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झगड़े के बाद जब मुलायम ने बुलाई अपने सांसदों की बैठक, जानें आगे क्या होगा...

सपा की दरार कितनी गहरी है, इसका अंदाजा भी इसी बैठक में नजर आ गया. नेताजी की बुलाई बैठक में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की सांसद पत्नी डिंपल यादव नहीं पहुंची क्योंकि वो दिल्ली में ही नहीं थीं. लेकिन अखिलेश के करीबी रामगोपाल यादव और उनके बेटे अक्षय यादव भी बैठक से दूर रहे.

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मुलायम सिंह यादव
मुलायम सिंह यादव

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सुबह-सुबह समाजवादी पार्टी के लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों को ऐसा सन्देश आया कि वो हैरत में पड़ गए. दरअसल, समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के दफ्तर का संदेश था कि नेताजी ने सभी सांसदों की संसद भवन के पार्टी दफ्तर में बैठक बुलाई है. सपा कुनबे की कलह के बाद से पार्टी के सांसदों की पहली बार संसद में बैठक बुलाई गई, वो भी पार्टी अध्यक्ष से संरक्षक बन चुके मुलायम सिंह की तरफ से.

सांसदों ने सुलह का लगाया अंदाजा

सूत्रों के मुताबिक, कई सांसद उधेड़बुन में थे कि आखिर क्या किया जाए. इसके बाद कुछ ने अखिलेश के करीबी महासचिव रामगोपाल यादव से पूछा. रामगोपाल ने अखिलेश से चर्चा करके सबको सन्देश दिया कि नेता जी हमारे संरक्षक हैं और उन्होंने बैठक बुलाई है तो आप लोग उसमें जाइए. ज्यादातर सांसद आपस में चर्चा करते हुए पहुंचे कि चलिए परिवार में सुलह की शुरुआत तो हुई. कुछ ने ये भी तय किया कि नेताजी से परिवार को एकजुट करके चुनावों के लिए कमर कसने की गुजारिश भी करेंगे.

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मुलायम की बैठक में नहीं आए ये सांसद

हालांकि, सपा की दरार कितनी गहरी है, इसका अंदाजा भी इसी बैठक में नजर आ गया. नेताजी की बुलाई बैठक में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की सांसद पत्नी डिंपल यादव नहीं पहुंची क्योंकि वो दिल्ली में ही नहीं थीं. लेकिन अखिलेश के करीबी रामगोपाल यादव और उनके बेटे अक्षय यादव भी बैठक से दूर रहे. साथ ही रामगोपाल के करीबी नरेश अग्रवाल ने भी नेताजी की बुलाई बैठक से दूर रहना ही मुनासिब समझा. बाकी करीब-करीब सभी सांसदों ने बैठक में हिस्सा लिया. मुलायम परिवार से सांसद धर्मेंद्र यादव भी बैठक में शामिल हुए.

कांग्रेस सपा की दुश्मन: मुलायम

बैठक शुरू होने पर कभी मुलायम को राम और खुद को उनका हनुमान बताने वाले सपा से निकाले गए अमर सिंह के नहीं होने पर सांसदों को लगा कि ये सकारात्मक बात है और परिवार में सुलह के लिए अच्छा संकेत है. मुलायम ने इस बाबत पूछने पर कहा, 'हां मैंने सुबह सांसदों के साथ बैठक की है.' मुलायम ने सांसदों को नसीहत देते हुए कहा कि संसद सत्र के दौरान भी शनिवार-रविवार के दिन सांसदों को अपने क्षेत्र का दौरा करना चाहिए. सूत्रों के मुताबिक, इसके बाद मुलायम ने वो कहा, जिससे सुलह की उम्मीद को एक बार फिर पलीता लग गया. मुलायम ने कहा कि, कांग्रेस सियासी तौर पर हमारी दुश्मन रही है और उससे समझौता करना हमारी पार्टी की बड़ी भूल रही.

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क्या 2019 में होगा महागठबंधन?

मुलायम का ये वो बयान है जो अखिलेश की सियासी लाइन के उलट तो है, अखिलेश के फैसले को भी गलत ठहरा रहा है. आखिर अखिलेश तो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ तालमेल के बावजूद बड़ी हार के बाद भी हर बड़े मौके पर कांग्रेस के साथ ही दिखे हैं. फिर चाहे वो राष्ट्रपति का चुनाव हो या उपराष्ट्रपति का. सूत्रों की मानें तो 2019 के लिए अखिलेश कांग्रेस, सपा और बसपा के महागठबंधन के शुरुआती आईडिया के भी साथ हैं. ऐसे में अभी कई अनसुलझे सवाल हैं जो मुंह खोलकर सामने खड़े हैं. आखिर शिवपाल का क्या होगा? अखिलेश क्या अध्यक्ष पद मुलायम को सौंपेंगे? क्या मुलायम के बार-बार कहने पर अखिलेश रामगोपाल को किनारे करेंगे? सपा को पहले साफगोई से इन सवालों के जवाब तलाशने होंगे, तभी सुलह की गुंजाइश हो पाएगी वरना दिल बहलाने के लिए बैठक का सियासी खेल सिवाय फिक्सिंग से ज्यादा कुछ नहीं होगा.

 

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