उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ पर इस वक्त पूरे देश की नजर है. अखिलेश यादव मुलायम से मिले. मुलाकात के बाद सुलह का फॉर्मूला सामने आया. ये तय हो गया कि शिवपाल यादव प्रदेश अध्यक्ष बने रहेंगे, लेकिन टिकट बंटवारे में अखिलेश का भी दखल होगा. अखिलेश मंत्रिमंडल से बर्खास्त किए गए मंत्रियों की वापसी होगी. इसके साथ ही उन्हें अमर सिंह पर कार्रवाई का भरोसा भी दिया गया है.
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया था कि वह सभी पद और विभाग छोड़ने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि टिकट पर फैसले का अधिकार मेरे पास रहे. अखिलेश ने ये भी कहा कि जिस कुर्सी पर बैठा हूं, शायद उसी वजह से झगड़ा है. इसलिए सभी पद छोड़ने के लिए तैयार हूं. उन्होंने साफ किया कि झगड़ा उनकी वजह से नहीं पद की वजह से है. अखिलेश ने ये भी कहा कि उनके और मुलायम सिंह यादव के बीच कोई नहीं आ सकता.
मुख्यमंत्री कार्यालय ने ट्वीट कर इस बाबत पुष्टि की है.
श्री गायत्री प्रजापति मंत्रिपरिषद में शामिल किए जायेंगे।
— CM Office, GoUP (@CMOfficeUP) September 16, 2016
Mr. Gayatri Prajapati will be inducted in the cabinet.
— CM Office, GoUP (@CMOfficeUP) September 16, 2016
श्री शिवपाल सिंह यादव जी को विभाग वापस किए जायेंगे।
— CM Office, GoUP (@CMOfficeUP) September 16, 2016
सुलह के लिए निकला चार फॉर्मूला
कुनबे के कलह को शांत करने के लिए मुलायम सिंह ने चार सूत्र निकाले हैं. इसके तहत शिवपाल को मनाने के लिए जहां उनके करीबी गायत्री प्रजापति को फिर से मंत्री पद देने का वादा किया गया है. हालांकि गायत्री को खनन की बजाय कोई दूसरा विभाग सौंपा जाएगा, वहीं शिवपाल से छीने गए सभी मंत्रालय भी उन्हें वापस किए जाएंगे. अखिलेश को संतुष्ट करने के लिए चुनाव में टिकट बंटवारे का बड़ा जिम्मा उनके कंधों पर होगा, वहीं अमर सिंह पर कार्रवाई का भी भरोसा दिया गया है.
शुक्रवार सुबह पहले शिवपाल यादव और फिर अखिलेश मुलायम सिंह यादव से मिले. इसके बाद मुलायम सिंह पार्टी दफ्तर पहुंचे. मुलायम सिंह ने कहा कि पार्टी में कोई मतभेद नहीं है. गायत्री प्रजापति के खिलाफ हुई कार्रवाई को भी रद्द करने का मुलायम ने ऐलान किया. CM अखिलेश यादव के फैसले को पलटते हुए मुलायम ने ऐलान किया कि गायत्री प्रजापति फिर से मंत्री बनाए जाएंगे.
मुलायम सिंह ने पार्टी दफ्तर में कहा कि अखिलेश उनकी बात नहीं मानेंगे. इसके बाद सीएम अखिलेश यादव का बयान आया. उन्होंने कहा कि नेताजी की बात नहीं टालूंगा. इसके बाद शिवपाल यादव मुलायम सिंह के घर पहुंचे. बाद में अखिलेश यादव भी उनके घर पहुंचे.
शिवपाल का इस्तीफा भी नामंजूर
इससे पहले, मुलायम सिंह यादव ने शिवपाल यादव का सपा प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा नामंजूर कर दिया था. मुलायम सिंह ने शिवपाल के परिवार के सदस्यों का इस्तीफा भी स्वीकार नहीं किया. इस बीच, लखनऊ स्थित पार्टी दफ्तर के बाहर शिवपाल और अखिलेश के समर्थक आमने-सामने आ गए. दोनों पक्षों की ओर से जमकर नारेबाजी हुई. इटावा में भी शिवपाल समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन किया और अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव के खिलाफ नारेबाजी की.
