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लखनऊ: गोसाईगंज जेल की ये महिला कैदी हैं 'पैड वूमन', दे रही हैं सपनों को उड़ान

जेल में कैद होकर भी महिला कैदी अपने सपनों को उड़ान देने के लिए प्रयास कर रही हैं. इन महिलाओं को 'पैड वूमन' कहते हैं, क्योंकि ये सैनिटरी पैड तैयार कर रही हैं, जो जेल के साथ ही बाहर भी भेजे जाते हैं.

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प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो
स्टोरी हाइलाइट्स
  • गोसाईगंज जेल में बंद हैं 203 महिला कैदी 
  • सैनिटरी पैड के साथ बनाती हैं कपड़े के थैले
  • जेल प्रशासन द्वारा की जा रही इनकी मदद 

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस  8 मार्च को है. महिलाओं के हौसले और उनकी सफलता की कहानियां तो आप सुनते होंगे, लेकिन हम आपको बताने जा रहे हैं राजधानी लखनऊ के गेसाईगंज जेल यानी नारी निकेतन में बंद महिलाओं की कहानी. चारदीवारी में कैद ये महिलाएं अपने समय का सदपुयोग करते हुए खाली टाइम में सैनिटरी पैड तैयार करती हैं. इस सैनिटरी पैड का इस्तेमाल जेल में बंद महिलाएं तो करती ही हैं, इसके अलावा इसे पूरे प्रदेश में भेजा जाता है.

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लखनऊ की गोसाईगंज जेल यानी कि नारी निकेतन बंदी गृह में 203 महिलाएं बंद हैं. इनमें से कई महिलाएं हत्या के दोष में आजीवन कारावास भी काट रही हैं. बड़ी बात यह है कि ये अपना गुजारा करने के लिए यहां पर कार्य करती हैं. सैनिटरी पैड बनाकर ये खुद की मदद करती हैं.

उम्र कैद की सजा काट रही महिलाएं सैनिटरी पैड की कमाई से अपना गुजारा चलाती हैं. उनका मानना है उनका जीवन इन दीवारों के बीच कटेगा, लेकिन वे उन महिलाओं के लिए कार्य करना चाहती हैं जो शायद शुरुआत से ही सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करती हैं.

नारी निकेतन बंदी गृह में बंद महिलाएं सैनिटरी पैड के साथ कपड़े के थैले और अन्य सामान भी बनाती हैं. नारी बंदी गृह की अधीक्षिका नयन तारा बनर्जी ने बताया कि यह उत्तर प्रदेश की एकमात्र जेल है, जहां पर महिला बंदी रहती हैं. उन्होंने बताया कि यहां 203 महिलाएं हैं और उनके 9 बच्चे भी यहां साथ रहते हैं.

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उन्होंने बताया कि इन महिला बंदियों द्वारा सैनिटरी पैड बनाए जाते हैं. ये पैड विभिन्न फैक्ट्री के लिए भेजे जाते हैं, जहां से ये पूरे प्रदेश में सप्लाई होती हैं. इसके साथ ही सिलाई कढ़ाई का काम भी इनके द्वारा किया जाता है. 

 

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