शिवपाल यादव ने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को खुली चुनौती देते हुए कहा है कि अखिलेश 5 जुलाई तक मुलायम को पार्टी सौंप दें नहीं तो वे 6 जुलाई को 'समाजवादी सेकुलर मोर्चा' बनाएंगे.
पार्टी से नाराज चल रहे शिवपाल यादव ने बुधवार को अखिलेश यादव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. पत्रकारों से औपचारिक बातचीत ने साफ कहा कि अगर अखिलेश यादव में जरा भी नैतिकता बची है और अगर वो पार्टी बचाने के हिमायती हैं तो 5 जुलाई तक नेताजी को आगे कर और उन्हें पार्टी की कमान सौंपे नहीं तो विकल्प देखने को तैयार रहें.
शिवपाल यादव अखिलेश के खिलाफ यहीं नहीं रुके. उन्होंने नसीहत दी कि अब भी वक्त है वह सुधर जाएं, अगर सुधर गए तो पार्टी बच जाएगी और समाजवादी फिर से एक हो जाएंगे लेकिन अगर वह अभी नहीं सुधरे और चापलूसों और दलालों के चंगुल मे फंसे रहे तो उनके पास सेकुलर मोर्चा बनाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं होगा.
शिवपाल यादव ने कहा कि मुलायम सिंह यादव इस सेकुलर मोर्चे की अगुवाई करेंगे और वह संयोजक होंगे. फिलहाल पार्टी के भीतर रहते हुए मोर्चा बनाया जाएगा जिसके तले सभी समाजवादियों को एक करने की कोशिश होगी मुलायम सिंह यादव खुद ही इस की कमान संभालेंगे और सभी बिखरे हुए सभी समाजवादी धारा के लोग इस सेकुलर मोर्चे के नीचे आएंगे.
शिवपाल यादव ने कहा कि अखिलेश यादव ने हार कर भी कोई सबक नहीं सीखा है. अगर वो चापलूस और दलालों से खुद को अलग कर लें और समाजवादियों से खुद को जोड़ लें तो पार्टी फिर से एक हो सकती है.
शिवपाल ने कहा कि बिना मुलायम सिंह के कोई समाजवादी पार्टी या गठबंधन नहीं हो सकता. ऐसे में जरूरत है नेता जी के नेतृत्व को आगे करने की, रही बात मेरी तो मैं सबसे पीछे खड़ा होऊंगा अगर आज भी दोनों एक हो जाएं. उन्होंने यह भी कहा कि अगर परिवारिक हो जाए तो पार्टी को एक होने में वक्त नहीं लगेगा.
हालांकि अखिलेश के रुख को देखते हुए शिवपाल यादव ने समाजवादी सेकुलर मोर्चे को लेकर कोशिशें तेज कर दी हैं. वह सभी 75 जिलों में दौरे करने जा रहे हैं और नाराज समाजवादियों को जोड़कर सेकुलर मोर्चे की तैयारी में जुटेंगे.
योगी की तारीफ
शिवपाल यादव ने योगी सरकार के कामकाज पर फिलहाल टिप्पणी करने से मना कर दिया. उन्होंने कहा अभी 6 महीने इस सरकार को दिया जाना चाहिए. लेकिन उन्होंने इस बात की तारीफ जरूर की कि योगी में इच्छा शक्ति दिखाई दे रही है और वह कुछ अलग करना चाहते हैं ऐसे में वक्त दिया जाना जरूरी है.
बहरहाल इस बात की औपचारिक घोषणा भले ही न हो लेकिन समाजवादी पार्टी भीतर से टूट चुकी है और अब उसे नए रुप में पेश करने की तैयारी हो रही है.