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स्कूलों की बदहाली पर याचिका दाखिल करने वाला शिक्षामित्र बर्खास्त

सरकारी स्कूलों की दुर्दशा उजागर करने वाले शिक्षा मित्र शिव कुमार पाठक को बर्खास्त कर दिया गया है. उन्हीं की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने अफसरों और नेताओं को अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने का आदेश दिया था.

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Allahabad High Court
Allahabad High Court

सरकारी स्कूलों की दुर्दशा उजागर करने वाले शिक्षा मित्र शिव कुमार पाठक को बर्खास्त कर दिया गया है. उन्हीं की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने अफसरों और नेताओं को अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने का आदेश दिया था.

उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर के रहने वाले शिव कुमार पाठक का आरोप है कि बीएसए ने बदला लेने के मकसद से उन्हें सेवामुक्त किया है. हालांकि बेसिक शिक्षा विभाग का कहना है कि शिव कुमार पाठक को लगातार 12 दिनों तक गैरहाजिर रहने की वजह से बर्खास्त किया गया है और ये कार्रवाई हाई कोर्ट के आदेश से एक दिन पहले की गई है.

वहीं शिव कुमार पाठक के वकील का कहना है कि वह इस केस को लेकर हाई कोर्ट के पास गए थे और कोर्ट इस मामले में कार्यवाही कर रहा था, इसलिए बदले की भावना से यह कार्रवाई की गई.

अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाएं अफसर: कोर्ट
गौरतलब है कि शिवकुमार पाठक की याचिका पर ही इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मंगलवार को एक बड़ा फैसला सुनाया था. कोर्ट ने राज्य के सभी सरकारी अधिकारियों को अपने बच्चों को प्राथमिक सरकारी स्कूलों में अनिवार्य रूप से पढ़ाने को कहा है. ऐसा न करने वालों के खिलाफ कोर्ट ने कार्रवाई करने को भी कहा है.

हाईकोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि वह अन्य अधिकारियों से परामर्श कर यह सुनिश्चित करें कि सरकारी, अर्द्धसरकारी विभागों के सेवकों, स्थानीय निकायों के जन प्रतिनिधियों, न्यायपालिका एवं सरकारी खजाने से वेतन, मानदेय या धन प्राप्त करने वाले लोगों के बच्चे अनिवार्य रूप से बोर्ड द्वारा संचालित स्कूलों में शिक्षा प्राप्त करें. ऐसा न करने वालों के खिलाफ दण्डात्मक कार्रवाई की जाए. यदि कोई कान्वेंट स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए भेजे तो उस स्कूल में दी जाने वाली फीस के बराबर धनराशि उसके द्वारा प्राप्त सरकारी खजाने में प्रतिमाह जमा कराई जाए.

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