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इससे तो अच्छा पार्टी से ही निकाल देते... शिवपाल यादव की अखिलेश को दो टूक

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा है. आजादी वाले पत्र पर साफ कह दिया गया है कि ये सब कुछ अपरिपक्वता का प्रमाण है. उनकी तरफ से इस बात पर भी जोर दिया गया है कि पार्टी को उन्हें विधानमंडल दल से निकाल देना चाहिए.

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सपा प्रमुख अखिलेश यादव और शिवपाल यादव
सपा प्रमुख अखिलेश यादव और शिवपाल यादव
स्टोरी हाइलाइट्स
  • शिवपाल बोले- ऐसे पत्र अपरिपक्वता का प्रमाण
  • ओपी राजभर ने भी 'तलाक' पर लगाई मुहर

सपा प्रमुख अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद से ही दोनों के रिश्तों में और ज्यादा दूरियां बढ़ गई हैं. अब हाल ही में शिवपाल यादव ने कह दिया था कि सपा में उन्हें उचित सम्मान नहीं मिल रहा. सपा ने ट्वीट कर इसका जवाब भी दे दिया कि जहां ज्यादा सम्मान मिले, वहां जाया जा सकता है.

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अब इस आजादी वाले बयान ने शिवपाल यादव को और ज्यादा नाराज कर दिया है. उन्होंने साफ कर दिया है कि ऐसे बयान अपरिपक्वता का प्रमाण देते हैं. वे कहते हैं कि मुझे पता चला है कि मुझे अब आधिकारिक तौर पर आजाद कर दिया गया है. ये उनकी अपरिपक्वता का प्रमाण है. जब मैंने चुनाव लड़ा था, अपनी पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. उस समय सपा की सदस्यता ली थी. अच्छा होता अगर वे मुझे पार्टी और विधानमंडल दल से निकाल देते.

इस समय शिवपाल यादव के अलावा ओपी राजभर से भी अखिलेश की तनातनी शुरू हो चुकी है. जिस तरह से सपा की तरफ से शिवपाल यादव को आजादी वाला पत्र दिया गया था, ऐसा ही एक पत्र ओपी राजभर को भी भेजा गया. उस पत्र पर राजभर साफ कह गए कि उन्हें भी ये तलाक मंजूर है. मतलब स्पष्ट है कि विधानसभा चुनाव में हार के बाद सपा द्वारा बनाया गया गठबंधन टूटने की कगार पर आ गया है. शिवपाल को अलग होने का विकल्प दिया गया है तो राजभर को भी संकेत दे दिए गए हैं.

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शिवपाल यादव की नाराजगी तो काफी समय से देखने को मिल रही है. पहले उन्हें विधायक मंडल की बैठक में ना बुलाना, फिर राष्ट्रपति चुनाव में सपा का यशवंत सिन्हा का समर्थन करना, कई ऐसे मुद्दे रहे जिस वजह से शिवपाल अपने ही भतीजे से खफा नजर आए. अब जब बात बिगड़ने लगी तो सपा ने खुद ही शिवपाल को बाहर का रास्ता दिखा दिया. शिवपाल की तरफ से खुलकर तो कुछ नहीं बोला गया है, लेकिन इतना जरूर है कि उन्होंने एक बार फिर अखिलेश यादव के फैसलों को अपरिपक्वता का प्रमाण बता दिया है.

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