अपने भतीजे और सपा प्रमुख अखिलेश यादव से नाराज शिवपाल यादव के बीजेपी में जाने की अटकलें तेज हैं, लेकिन अभी तक उनकी एंट्री को लेकर तस्वीर साफ नहीं है. शिवपाल भले ही सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद 'राममय' हो चुके हों, लेकिन बीजेपी की ओर से उन्हें कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया गया है. ऐसे में सब कुछ परिस्थितियों के आधार पर और आजमगढ़ लोकसभा सीट के उपचुनाव नतीजे के बाद ही शिवपाल यादव की भूमिका तय होगी.
सपा के टिकट पर भले ही शिवपाल यादव विधायक बने हों, लेकिन अखिलेश यादव उन्हें सहयोगी दल के तौर पर ही मान रहे हैं. ऐसे में शिवपाल यादव ने विधायक पद की शपथ लेने के बाद से कई ऐसे सियासी संकेत दिए हैं, जिससे माना जा रहा है कि देर-सबेर बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. सपा प्रमुख अखिलेश यादव से नाराजगी जाहिर करने से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात और फिर राम दरबार की एक फोटो शेयर कर चौपाई के जरिए 'रामभक्ति' कर शिवपाल यादव भगवा रंग चढ़ने का संकेत दे रहे हैं.
शिवपाल यादव ने रामायण की चौपाई शेयर करते हुए भगवान राम को परिवार, संस्कृति और राष्ट्र निर्माण के लिए सबसे अच्छा स्कूल बताया. शिवपाल नवरात्रि के बाद कुछ बड़ा सियासी फैसला लेंगे. इतना ही नहीं तीन दिन पहले शिवपाल यादव ट्विटर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को फॉलो कर चुके हैं. इन सबके बीच सबसे बड़ी बात शिवपाल का यह कह देना कि वह यह नहीं कह सकते कि बीजेपी में जाएंगे या नहीं. इस तरह उन्होंने राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की है.
माना जा रहा है कि शिवपाल यादव 'रामभक्ति' के जरिए अपनी सियासी इमेज बदलने की कोशिश कर रहे हैं. यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने शिवपाल को राम भक्त होने पर बधाई दी है, लेकिन बीजेपी में उनकी एंट्री पर सस्पेंस बना हुआ है. ऐसे में शिवपाल को लेकर तमाम तरह की सियासी अटकलें लगाई जा रही हैं, जिनमें आजमगढ़ लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने से लेकर विधानसभा उपाध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य तक बनाए जाने की चर्चांएं चल रही हैं.
शिवपाल यादव को बीजेपी विधानसभा का उपाध्यक्ष बनाने का दांव चल सकती है. हालांकि इसकी औपचारिक चर्चा अभी कहीं नहीं हुई है, लेकिन पिछले कार्यकाल के आखिर में बीजेपी ने जिस तरह से सपा के तत्कालीन विधायक नितिन अग्रवाल को इस कुर्सी पर बैठाया था. उसी तर्ज पर शिवपाल को उपाध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा है. विधानसभा सदन के भीतर रहते हुए यह शिवपाल यादव के कद के मुताबिक ये पद होगा, लेकिन फिलहाल इस पर कोई आखिरी फैसला नहीं हुआ है.
दूसरी सबसे बड़ी चर्चा है शिवपाल अगर बीजेपी में आते हैं तो पार्टी उन्हें राज्यसभा भेज सकती है. हालांकि, शिवपाल की भूमिका आजमगढ़ संसदीय सीट उपचुनाव नतीजों के बाद तय होगा. ऐसे में कयास लगाया जा रहा कि शिवपाल यादव को बीजेपी आजमगढ़ सीट से चुनाव लड़ने को कह सकती है. अखिलेश यादव के आजमगढ़ संसदीय सीट छोड़ने के बाद यह सीट खाली हुई है. इस बात की उम्मीद कहीं ज्यादा है कि बीजेपी शिवपाल यादव को चुनाव में उतारकर आजमगढ़ सीट पर भगवा लहराने का दांव चल सकती है.
मुलायम सिंह की सियासी वारिस के तौर पर अखिलेश यादव के स्थापित होने के बाद सपा में अब शिवपाल यादव के लिए कुछ खास बचा नहीं है. शिवपाल के सामने अपने साथ-साथ अपने बेटे आदित्य यादव के सियासी भविष्य को सुरक्षित करने की चुनौती है. ऐसे में सियासी कयासों का बाजार गर्म है और शिवपाल यादव भी अपनी भूमिका को लेकर पशोपेश में हैं. ऐसे में बीजेपी के उच्च सूत्रों की मानें तो अभी शिवपाल यादव को कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया गया है. सब कुछ परिस्थितियों पर निर्भर करेगा. इस तरह शिवपाल यादव की एंट्री पर सस्पेंस बना हुआ है?