बिहार में महागठबंधन की 'महाजीत' को अभी 48 घंटे भी नहीं हुए हैं कि देश में नए राजनीतिक समीकरणों और नई गुंजाइशों पर चर्चा शुरू हो गई है. पड़ोसी राज्य यूपी में 2017 के चुनाव के लिए अभी से सियासी सुगबुगाहट तेज हो गई है. सपा नेता शिवपाल यादव ने सीधे शब्दों में संकेत दिए हैं कि वह और उनकी पार्टी ने राज्य में समाजवादी विचारधारा की पार्टियों को एकजुट करने का काम शुरू कर दिया है.
सपा नेता से जब पूछा गया कि क्या यूपी में बिहार की तर्ज पर गठबंधन का प्रयोग किया जाएगा और क्या सपा, बीएसपी के साथ आएगी तो उन्होंने कहा, 'इस मामले में कोई भी फैसला पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व लेगा. हमने समाजवादी विचारधारा की सभी पार्टियों को साथ लेकर चुनाव लड़ने का काम शुरू कर दिया है. हम कांग्रेस और बीजेपी दोनों से दूर हैं. लेकिन 2017 के विधानसभा चुनावों के लिए हम समाजवादी विचारधारा वाली सभी धर्मनिर्पेक्ष पार्टियों को साथ लेकर 'समाजवादी परिवार' बनाएंगे.'
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जनता परिवार छोड़ने का दुख!
बिहार के चुनावी मझधार में महागठबंधन से अलग होने के सवाल पर शिवपाल ने कहा, 'गठबंधन छोड़ना हमारे राष्ट्रीय नेतृत्व का फैसला था. उस समय कुछ खास परिस्थितियां थीं. मैं इतना जानता हूं कि महागठबंधन जीता है और साम्प्रदायिक शक्तियां परास्त हुईं. साम्प्रदायिक शक्तियों ने पूरे देश का माहौल खराब किया.'
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यूपी को उसका हिस्सा नहीं मिला
सपा नेता ने बीजेपी को निशाने पर लेते हुए कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में जो वादे किए गए, केंद्र सरकार उसे पूरा करने में विफल रही है. उन्होंने कहा, 'बीते डेढ़ साल में बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी जी ने कुछ नहीं किया. प्रधानमंत्री, गृहमंत्री समेत कई मंत्री यूपी से चुनकर गए हैं, लेकिन बावजूद इसके यूपी को उसका हिस्सा नहीं मिल पाया.'
'हमें तैयारी के लिए कम समय मिला'
बिहार चुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रदर्शन को लेकर शिवपाल यादव ने कहा, 'हम बिहार में सिर्फ 50 सीटों पर चुनाव लड़े थे. हमें तैयारी के लिए कम समय मिला, लेकिन फिर भी वोट मिले. समाजवादी पार्टी इन चुनावों में बिहार में अपने पैरों पर खड़ी हो गई.'