समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान एक बार फिर यूपी की सियासत में सुर्खियों में हैं. कारण साफ है कि आज से लखनऊ में विधानसभा का सत्र शुरू होना है और 23 महीने जेल में काटने के बाद आजम खान भी राजनीति में फिर सक्रिय देखे जाएंगे. आजम आज विधानसभा में विधायक पद की शपथ ले सकते हैं.
इससे पहले उनके विधानसभा सत्र में शामिल होने को लेकर लगातार संशय बना हुआ था लेकिन अब स्थिति साफ हो चुकी है और देर रात आजम खान अपने बेटे अब्दुल्ला आजम के साथ लखनऊ के लिए रवाना हो गए हैं. लखनऊ जाने से पहले आजम घर से निकले और कुछ दूरी पर स्थित कब्रिस्तान में दफन अपने माता-पिता की कब्र पर गए, जहां पर उन्होंने फातिहा पढ़ी. इन सब के बीच उन्होंने मीडिया के सवालों के जवाब भी दिए हैं.
मेरे सफर का मुझे खुद पता नहीं...
आजम खान ने लखनऊ जाते समय मीडिया से कहा कि अभी पता नहीं, रियली नहीं पता, अपने वालिदैन (मां-बाप) की कब्र पर फातिहा पढ़ूंगा. उन्होंने कहा कि जब मुझे जेल में इंस्पेक्टर यह थ्रेड दे सकता है कि भूमिगत हो जाइएगा. आप पर बहुत मुकदमे हैं ऐसा ना हो कि आपका एनकाउंटर हो जाए. मेरे सामने इतने खतरे हैं तो फिर यह कहना कि मेरा सफर कहां का है मुझे खुद भी नहीं पता है.
आजम ने रामपुर जेल पहुंचकर समर्थकों से मुलाकात की
रविवार को आजम खान अपने घर से चंद फासले की दूरी पर स्थित रामपुर की जिला जेल पहुंचे. यहां उन्होंने जेल में बंद अपने समर्थकों से मुलाकात की. कुछ देर रुकने के बाद वह जेल के बाहर निकले और मीडिया के सवालों का रुंदे गले से जवाब दिया. आजम ने खुद को निराधार आदमी के साथ ही बिना हैसियत का आदमी तक बता डाला. इन सबके बीच उन्होंने अदालत का भी एक बार फिर से शुक्रिया अदा किया है.
बता दें कि 23 महीने बाद आजम खान सीतापुर से रिहा होकर आए हैं. यहां रामपुर की जेल में उनके कई समर्थक बंद हैं. लिहाजा वह अपने घर से निकल कर जिला जेल पहुंचे, जहां पर उन्होंने समर्थकों से मुलाकात की और चंद मिनट बाद जेल के बाहर निकले. आजम ने कहा कि मुझे जो मिला है वह न्यायपालिका से मिला है तभी तो मैं यहां पर खड़ा हूं. उन्होंने बीजेपी पर भी नरम रुख अख्तियार किया और यहां तक कह डाला कि बीजेपी के किसी भी एमपी एमएलए ने कभी भी मेरे बारे में कोई घटिया बात नहीं कही है. वह सिर्फ एक एजेंडा था.
आजम खान ने कहा कि मैं ना किसी के आने पर कोई कमेंट कर रहा हूं, जो आये उनका शुक्रिया, जो नहीं आ सके किन्ही कारणों से उनका भी शुक्रिया. क्योंकि मैं नाराज होने की हैसियत में नहीं हूं, इसलिए मुझे जो राहत मिली है वो न्यायपालिका से मिली है.
दसवीं बार चुना गया, क्यों नहीं जाऊंगा सदन...
आजम खान ने सदन में जाने के सवाल पर कहा- सदस्य तो मैं लोकसभा का भी था और जिन हालात में मैंने चुनाव जीता था, तीन-साढ़े 3 साल में मेंबर ऑफ पार्लिमेंट रहा. इन 2 साल में जेल में था लेकिन मुझे रहने के लिए आवास नहीं दिया गया. आजाद हिंदुस्तान का यह भी एक इकलौता इतिहास है. विधानसभा में मेरे लिए कोई नई जगह नहीं है. दसवीं बार जाऊंगा उस हाउस में. मैं चुना गया हूं. क्यों नहीं जाऊंगा.
मैं खुद निराधार, नाराज होने का आधार चाहिए
आजम खान ने अखिलेश यादव से नाराजगी पर जवाब दिया और कहा- आप से ही सूचना मिल रही है नाराजगी की. मुझे तो कोई वजह समझ नहीं आती. क्योंकि नाराज होने के लिए कोई आधार चाहिए. मैं खुद ही निराधार हूं तो आधार कहां से आएगा. मेरा अपना ही कौन सा आधार है. गरीब आदमी गली में रहने वाला. हां, एक खता हुई थी बच्चों के हाथ में कलम देना चाहा था और चाहा है वह मिशन आज भी जिंदा है. अगर यूनिवर्सिटी गिरा भी दी जाएगी उस पर बुलडोजर चल भी जाएंगे तो टूटे हुए खंडाराहात बनी हुई इमारतों से ज्यादा इतिहास का हिस्सा बनेंगे और लोग उन्हें देखने आया करेंगे.