पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पूरे देश में सिख दंगे हुए थे. उत्तर प्रदेश का कानपुर भी इनसे अछूता नहीं रहा था. लेकिन सिख दंगों के 36 साल बाद यूपी एसआईटी की टीम ने सिखों की हत्या में शामिल 54 लोगों की पहचान कर ली है. बताया जा रहा है कि इनके खिलाफ एसआईटी ने सबूत भी इकट्ठा कर लिए हैं. जल्द ही इनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जाएगी. खास बात ये है की इनमें से कई हत्यारों की उम्र 70 से 80 साल है, तो कई बेड पर बीमार पड़े हैं.
यूपी एसआईटी टीम के डिप्टी एसपी सुरेंद्र यादव ने बताया कि सवा दो साल की जांच के बाद सिखों की हत्या में शामिल 67 आरोपियों की पहचान कर ली गई है. इनमें से 13 की मौत हो गई है. 54 जिंदा हैं, इन पर कार्रवाई होना बाकी है.
36 साल बाद एसआईटी ने जुटाए सबूत
कानपुर के किदवई नगर इलाके में 84 के दंगों के दौरान हत्यारों ने सिख शार्दुल सिंह और प्रतिपाल सिंह की बेरहमी से हत्या कर दी थी. यहां दो महीने पहले ही यूपी एसआईटी ने फॉरेंसिक टीम के साथ जांच की थी. यहां एसआईटी को खून के धब्बे मिले थे. इन कमरों को सिख दंगों के बाद कभी नहीं खोला गया था. ऐसे में एसआईटी को काफी सबूत मिले. गुरद्वारे के सदस्य विक्की छाबड़ा का कहना है कि उन्हें विश्वास है कि सिखों को 84 के दंगों का अब न्याय मिलेगा.
127 सिखों की हुई मौत
सिख दंगों के दौरान कानपुर में 127 सिखों की मौत हुई थी. यूपी की योगी सरकार ने पीड़ित परिवारों की मांग पर 2019 में एसआईटी गठित की थी. डिप्टी एसपी एसआईटी सुरेंद्र यादव ने बताया कि कानपुर में 40 केस दर्ज थे. इनमें से 29 केस उन्हें मिले. 20 केसों में जांच चल रही है. इनमें से 11 केसों में पर्याप्त सबूत एसआईटी को मिले हैं. इनमें जल्द चार्जशीट दाखिल होगी.
इसी तरह कानपुर के दबौली इलाके में सरदार तेज सिंह और सत्यवीर सिंह की हत्या की गई थी. इसके बाद उनके परिवार के लोग मकान दूसरे को देकर दिल्ली चले गए थे. डिप्टी एसपी ने बताया कि तेज सिंह के बेटे चरनजीत सिंह से एसआईटी ने पंजाब में मिलकर उसके दबौली वाले घटना स्थल पर बुधवार को फॉरेंसिक टीम के साथ जांच की. इस मकान में अब कोई और रह रहा है. लेकिन घटना के बाद फर्श वैसा ही है. ऐसे में सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा है. रिपोर्ट आना बाकी है.