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सपा गठबंधन में क्या सब ठीक नहीं? अखिलेश यादव के न्योते पर शिवपाल-जयंत-पल्लवी नहीं आए

उत्तर प्रदेश की सत्ता में वापसी के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने तमाम छोटे दलों के साथ गठबंधन किया था, लेकिन अब नतीजे के बाद सहयोगी दलों के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. अखिलेश द्वारा बुलाई गई सहयोगी दलों की बैठक में शिवपाल यादव शामिल नहीं हुए और न ही उन्होंने विधायक पद की शपथ ली है. ऐसे में क्या फिर से चाचा-भतीजे के बीच रिश्ते बिगड़ रहे हैं?

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शिवपाल यादव और अखिलेश यादव
शिवपाल यादव और अखिलेश यादव
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अखिलेश की बैठक में शामिल नहीं हुए शिवपाल
  • जयंत चौधरी ने बैठक में अपना प्रतिनिधि भेजा
  • पल्लवी पटेल खुद नहीं आईं, अपने पति को भेजा

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के 20 दिन बाद मंगलवार को सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने सहयोगी दलों के साथ बैठक की. अखिलेश के न्योते पर न तो उनके चाचा शिवपाल यादव पहुंचे और न ही राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख जयंत चौधरी. इसके अलावा अपना दल से पल्लवी पटेल भी नहीं पहुंची थी. हालांकि, जयंत ने अपनी जगह अपने प्रतिनिधि के रूप में आरएलडी विधायक दल के नेता को भेजा था. ऐसे में सवाल उठता है कि सपा गठबंधन में क्या सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है? 

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सपा की बैठक में पहुंचे ये सहयोगी दल 

सपा कार्यालय पर सहयोगी दलों के साथ हुई बैठक में सुभासपा से ओमप्रकाश राजभर, जनवादी पार्टी से डॉ. संजय चौहान, महान दल से केशव देव मौर्या, आरएलडी से राजपाल बालियान, अपना दल कमेरावादी से पंकज निरंजन शामिल हुए थे. इस बैठक में सहयोगी दल मिलकर सदन में योगी सरकार को घेरने के रणनीति बनी तो शिवपाल यादव के बैठक में न पहुंचने से सपा गठबंधन की एकता पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं.

शिवपाल यादव फिर सपा से हुए नाराज

सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले शिवपाल यादव और उनके भतीजे अखिलेश यादव बीच रिश्ते फिर से बिगड़ते नजर आ रहे हैं. माना जा रहा है कि शिवपाल एक बार फिर से अखिलेश यादव से नाराज हो गए. नाराजगी भी इस कदर हैं कि उन्होंने अभी तक न तो विधायक पद की शपथ ली है और ना ही अखिलेश यादव के द्वारा बुलाई गई गठबंधन के सहयोगी दल की बैठक में शिरकत की. 

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शिवपाल यादव ने अपनी नाराजगी उस दिन ही जाहिर कर दी थी, जिस दिन समाजवादी पार्टी के विधायक दल की बैठक हुई थी. सपा ने शिवपाल को सपा के विधायक दल की बैठक में शामिल होने का न्योता नहीं दिया गया था. ऐसे में शिवपाल ने कहा था कि वह सपा के सक्रिय सदस्य हैं और समाजवादी पार्टी के चुनाव निशान पर जीतकर विधायक बने हैं. इसके बाद भी ने सपा ने बैठक में नहीं बुलाया जबकि पार्टी के सभी विधायकों को फोन कर निमंत्रण दिया गया. दो दिन तक लखनऊ में रहकर इंतजार कर रहे थे. फिर भी बुलावा नहीं आया तो अब इटावा जा रहे हैं. इसके बाद शिवपाल दिल्ली आकर मुलायम सिंह यादव से मिले. 

चाचा-भतीजे के रिश्ते में क्या फिर दरार

शिवपाल के बयान के बाद सपा की तरफ से सफाई देते हुए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने कहा था कि सहयोगी दलों की जब मीटिंग बुलाई जाएगी तब शिवपाल यादव को बुलाया जाएगा. ऐसे में मंगलवार को सपा ने अपने सहयोगी दलों के नेताओं के साथ उन्हें बुलाया भी गया, लेकिन शिवपाल यादव ने बैठक में शामिल होने के लिए जाना ही बेहतर नहीं समझा और खुद को दिल्ली और इटावा के बीच सीमित कर रखा. ऐसे में क्या एक बार फिर से चाचा-भतीजे के सियासी रिश्तो में दरार की नई पटकथा है? 

