देश में शौचालयों की कमी को लेकर जारी चर्चा के बीच उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में छह नवविवाहिताओं ने घर में शौचालय नहीं होने के विरोध में अपना ससुराल छोड़ दिया.
सूत्रों के मुताबिक हिन्दू और मुस्लिम समुदायों से ताल्लुक रखने वाली इन नववधुओं ने खेसिया गांव में अपने ससुराल में शौचालय नहीं होने के खिलाफ विद्रोह कर दिया और दो महीने पहले पति का घर छोड़कर मायके आ गई हैं. वे इस बात पर अड़ी हैं कि जब तक शौचालय नहीं बनेगा, वे ससुराल नहीं जाएंगी.
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता आशा परवीन के मुताबिक बगावत करने वाली इन महिलाओं में नीलम, कलावती, सकीना, निरंजन, गुड़िया और सीता शामिल हैं.
देश के एक ही गांव में ऐसे सामूहिक साहस की मिसाल देखकर ‘सुलभ इंटरनेशनल’ के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक ने इन सभी छह महिलाओं की ससुराल में शौचालय बनवाने की घोषणा की है.
पाठक ने इन विवाहिताओं के विद्रोह को बहुत साहसपूर्ण तथा असाधारण करार देते हुए कहा ‘इस तरह की घटनाओं की बढ़ती संख्या स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि घर में शौचालयों की जरूरत को लेकर महिलाओं की सोच में बदलाव आ रहा है. अब हर कोई शौचालयों के महत्व को समझ रहा है.’ उन्होंने कहा कि सुलभ इंटरनेशनल इन महिलाओं को उनके साहस के लिये सम्मानित करेगा. इससे पहले महराजगंज जिले की प्रियंका भारती को अपने ससुराल में शौचालय नहीं होने के खिलाफ विद्रोह करने पर सम्मानित किया गया था.
पाठक ने कहा कि खासकर ग्रामीण इलाकों में घर में शौचालय नहीं होने से महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. उन्हें शौच के लिये जाने के वास्ते अंधेरा होने का इंतजार करना पड़ता है. यह विडम्बना ही है कि देश में शौचालयों से ज्यादा मोबाइल फोन हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लालकिले से दिए गए भाषण में शौचालयों के मुद्दे को प्रमुखता से उठाये जाने की सराहना की.
पाठक ने कहा कि देश के इतिहास में पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने स्वाधीनता दिवस पर लालकिले की प्राचीर से दिये गये भाषण में शौचालयों के मुद्दे को उठाया है. मुझे विश्वास है कि अब देश में शौचालयों की भारी कमी दूर होगी और महिलाओं के मान-सम्मान की रक्षा हो सकेगी.