मेरे और नेताजी के बीच कोई बाहरी नहीं: अखिलेश
यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने शुक्रवार को मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की. मुलाकात के बाद अखिलेश ने कहा कि मेरे और नेताजी के बीच कोई बाहरी व्यक्ति नहीं आ सकता. अखिलेश ने कहा कि मैं चाचा शिवपाल यादव और अमर सिंह की दोस्ती के बारे में नहीं बोलूंगा. अखिलेश ने कहा कि चाचा जानते हैं कि चीफ सेक्रेटरी दीपक सिंघल को क्यो हटाया.
गुरुवार रात को शिवपाल के इस्तीफे के बाद से शिवपाल के समर्थकों का जमावड़ा शुरू हो गया था. शुक्रवार सुबह अपने समर्थकों से शिवपाल यादव ने पार्टी दफ्तर लौट जाने की गुजारिश करते हुए कहा कि वहां जाकर नेताजी का इंतजार करें. शिवपाल के समर्थकों ने रामगोपाल यादव के विरोध में नारेबाजी भी की. लेकिन शिवपाल यादव ने कहा कि वो हर हाल में पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के साथ हैं. अभी शिवपाल यादव अपने बेटे आदित्य के साथ मुलायम सिंह से मिलने पहुंचे. मुलाकात के बाद मुलायम सिंह ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से शिवपाल का इस्तीफा नामंजूर कर दिया.
मुलायम सिंह से मिलने जाने के पहले शिवपाल यादव ने कहा था कि 'नेताजी का संदेश, हमारे लिए आदेश है.' इस बीच, मनाने की कोशिशें भी हुईं. यूपी विधानसभा के अध्यक्ष माता प्रसाद पांडे शिवपाल यादव को मनाने उनके घर पहुंचे थे.
मुलायम सिंह के भाई शिवपाल यादव ने गुरुवार को यूपी की अखिलेश सरकार में मंत्री पद और समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. शिवपाल बगावत के मूड में दिखे तो उनके पक्ष में गोलबंदी भी तेज हो गई. लखनऊ में शिवपाल यादव के घर के बाहर सुबह से ही समर्थकों का जमावड़ा लगा हुआ है. शिवपाल के समर्थन में नारेबाजी हो रही है. इस बीच, अखिलेश मंत्रिमंडल से हटाए गए गायत्री प्रजापति ने शिवपाल यादव से मुलाकात की.
We all stand by Netaji (Mulayam Singh Yadav), "unka sandesh humare liye adesh hai": Shivpal Yadav to his supporters pic.twitter.com/gY7S6tzL9J
— ANI UP (@ANINewsUP) September 16, 2016
सरकारी गाड़ी भी छोड़ी
पार्टी और अखिलेश मंत्रिमंडल में सभी पदों से इस्तीफा देने के बाद शिवपाल यादव ने सरकारी गाड़ी भी छोड़ दी है और कहा जा रहा है कि दबाव बनाने के लिए वो अपना बंगला भी खाली कर सकते हैं. शिवपाल यादव ने अभी खुलेआम बगावत का बिगुल नहीं फूंका है, लेकिन उनके समर्थक खासे नाराज़ हैं और इस्तीफा देने के बाद देर रात करीब दर्जनभर विधायक उनसे आकर घर पर मिले.शिवपाल ने रात तो समर्थकों को यह कहकर वापस भेज दिया था कि सुबह देखा जाएगा.
Lucknow (UP): Supporters gather outside Shivpal Yadav's residence after he tendered his resignation, last night. pic.twitter.com/icGkJX6I86
— ANI UP (@ANINewsUP) September 16, 2016
अखिलेश से मिले मुलायम
गुरुवार को जब मुलायम सिंह यादव दिल्ली से लखनऊ पहुंचे थे तो यह माना जा रहा था कि वह शिवपाल यादव और अखिलेश से मिलकर सुलह सफाई का कोई रास्ता निकाल लेंगे. मुलायम सिंह के लखनऊ पहुंचने पर सबसे पहले शिवपाल यादव ने उनसे घर पर जाकर लंबी मुलाकात की.
