लखनऊ में गुरुवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव चुनाव प्रचार के लिए अपना रथ लेकर निकलेंगे. अखिलेश यादव और उनके समर्थकों ने इसके लिए ज़बरदस्त तैयारियां की हैं. लखनऊ से लेकर उन्नाव तक पूरी सड़कों को अखिलेश यादव के बैनर पोस्टर से सजा दिया गया है. लेकिन तमाम रंग-बिरंगे बैनर पोस्टर और होर्डिंग भी समाजवादी पार्टी के बीच की खाई ढक नहीं पाई. मंगलवार को यह बात साफ हो गई कि अखिलेश यात्रा पर तो जरूर निकल रहे हैं लेकिन अपने रथ के सारथी वह खुद ही होंगे, पार्टी उनके पीछे मजबूती से नहीं होगी.
यह बात उस वक्त साफ हो गई जब मंगलवार को प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव पार्टी के दफ्तर में अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे.
इस बैठक का मकसद था अखिलेश की रथयात्रा के 2 दिन बाद यानी 5 तारीख को होने वाले समाजवादी पार्टी के रजत जयंती समारोह की तैयारियों का जायजा लेना.
पूरी बैठक में समाजवादी पार्टी के यूथ विंग के लोग बैठे थे. लेकिन पूरी बैठक में अखिलेश यादव का कहीं जिक्र तक नहीं हुआ और ना ही उनकी रथ यात्रा को सफल बनाने के लिए कार्यकर्ताओं को कोई संदेश दिया गया.
हाल तक शिवपाल यादव अखिलेश यादव सरकार के वरिष्ठ मंत्री थे जिनके पास कई महत्वपूर्ण विभाग थे. लेकिन शिवपाल यादव ने पूरी बैठक में कहीं भी अखिलेश यादव की सरकार के कामकाज के बारे में कोई बात नहीं की. बल्कि उन्हें कार्यकर्ताओं से यह भी कह दिया यहां बहुत से लोग ऐसे बैठे हैं जो समाजवादी पार्टी में हो कर भी सत्ता का मजा नहीं ले सके.
शिवपाल यादव ने नाम लिए बिना रामगोपाल यादव और अखिलेश यादव पर निशाना साधा.
शिवपाल यादव ने कहा कि निजी स्वार्थ के लिए कुछ लोग पार्टी के हित की बलि दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि जान बूझकर समाजवादी पार्टी के दूसरे दलों से विलय और गठबंधन पर रोडे अटकाए गए. शिवपाल यादव ने कहा कि अगर बिहार चुनाव के समय ही महागठबंधन हो जाता, तो आज मुलायम सिंह का कद कुछ और होता. शिवपाल यहीं नहीं रुके और कहा कि पार्टी के भीतर भी षड्यंत्र करने वाले लोग बैठे हैं और उनसे सावधान रहने की जरुरत है.
शिवपाल यादव से जब पूछा गया कि क्या वह अखिलेश यादव के रथ यात्रा कार्यक्रम में जाएंगे या नहीं तो शिवपाल ने इसका कोई साफ जवाब नहीं दिया. अगर मुलायम सिंह या शिव पाल यादव अखिलेश की रथ यात्रा में नहीं जाते हैं, तो पार्टी के भीतर की फूट खुलकर सामने आ जाएगी.