इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (आईएमसी) अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा खां ने भले ही फरवरी में सपा सरकार से अलग होने का ऐलान किया था मगर सरकार ने अब उनसे नाता तोड़ा है. उनकी सुरक्षा हटा ली गई है.
लखनऊ से आदेश आते ही सुरक्षा में लगे छह पुलिस वालों को वापस बुला लिया गया है. सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव की मेहरबानी से मौलाना तौकीर रजा खां को 23 जून 2013 को राज्यमंत्री का दर्ज देकर लालबत्ती दी गई थी. मकसद तो मुस्लिम वोटों को एकजुट करना था, लेकिन लोकसभा चुनाव के पहले ही समाजवादी पार्टी से मौलाना के रिश्ते खराब हो गए. इसके पीछे कई कारण रहे.
सपा ने पूर्व मंत्री शहजिल इस्लाम की पत्नी आयशा इस्लाम को लोकसभा चुनाव का प्रत्याशी बना दिया था. जबकि मौलाना तौकीर किसी और को टिकट दिलाना चाहते थे. मुजफ्फरनगर में हुए दंगों को लेकर भी उनका समाजवादी पार्टी मुखिया से मनमुटाव हो गया था.
चुनाव के ठीक पहले फरवरी में मौलाना तौकीर ने आईएमसी का कार्यकर्ता सम्मेलन बुलाकर सपा से नाता तोडऩे का ऐलान कर दिया था लेकिन लालबत्ती चले जाने के बाद भी उनका रुतबा बरकरार रहा. सुरक्षा के नाम पर गनर के अलावा मौलाना के आवास पर गार्ड तैनात थे. आठ पुलिस कर्मी उनकी सुरक्षा में लगे हुए थे. स्थानीय पुलिस-प्रशासन के अफसरों के पास भी उनकी सुरक्षा को लेकर कोई जवाब नहीं था. यही बताया जाता था कि शासन के उन्हें कोई आदेश नहीं मिला है.
तीन महीने पहले मौलाना की सुरक्षा से दो पुलिसकर्मियों को हटा लिया गया था. दो दिन पहले सुरक्षा मुख्यालय से तौकीर रजा की सुरक्षा हटाने का आदेश आया तो फौरन सभी पुलिसकर्मियों को वापस बुला लिया गया. एसएसपी जे रविंदर गौड़ ने बताया कि शासन के आदेश आने के बाद सुरक्षा हटाई गई है.