मुलायम ने नहीं दिया शिवपाल को ठोस आश्वासन
सूत्रों के मुताबिक शिवपाल यादव ने मुलायम सिंह से कहा कि जिस तरह से उनसे मंत्रालय छीना गया है उससे उनका काफी अपमान हुआ है और उन्हें अखिलेश से बात करके इस फैसले को पलटवाना चाहिए. वह मुलायम सिंह से इस बात का भी ठोस आश्वासन चाहते थे कि अगर उन्हें पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है तो फिर उन्हें अपने हिसाब से काम करने की छूट हो और अखिलेश यादव टिकट बंटवारे समेत तमाम कामों में हस्तक्षेप नहीं करें. इस बीच मुलायम सिंह यादव अखिलेश से फोन पर बात कर चुके थे और अखिलेश ने भी साफ शब्दों में कह दिया था कि वह अपना फैसला किसी भी हालत में पलटना नहीं चाहते. मुलायम सिंह यादव ने शिवपाल को कोई ठोस आश्वासन देने के बजाय सिर्फ इतना कहा कि वह मामले को ठीक कर देंगे और वह मंत्री तथा अध्यक्ष के तौर पर काम करते रहें. शिवपाल यादव को यह कतई मंजूर नहीं था कि कमजोर मंत्रालय के साथ वह अखिलेश की कैबिनेट में मंत्री बन कर बैठें. मुलायम सिंह ने शिवपाल को अखिलेश से मिलने की सलाह भी दी.
चाचा-भतीजे में हुए आरोप-प्रत्यारोप
पार्टी चीफ मुलायम सिंह के कहने पर शिवपाल यादव अखिलेश से मिलने पहुंचे लेकिन वहां बात बनने के बजाय और बिगड़ गई. अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल से कहा कि वो उसी अमर सिंह का साथ दे रहे हैं जो हटाए गए मुख्य सचिव दीपक सिंघल के साथ मिलकर उनकी सरकार के खिलाफ साजिश कर रहे थे. इन आरोपों से तिलमिलाकर शिवपाल यादव ने अखिलेश से कहा कि अगर उनके पास कोई ठोस सबूत है तो बताएं. शिवपाल यादव ने यह भी कहा कि कोई कुछ भी कहे- फैसले मुख्यमंत्री को लेने होते हैं. अमर सिंह के बचाव में शिवपाल ने यह भी कहा कि अमर सिंह को पार्टी में लाकर सांसद किसी और ने नहीं बल्कि खुद मुलायम सिंह यादव ने बनाया है. लेकिन चाचा भतीजे की तनातनी इतनी बढी कि सिर्फ 15 मिनट की मुलाकात के बाद शिवपाल यादव बाहर आ गए और अध्यक्ष तथा मंत्री पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया.
पहली बार ऐसा हुआ है कि जब पार्टी के भीतर की खींचतान को काबू पाने में मुलायम सिंह यादव भी अपने आप को बेबस पा रहे हैं. माना जा रहा है कि अगर एक-दो दिन के भीतर मुलायम सिंह यादव स्थिति को संभाल पाने में नाकाम होते हैं तो विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए मुश्किलें बढ़ती जाएंगी.
भाई और बेटे के बीच फंसे नेताजी
बात जब मुलायम सिंह तक पहुंची तो उन्होंने शिवपाल को समझाने की कोशिश की लेकिन तब तक तीर कमान से निकल चुका था. इस्तीफे की खबर फैलते ही शिवपाल यादव के समर्थक देर रात को उनके घर के बाहर इकट्ठा हो गए और शिवपाल यादव संघर्ष करो के नारे लगाने लगे. बाहर आकर शिवपाल यादव ने अपने समर्थकों से सिर्फ इतना कहा कि वह घर जाएं और शुक्रवार को उन लोगों से बात करेंगे. एक तरफ भाई और दूसरी तरफ बेटे की तनातनी के बीच मुलायम सिंह यादव जितने विवश दिख रहे हैं, उतने लाचार वह कभी नहीं दिखे. अगर मुलायम सिंह यादव शिवपाल को इस्तीफा वापस लेने के लिए मना भी लेते हैं तो इतनी बात है कि चुनाव के समय समाजवादी पार्टी को भारी नुकसान हुआ है जिससे उबर पाना पार्टी के लिए बेहद मुश्किल होगा.