उत्तर प्रदेश में नया सियासी ठिकाना खोज रहे प्रगतिशील समाज पार्टी के नेता शिवपाल यादव राममय नजर आ रहे हैं. शिवपाल यादव अपने ट्वीट के लिए राजनीतिक संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं. विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद शिवपाल यादव का अपने भतीजे अखिलेश यादव से मोह भंग हो चुका है और वे अपने लिए एक ऐसा राजनीतिक प्लेटफॉर्म ढूंढ़ रहे हैं जहां उनकी राजनीतिक महात्वाकांक्षा परवान चढ़ सके.
शिवपाल यादव आजकल बीजेपी पर जमकर प्यार लूटा रहे हैं. चुनाव से पहले बीजेपी पर हमलावर रहने वाले शिवपाल यादव ने पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ को फॉलो करना शुरू कर दिया है. इससे अनुमान लगाये जाने लगा और चर्चा होने लगी कि शिवपाल यादव बीजेपी में शामिल हो सकते हैं.
इस बीच शिवपाल यादव ने नवरात्रि में भगवान राम को लेकर ऐसा ट्वीट किया है कि शिवपाल और बीजेपी की नजदीकियों को और बल मिला है. बता दें कि राम उत्तर प्रदेश में बीजेपी की राजनीति के मुख्य चरित्र हैं. शिवपाल यादव ने रामचरित मानस की पंक्तियाों को अपने ट्वीट में लिखा है. उन्होंने लिखा है, "प्रातकाल उठि कै रघुनाथा। मातु पिता गुरु नावहिं माथा॥ आयसु मागि करहिं पुर काजा। देखि चरित हरषइ मन राजा॥"
प्रातकाल उठि कै रघुनाथा। मातु पिता गुरु नावहिं माथा॥ आयसु मागि करहिं पुर काजा। देखि चरित हरषइ मन राजा॥
भगवान राम का चरित्र 'परिवार, संस्कार और राष्ट्र' निर्माण की सर्वोत्तम पाठशाला है। चैत्र नवरात्रि आस्था के साथ ही प्रभु राम के आदर्श से जुड़ने व उसे गुनने का भी क्षण है। pic.twitter.com/yDmjA7Cgns— Shivpal Singh Yadav (@shivpalsinghyad) April 4, 2022
रामचरित मानस की इन पंक्तियों का मतलब है, "रघुनाथ यानी कि भगवान राम प्रातःकाल उठकर माता-पिता और गुरु को मस्तक नवाते हैं और आज्ञा लेकर नगर का काम करते हैं. उनके चरित्र देख-देखकर राजा मन में बड़े हर्षित होते हैं."
शिवपाल यादव ने आगे लिखा है कि भगवान राम का चरित्र 'परिवार, संस्कार और राष्ट्र' निर्माण की सर्वोत्तम पाठशाला है. चैत्र नवरात्रि आस्था के साथ ही प्रभु राम के आदर्श से जुड़ने व उसे गुनने का भी क्षण है.
शिवपाल यादव रामचरित मानस के पात्रों का उदाहरण देकर पहले भी अखिलेश पर अपना तंज निकाल चुके हैं. इटावा में शिवपाल ने कुछ दिन पहले कहा था कि कभी कभी परिस्थितियां विपरीत होती हैं, भगवान राम का राजतिलक होने वाला था, लेकिन उनको वनवास जाना पड़ा. इतना ही नहीं हनुमान की भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण थी क्योंकि अगर वह नहीं होते, तो राम युद्ध नहीं जीत पाते.
बता दें कि चर्चा है कि बीजेपी शिवपाल यादव को केंद्र या राज्य में अहम जिम्मेदारी दे सकती है.