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श्रीकृष्ण विराजमान मामले में 6 सितंबर को होगी अगली सुनवाई, कोर्ट ने दिया 4 संस्थाओं को नोटिस

मथुरा की अदालत में बीते 25 सितंबर 2020 को श्रीकृष्ण विराजमान वाद दायर किया गया था. इस वाद में अब तक एक साल में 11 बार सुनवाई हो सकी है,  लेकिन अभी तक जिला अदालत से यह निर्णय नहीं हो सका है कि यह वाद यहां चलने योग्य स्वीकार किया जाएगा या हाई कोर्ट ही इस मामले की सुनवाई कर सकेगा.

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श्रीकृष्ण विराजमान (फाइल फोटो)
श्रीकृष्ण विराजमान (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • वाद को चलते हुए 25 सितंबर को 1 साल हो जाएंगे
  • वाद में कोर्ट ने 4 संस्थाओं को नोटिस दिया
  • अभी तक वाद में 11 तारीख पड़ चुकी हैं

उत्तर प्रदेश के मथुरा में स्थित श्री कृष्ण जन्मभूमि मालिकाना के मामले को लेकर दायर वाद मामला मथुरा के जिला जज की अदालत में विचाराधीन है. इस मामले में 6 सितंबर को सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन एवं विष्णु शंकर जैन, रंजना अग्निहोत्री  ने यह वाद दायर किया था. आपको बता दें कि इस मामले में अब तक 5 वाद दायर किए जा चुके हैं.  यह सभी वाद जिला जज के न्यायालय में विचाराधीन हैं.

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मथुरा की अदालत में बीते 25 सितंबर 2020 को श्रीकृष्ण विराजमान वाद दायर किया गया था. इस वाद में अब तक एक साल में 11 बार सुनवाई हो सकी है,  लेकिन अभी तक जिला अदालत से यह निर्णय नहीं हो सका है कि यह वाद यहां चलने योग्य स्वीकार किया जाएगा या हाई कोर्ट ही इस मामले की सुनवाई कर सकेगा. इस निर्णय पर सबकी निगाहें टिकी हुई है.

25 सितम्बर को सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में वाद दायर किया गया था. सुनवाई के बाद 30 सितम्बर को वाद खारिज हो गया. श्री कृष्ण विराजमान मामले में 12 अक्टूबर को जिला जज की अदालत में अपील दायर की गई. जिसके बाद 16 अक्टूबर को जिला जज की अदालत ने इसे स्वीकार कर चारों प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया था.  इस मामले में गुरुवार को 5 और भक्तों ने पक्षकारों ने वाद दाखिल किया . पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष वीरेंद्र अग्रवाल, योगेश आवा, अजय गोयल, केश्वाचार्य और वीरेंद्र पोइया ने पक्षकार बनने के लिए वाद दाखिल किया है. इससे पूर्व अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा, माथुर चतुर्वेद परिषद और हिन्दू महासभा पक्षकार बनने के लिए वाद दाखिल कर चुकी है.
 

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वाद में कोर्ट ने 4 संस्थाओं को नोटिस दिया- 

1- श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान
2-  श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट 
3- शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी
4- उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल बोर्ड  

 

अब तक दायर किये जा चुके हैं पांच वाद

मथुरा श्री कृष्ण जन्म भूमि मामले में  जानकारी देते हुए वादी वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु जैन ने बताया कि अब तक पांच वाद दायर किये जा चुके हैं. कटरा केशवदेव मन्दिर की 13.37 एकड़ भूमि के एक भाग में बनी शाही मस्जिद ईदगाह को हटाने के संबंध में सिविल जज सीनियर डिवीजन नेहा बनौदिया की अदालत में दो वाद एडमिट कर लिए गए हैं. इस प्रकार अब तक कुल पांच वाद दायर हो चुके हैं.

लखनऊ निवासी अधिवक्ता शैलेन्द्र सिंह,  अंकित तिवारी, काव्या सिंह, वरूण कुमार मिश्रा और सूर्यकांत सिंह दीपक द्वारा दायर किये गए नये वाद में लगभग उन्हीं मुद्दों को उठाया गया है जिनके सम्बन्ध में अन्य वाद दायर किये गए हैं. इस नये तथा शाही मस्जिद ईदगाह के बीच 1967 में हुए समझौते को इस आधार पर रद्द करने की मांग की गई है, कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान को यह समझौता करने का किसी रूप से अधिकार न था. इन अधिवक्ताओं ने अपने को श्रीकृष्ण का भक्त होने का दावा किया है और दावा श्रीकृष्ण विराजमान बजरिये शैलेन्द्र सिंह एवं चार अन्य चार अधिवक्ता के रूप में दायर किया गया है. 

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इसी अदालत में चल रहे श्रीकृष्ण विराजमान बजरिये हिन्दू आर्मी के मुखिया मनीष यादव द्वारा दायर वाद को स्वीकार कर लिया गया है. यह वाद मनीष यादव के अधिवक्ता शैलेन्द्र सिह के माध्यम से कटरा केशवदेव मन्दिर की 13.37 एकड़ भूमि के एक भाग में बनी शाही मस्जिद ईदगाह को हटाने के संबंध में 15 दिसम्बर 2020 को दायर किया गया था. जिसे गुरुवार को एडमिट कर लिया गया है. दोनों ही वाद की सुनवाई की अगली तारीख 10 मार्च निर्धारित की गयी है.

