scorecardresearch
 

यमुना एक्सप्रेस वे पर जमकर लूट, मनमाने तरीके से वसूले जा रहे पैसे

यूपी में बीएसपी सरकार के वक्त शुरू हुए  यमुना एक्सप्रेस-वे  को बनाने के नाम पर दिल खोल कर सरकारी खजाने का दुरुपयोग किया गया था. ये खुलासा हुआ है कि सीएजी की एक रिपोर्ट में. रिपोर्ट के मुताबिक एक्सप्रेस वे को बनाने वाली कंपनी को मनमाने तरीके से टोल टैक्स वसूलने की इजाजत दी गई.

Advertisement
X
यमुना एक्सप्रेस-वे
यमुना एक्सप्रेस-वे

यूपी में बीएसपी सरकार के वक्त शुरू हुए यमुना एक्सप्रेस वे को बनाने के नाम पर दिल खोल कर सरकारी खजाने का दुरुपयोग किया गया था. ये खुलासा हुआ है कि सीएजी की एक रिपोर्ट में. रिपोर्ट के मुताबिक एक्सप्रेस वे को बनाने वाली कंपनी को मनमाने तरीके से टोल टैक्स वसूलने की इजाजत दी गई.

Advertisement

यमुना एक्सप्रेस वे पर विकासकर्ता कंपनी टोल के रूप में आम आदमियों से जो पैसे वसूल करती है, शासन द्वारा इसकी अनुमति देने के पीछे कोई तर्क नहीं था. सीएजी ने कहा है की टोल संग्रह का निर्धारण इस तरह होना चाहिए कि कंपनी का संचालन रखरखाव लागत को पूरा करने में सक्षम हो. साथ ही टोल संग्रह कंपनी के लिए पहले से स्वीकृत लाभ सीमा 26 प्रतिशत के ऊपर अतिरिक्त लाभ का जरिया न बन जाये. लेकिन सरकार ने पहले से कंपनी को उच्चस्तरीय लाभ प्राप्त होने के बावजूद ऐसी टोल दरें तय की जो संचालन व रख-रखाव खर्च घटाने के बाद भी कंपनी को 26 प्रतिशत से अधिक आय देगी. कंपनी ने एक्सप्रेस वे वास्तविक संचालन रखरखाव पर अगस्त 2012 से जनवरी 2014 तक 49.03 करोड़ रुपये खर्च किये. इसी अवधि में उसने 167.49 करोड़ का टोल भी वसूला सीधे तौर पे कंपनी को 118.46 करोड़ की आय हुई.

Advertisement

इस रिपोर्ट के अनुसार पूरा एक्सप्रेस-वे नोएडा की एक भूखंड की लागत में तैयार हो सकता था, उसे बनाने वाली कंपनी को एक की जगह चार भूखंड दे दिए गए. साथ ही सरकारी जमीन को कौड़ियों के भाव निजी हाथो में दे दिया गया.

सीएजी की इस रिपोर्ट की माने तो कंपनी ने एक्सप्रेस-वे की जमीन और इसके निर्माण की लागत और अन्य आकस्मिक खर्च पर 4,488 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान लगाया था. 26 प्रतिशत आकर्षक आतंरिक लाभ का प्रस्ताव अलग से था.

विकासकर्ता कंपनी द्वारा पेश एक रिपोर्ट में 2006-07 से 2011-12 के दौरान पांच भूखंडों की बिक्री से 5,125 करोड़ की बिक्री का अनुमान लगाया गया था. एक्सप्रेस-वे की निर्माण लागत को पूरा करने और अपने निवेश पर 26 प्रतिशत आकर्षक लाभ के लिए पर्याप्त था सीएजी ने खुलासा किया है कि कंपनी की एक रिपोर्ट की तैयारी के समय अकेले नोएडा के भूखंड का मूल्य 5718.30 करोड़ था. ये उसकी लागत और 26 प्रतिशत लाभ की रकम से अधिक थी. ऐसे में चार भूखंड कंपनी को खैरात की तरह दे दिए गए.

कंपनी को आवंटित जमीन की रजिस्ट्री पर 9.98 करोड़ की नियम विरुद्ध छूट दिलाई सीएजी के अनुसार स्टांप शुल्क की छूट जरूरत होने पर ही दी जानी थी. साथ ही टेंडर प्रपत्र में इसका प्रावधान होना आवश्यक था क्योंकि टेंडर प्रपत्र में स्टंप शुल्क छूट की कोई शर्त शामिल नहीं थी. इसके बावजूद भारतीय स्टांप अधिनियम की अधिसूचना जारी किये बिना पहले की शुल्क में छूट दे दी.

Advertisement
Advertisement