समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम की याचिका पर चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ शुक्रवार को सुनवाई करेगी. अब्दुल्ला आज़म ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अब्दुल्ला आज़म को अयोग्य करार देते हुए उनकी विधायकी रद्द कर दी थी. हाई कोर्ट ने यह कहते हुए अब्दुल्ला की विधायकी रद कर दी थी कि साल 2017 में उनकी उम्र चुनाव लड़ने के लिए कम थी.
दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीते साल दिसंबर में अब्दुल्ला आजम का निर्वाचन रद्द कर दिया था. अब्दुल्ला आजम पर आरोप है कि 2017 में विधानसभा चुनाव लड़ते वक्त अब्दुल्ला आजम की उम्र विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए अनिवार्य 25 वर्ष नहीं थी.
अब्दुल्ला आजम पर आरोप है कि इसके लिए उन्होंने फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया. इसी सीट पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से दावेदार रहे नवाब काजिम अली ने अब्दुल्ला के निर्वाचन के खिलाफ याचिका दायर की थी.
क्या है अयोग्यता की वजह?
याचिका के अनुसार, चुनाव के समय वह 25 साल के भी नहीं थे, इसलिए चुनाव लड़ने के अयोग्य थे. सुनवाई के दौरान आजम खां की पत्नी, अब्दुल्ला का जन्म करवाने वाली डॉक्टर भी प्रस्तुत हुई थीं. इसी याचिका पर सुनवाई के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 27 सितम्बर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसके बाद जस्टिस एसपी केसरवानी की पीठ ने 16 दिसंबर को फैसला सुनाया था.
कौन हैं अब्दुल्ला आजम?
अब्दुल्ला आजम सपा सांसद आजम खान के छोटे बेटे हैं. साल 2017 के उप्र विधानसभा चुनाव में अब्दुल्ला ने पहली बार चुनाव लड़ा था. अब्दुल्ला ने रामपुर क्षेत्र की स्वार विधानसभा सीट से चुनाव जीता था. विधानसभा चुनाव में रामपुर में आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला अपनी-2 सीटें जीतने में कामयाब रहे थे. अब्दुल्ला आजम ने भाजपा उम्मीदवार लक्ष्मी सैनी को 50 हजार से ज्यादा मतों से हराया था, जबकि बसपा के नवाब काजिम अली तीसरे नंबर रहे थे. नवाब काजिम अली अब कांग्रेस में हैं.
(IANS इनपुट के साथ)