जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले को लेकर देश भर में शोक का माहौल है. ऐसे में द्वारका शारदापीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने राम जन्मभूमि रामाग्रह यात्रा और शिलान्यास का कार्यक्रम स्थगित कर दिया है. कुंभ नगरी प्रयागराज में हुए परम धर्म संसद में शंकराचार्य ने आगामी 21 फरवरी को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के शिलान्यास करने का ऐलान किया था. जिसके लिए तमाम साधू-संतों को रामाग्रह यात्रा के तहत अयोध्या पहुंचने का आह्वान किया गया था और रविवार को स्वयं शंकराचार्य को इस यात्रा में शामिल होना था.
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के सर सुंदरलाल अस्पताल में भर्ती थे. इस दौरान उन्हें स्वास्थ्य ठीक न होने के चलते यात्रा स्थगित करने की सलाह भी दी जा रही थी, लेकिन वे राजी नहीं थे. लेकिन अस्पताल से काशी के श्रीविद्यामठ लौटे शंकराचार्य को जब पुलवामा में हुई आतंकी घटना और देश की परिस्थितियों से अवगत कराया गया और इस संबंध में अखाड़ा परिषद और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अनुरोध किया, तब उन्होंने कहा हम देश के साथ हैं.
यात्रा के संबंध में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद का प्रतिनिधित्व करने हुए उनके शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि राम जन्मभूमि के संदर्भ में जो निर्णय लिया गया है वह सामयिक और आवश्यक है. लेकिन देश में उत्पन्न हुई इस आकस्मिक परिस्थिति में यह यात्रा कुछ समय तक के लिए स्थगित करने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने बताया कि रामाग्रह यात्रा और शिलान्यास कार्यक्रम इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि अयोध्या में गैर-विवादित अधिग्रहित भूमि उनके मालिकों को दे दी जाए.
लेकिन अदालत ने केंद्र की अर्जी को मूल वाद से जोड़ दिया है. सुप्रीम कोर्ट के इस कदम से उस भूमि के हिंदुओं के हाथ से निकल जाने का खतरा खड़ा हो गया है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा सरकार द्वारा भगवान राम की प्रतिमा स्थापित करने की जो योजना बनाई गई है वह भी शास्त्र सम्मत और सनातन धर्मियों की भावना के विपरीत है.
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि इन सबसे बावजूद आज कश्मीर की आतंकवादी गतिविधियों से देश में युद्ध जैसा वातावरण बन गया है. आतंकवाद से पीड़ित हमारे सैनिकों के परिवार अत्यंत व्यथित हैं. लिहाजा ऐसे में रामाग्रह यात्रा और शिलान्यास का कार्यक्रम पूरे राष्ट्र का ध्यान भटका सकता है. इसलिए शंकराचार्य ऐसा नहीं चाहेंगे कि उनका कोई भी कार्यक्रम राष्ट्रहित में व्यवधान डाले. इसलिए इस यात्रा के अनुकूल नया मुहुर्त निकाल कर इस कार्यक्रम को भविष्य में पूरा किया जाएगा.
इसके साथ ही शंकराचार्य ने संतों और रामभक्तों से अपील की है कि जो इस अभियान के लिए अपने घरों से निकल चुके है और प्रयाग या अन्य जगहों पर पहुंच चुके हैं वो संगम स्नान करके अपने घर वापस चले जाएं.