रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सोमवार को अचानक ही राज्य कोऑपरेटिव बैंकों को नोट बदलने पर रोक लगा दी. RBI ने सर्कुलर जारी कर साफ कर दिया कि राज्य कोऑपरेटिव बैंक से पैसे तो निकाले जा सकते हैं लेकिन ये बैंक न तो नोट बदल सकेंगे ना जमा कर सकेंगे. इस सर्कुलर के बाद से उत्तर प्रदेश राज्य कोऑपरेटिव बैंकों में हड़कंप मचा हुआ है.
शिवपाल ने लिखा RBI को पत्र
इस बैन की बड़ी वजह है बैंकों पर सिय़ासी दलों का नियत्रंण है, ज्यादातर जिला सहकारी बैकों के चेयरमैन सियासतदान है या उनके परिवार से जुड़े लोग है. खुद शिवपाल यादव के बेटे आदित्य
यादव यूपी कोऑपरेटिव फेडेरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष हैं. शिवपाल यादव ने RBI के इस फैसले के खिलाफ न सिर्फ प्रधानमंत्री बल्कि RBI को पत्र लिखकर इस आदेश को निरस्त करने की
मांग की है.
बिजनौर के जिला सहकारी बैंक के उपमहाप्रबंधक सन्नवर खान ने कहा कि हमें आदेश मिला है कि हम 500-1000 के नोट नहीं बदल सकते और पुराने नोट जमा भी नहीं कर सकते. हमनें अपनी सभी 46 शाखाओं में इस पर रोक लगा दी है, RBI ने रोक क्यों लगाई ये हमे नहीं पता है.
सूत्रों के अनुसार इन बैंकों के ज्यादातर चैयरमेन ओर बोर्ड मेंबर समाजवादी पार्टी के लोग है जो बैंको में अपने नोट बदलवा रहे थे इसी सूचना पर RBI ने इन बैंकों पर पुराने नोट बदलने ओर जमा करने पर प्रतिबंध लगाया है. लेकिन समाजवादी पार्टी इस रोक को राजनीतिक रंजिश बता रही है उसका कहना है कि ये प्रधानमंत्री ने जानबूझकर लगाया जिससे किसान परेशान हो जाये क्योंकि इन बैंकों में 70 प्रतिशत ग्राहक किसान ही है.
यहां के बैंक डायरेक्टर और सपा जिला अध्यक्ष अनिल यादव का कहना है कि जो बैंक पर रोक लगाई गई है ये प्रधानमंत्री का गलत कदम है इस बैंक से ज्यादातर किसान जुड़े जब उनको पैसा नहीं मिलेगा तो वो परेशान होंगे ओर वो आत्महत्या जैसा कदम भी उठा सकते है. उन्होंने बैंक के चैयरमेन ओर सदस्यों पर बैंक से नोट पर बदलवाने के आरोप को झूठा औऱ राजनीतिक रंजिश के तहत बताया कहा कि हमारे प्रदेश के सभी चेयरमेन बिलकुल ईमानदारी से काम कर रहे क्योंकि मुख्यमंत्री का यही संदेश है.
11 करोड़ किसान प्रभावित
जिला सहकारी बैंकों के लिए RBI के नए सर्कुलर के बाद 500/1000 की पुरानी करेंसी डिपाजिट और एक्सचेंज बंद करने से इन बैंकों में कामकाज ठप्प हो गया. 14 नवंबर को आरबीआई ने
देश के सभी कोआपरेटिव बैंकों को नए आदेश देते हुए पुराने 500 और 1000 के नोट लेने पर प्रतिबंध लगा दिया था. बांदा डिस्ट्रिक्ट कोआपरेटिव बैंक ने RBI को लिखे अपने पत्र में इस
फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है. बांदा कोआपरेटिव बैंक के चेयरमैन गौरव यादव ने बताया कि इससे पूरे देश में करीब 11 करोड़ किसान सीधे प्रभावित होंगे, उपमहाप्रबंधक विनोद
कुमार मिश्र ने बताया कि इस फैसले से उनके करीब 1.5 लाख से अधिक खाताधारकों को दिक्कत आएगी.
40 बैंको के अध्यक्ष सपा से
इस समय यूपी में कुल 50 जिला कोऑपरेटिव बैंक है, जबकि 7 नॉन शेड्युल कोऑपरेटिव बैंक औऱ 1 राज्य कोऑपरेटिव बैंक है और इनमें से ज्यादातर बैंकों के चेयरमैन समाजवादी पार्टी के
या विधायक है, जिलाध्यक्ष है या फिर किसी नेता के बेटे-बेटी. सूत्रों के मुताबिक 58 बैंको में में 40 से ज्यादा जिला कोऑपरेटिव बैंको के चेयरमैन के पद पर समाजवादी पार्टी के लोग है। आज
शिवपाल यादव ने कोऑपरेटिव बैंकों में पैसे जमा नहीं करने और नोट नहीं बदलने पर पार्टी कार्यकर्ताओं के जमकर भड़ास निकाली औऱ उसके बाद प्रेसनोट जारी कर बताया कि उन्होंने
प्रधानमंत्री और आरबीआई गवर्नर को पत्र लिखकर आदेश वापस लेने की मांग की है.
समाजवादी पार्टी ने आज कहा कि इससे गरीबों और किसानों का भयंकर नुकसान हो रहा है इसलिए इसे तुरंत वापस लिया जाए, रही बात समाजवादी पार्टी से जुड़ अध्यक्षों की तो ये पुरानी परंपरा है और किसी दल विशेष से जुड़े होने की वजह से किसी बैंक के लेन देन पर बैन नहीं लगाया जा सकता.