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सवर्णों के बंद को मायावती ने बताया BJP-आरएसएस की चुनावी साजिश

सवर्ण समुदाय ने बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में प्रदर्शन किया. इसके चलते स्कूल और बाजार बंद रहे. इस बंद के चलते कई जिलों में कारोबार भी काफी प्रभावित हुआ. इसी मुद्दे पर मायावती ने प्रतिक्रिया जाहिर की है.

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बसपा प्रमुख मायावती
बसपा प्रमुख मायावती

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उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री एवं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने सवर्ण संगठनों द्वारा एससी-एसटी अधिनियम के विरोध में किए गए विरोध प्रदर्शन को राजनीतिक स्टंट करार दिया है. उन्होंने जारी बयान में कहा कि चुनाव के मद्देनजर ऐसे हथकंडे अपनाकर आरएसएस और भाजपा लोगों को जातियों में बांटना चाहते हैं.

मायावती ने आरोप लगाया कि आज जिस तरीके भाजपा और उनके लोग एससी/एसटी एक्ट का विरोध कर रहे हैं, उसी तरह इस भगवा पार्टी ने मंडल आयोग की सिफारिशों का विरोध किया था. उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की तरह ही भाजपा ने 1990 में ओबीसी को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण वाले मंडल आयोग की सिफारिशों का विरोध किया था.

मायावती ने कहा, 'हम ऐसे लोगों से सहमत नहीं हैं, जो एससी-एसटी अधिनियम का विरोध कर रहे हैं. उन्होंने अपने मन में गलत धारणा बना ली है कि अधिनियम का दुरुपयोग कर अन्य समुदाय के लोगों का दमन किया जाएगा.'  

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उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि बसपा सर्व समाज और समभाव की भावना रखती है. बसपा ने ही सबसे पहले आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को आरक्षण देने की मांग की थी. उन्होंने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश में बसपा की सरकार के दौरान बहाली पर से रोक हटाकर सामान्य वर्ग के लोगों को सरकारी नौकरी के मौके दिए गए थे. मायावती ने कहा कि प्रदेश में गुरुवार को सवर्णों का बंद भाजपा की ओर से प्रायोजित था. वास्तव में बंद के नाम पर ज्वलंत मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाया जा रहा है.

बता दें कि सवर्ण समुदाय ने बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में प्रदर्शन किया. कई जगह आगजनी हुई, ट्रेनों को रोका गया और सड़कें जाम की गईं. स्कूल और बाजार बंद रहे. इस बंद के चलते कई जिलों में कारोबार भी काफी प्रभावित हुआ.

बसपा प्रमुख की अपील

मायावती ने दलितों और पिछड़ों को किसी भी बहकावे में ना आने की अपील की है. उन्होंने पार्टी के कार्यकर्ताओं को आगाह किया कि चुनाव से ठीक पहले इस प्रकार से हिंदू-मुस्लिम सांप्रदायिक तनाव व हिंसा फैलाकर भाजपा अपनी चुनावी रोजी-रोटी सेंकना चाहती है. इसलिए सब समाज में खासकर दलितों-आदिवासियों पिछड़ों और सामान समाज के लोगों से अपील है कि वह इस प्रकार की घिनौनी साजिशों का शिकार न बनें.

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