 

जब कोर्ट ने कहा- 1 महीने के बाद नहीं की जाएगी कोई बात स्वीकार

सिविल जज सीनियर डिवीजन नेहा बनौदिया ने दो महत्वपूर्ण आदेश भी जारी किये हैं.  जिसमें उन्होंने नवंबर माह में पक्षकार बनने के लिए लगाई गई 1/10 के  प्रार्थना पत्रों को अस्वीकार कर दिया था. और पहले आदेश में कहा गया है कि अब इस मामले में कोई नया वाद स्वीकार नहीं किया जाएगा. जब कि दूसरे आदेश में कहा गया है कि जो लोग इन वादों में 1/10 सीपीसी के अन्तर्गत पार्टी बनना चाहते हैं वे एक महीने के अन्दर बन सकते हैं. इसके बाद पार्टी बनने पर रोक लगा दी गई है. डीए जी सी संजय गौड़ का कहना है कि जन्मभूमि मामले में अब तक कुल 6 वाद दायर किये जा चुके है. उन्होंने कहा कि न्यायालय द्वारा यदि कोई पक्षकार बनना चाहता है तो एक माह के अंदर बन सकता है. 

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भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशवदेव खेवट संख्या 255 मौजा मथुरा जिले के मथुरा बाजार सिटी में विराजमान भगवान श्रीकृष्ण की नई गोपी लखनऊ निवासी 51 वर्षीय रंजना अग्निहोत्री पुत्री स्व0 राजेन्द्र कांत अग्निहोत्री एवं सात अन्य द्वारा उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड लखनऊ के चेयरमैन, शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी आफ मैनेजमेन्ट ट्रस्ट के डीग दरवाजा मथुरा निवासी सचिव, श्रीकृष्ण जन्मभूमि मैनेजिंग ट्रस्टी डीग गेट चौराहे के पास जन्मभूमि मन्दिर मथुरा एवं सचिव श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान डीग गेट मथुरा के खिलाफ दायर किया गया है.

वाद में श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर बने पहले मन्दिर से अंतिम मंदिर के बनने का इतिहास

वाद में श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर बने पहले मन्दिर से अंतिम मंदिर के बनने का इतिहास बताया गया है. और कहा गया है कि सन 1618 में राजा वीर सिंह देव बुंदेला ने 33 लाख से श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर प्रथम मन्दिर बनवाया था. वाद में यह भी कहा गया है कि औरंगजेब द्वारा मन्दिर को तोड़कर जन्मस्थान की भूमि पर शाही मस्जिद ईदगाह का निर्माण कराया गया था.

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन एवं विष्णु शंकर जैन द्वारा रंजना अग्निहोत्री एवं सात अन्य की ओर से दायर वाद में कहा गया है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ के नाम से एक सोसाइटी 1 मई 1958 में बनाई गई थी. 1977 में उसका नाम श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान कर दिया गया था. इसके बाद 12 अक्टूबर 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ एवं शाही मस्जिद ईदगाह के प्रतिनिधियों में एक समझौता किया गया था. जो भगवान केशवदेव एवं उनके भक्तों के हितों एवं भावना के विपरीत था. 

 

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17 अक्टूबर 1968 को पेश किया गया था समझौता
 
17 अक्टूबर 1968 को यह समझौता पेश किया गया था, तथा 22 नवम्बर 1968 को सब रजिस्ट्रार मथुरा के यहां इसे रजिस्टर किया गया था. समझौते के आधार पर सिविल सूट 43 सन 1967 को सिविल जज मथुरा की अदालत से कानूनी जामा मिल गया था. इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक वाद में 1997 में कहा था कि कटरा केशव देव की सम्पूर्ण सम्पत्ति ट्रस्ट की है और श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान को उसका मालिकाना हक नहीं दिया जा सकता.

इसलिए उसके द्वारा किया गया उक्त समझौता जहां अवैध है वहीं कटरा केशव देव की सम्पत्ति पर शाही मस्जिद ईदगाह का किसी प्रकार अधिकार नहीं हो सकता. इसलिए उस पर किया गया निर्माण भी अवैध है. इसी आधार पर शाही मस्जिद ईदगाह को हटाने की बात कही गई है. श्रीकृष्ण विराजमान वाद मामले में अब 6 सितंबर की तारीख नियत की गयी है. ऐसे में अब देखना यह है कि अदालत इस पर कब और क्या निर्णय सुनाती है.

वहीं मामले की जानकारी देते हुए श्री कृष्ण जन्मस्थान के विशेष कार्यकारी अधिकारी विजय बहादुर ने बताया कि 13.37 एकड़ जमीन जो राजा पटनी मल के वंशज राय कृष्णदास ने दी थी जिसके बाद श्री कृष्ण जन्मस्थान ने कुछ जमीन को और खरीदा जो अब 15 एकड़ है. जिसमें से 3.1 एकड़ लगभग शाही ईदगाह मस्जिद के पास है. बाकी जमीन श्री कृष्ण जन्मस्थान के पास है.
 

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