने भी अखिलेश के जाने के बाद ही सैफई का रुख किया और अपनी दिवाली गांव में मनाई.

पहले हर त्योहार पर साथ होता था परिवार
बहरहाल मुलायम परिवार हर उत्सव गांव में एक साथ मनाता रहा है. पिछले 5 सालों में से तीन साल ये पूरा परिवार एक साथ रहा लेकिन अब सियासी कलह का असर इस परिवार पर दिखना शुरू हो चुका है, जिसका अंजाम क्या होगा फिलहाल ये कहना मुश्किल है.

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