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शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के रिश्ते एक बार फिर तल्ख हो चले हैं. शिवपाल यादव के करीबियों की माने चुनाव के समय परिवार और समाज के दबाव की वजह से शिवपाल यादव ने जहर का घूंट पीकर सब कुछ बर्दाश्त कर लिया था, पर अब वो बर्दाश्त नहीं करेंगे और अपने लिए नई सियासी राह तलाशेंगे. आजतक ने शिवपाल यादव से जब ये पूछा था कि बीजेपी के साथ नहीं जाने का उनका संकल्प अब भी बरकरार है तो उन्होंने कहा था कि इस पर कुछ नहीं बोलेंगे. इस तरह से उन्होंने भविष्य के रास्ते का संकेत दे दिया था. 

शिवपाल को सपा में कुछ खास नहीं मिलने वाला

बता दें कि सपा से गठबंधन के बाद शिवपाल ने न सिर्फ अखिलेश को अपना नेता घोषित किया बल्कि यहां तक कहा था कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के लिए हर स्तर पर संघर्ष करेंगे. सपा से गठबंधन के बाद शिवपाल को उम्मीद थी कि उनके नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा जाएगा, लेकिन सिर्फ शिवपाल चुनाव लड़े, वह भी सपा के साइकिल के सिंबल पर. ऐसे में प्रसपा के तमाम वरिष्ठ नेता दूसरे दलों का रुख कर गए. इसके बाद भी शिवपाल चुनाव मैदान में लगे रहे. 

वहीं, अब समाजवादी पार्टी में शिवपाल यादव के लिए फिलहाल कुछ नहीं बचा है. अखिलेश यादव खुद नेता विपक्ष बन चुके हैं और पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव को तो बनाएंगे नहीं. ऐसे में सिर्फ विधायक बने रहना शिवपाल यादव को मंजूर नहीं. ऐसे भी चर्चा है कि शिवपाल यादव न सिर्फ अलग सियासी रास्ता ढूंढ रहे हैं बल्कि उस दिशा में अपने सियासी कदम भी बढ़ा चुके हैं.

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सीएम योगी संग अच्छी है शिवपाल की केमेस्ट्री

शिवपाल यादव ने आजतक से बातचीत करते हुए कहा था कि अब वह फिर से अपने लोगों के बीच जाएंगे और सभी के साथ बातचीत कर आगे की अपनी रणनीति तय करेंगे. चर्चा यह भी है कि शिवपाल यादव शायद समाजवादी पार्टी के विधायक पद की शपथ ना लें और 2024 लोकसभा चुनाव के लिए लिए नई सियासी राह तलाशें. सूबे की सत्ता पर दूसरी बार काबिज हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शिवपाल यादव की केमिस्ट्री पहले से अच्छी रही है और आने वाले दिनों में इस केमिस्ट्री का असर भी दिखाई दे सकता है. 

सपा के सहयोगी दलों की बैठक में शिवपाल ही नहीं बल्कि न तो पल्लवी पटेल शामिल हुई और न ही जयंत चौधरी. हालांकि, जयंत चौधरी ने रालोद विधायक दल के नेता राजपाल बालियान को भेजा था तो पल्लवी पटेल की जगह उनके पति पकंज निरंजन शामिल हुए थे. ओमप्रकाश राजभर ने यह बताया कि पल्लवी पटेल का जन्मदिन था इसलिए वह नहीं आई, लेकिन यह तर्क किसी के गले नहीं उतर रहा. पल्लवी पटेल ने अपनी पार्टी की तरफ से बैठक में अपने पति को प्रतिनिधि के तौर पर भेजा था. ऐसे में सदन से सड़क तक अखिलेश यादव कैसे सहयोगी दलों के साथ मिलकर योगी सरकार को घेरें और 2024 तक क्या गठबंधन को सुरक्षित रख पाएंगे?

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