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इलाहाबाद में सोनिया को वहीं रुकना पसंद, जहां पैदा हुईं थीं इंदिरा गांधी

सोनिया, राहुल और प्रियंका यानी पूरा गांधी परिवार सोमवार को इलाहाबाद में नन्हीं इंदिरा से नायाब इंदिरा की तस्वीरों की प्रदर्शनी का उद्घाटन करने जा रहा है. इंदिरा की 100वीं जयंती पर लगने वाली ये पहली प्रदर्शनी है. इसके बाद देश भर के 4 और बड़े शहरों में ऐसी ही प्रदर्शनी लगाई जाएगी.

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कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी

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सोनिया, राहुल और प्रियंका यानी पूरा गांधी परिवार सोमवार को इलाहाबाद में नन्हीं इंदिरा से नायाब इंदिरा की तस्वीरों की प्रदर्शनी का उद्घाटन करने जा रहा है. इंदिरा की 100वीं जयंती पर लगने वाली ये पहली प्रदर्शनी है. इसके बाद देश भर के 4 और बड़े शहरों में ऐसी ही प्रदर्शनी लगाई जाएगी.

लेकिन इलाहाबाद है इंदिरा के लिए खास
दरअसल, मोतीलाल नेहरू ने सबसे पहले एक मुस्लिम व्यापारी से इलाहाबाद में बड़ा घर खरीदा और उसे स्वराज भवन का नाम दिया. इसी स्वराज भवन में 19 नवंबर 1917 को प्रियदर्शिनी का जन्म हुआ. बाद में स्वतंत्रता की लड़ाई में स्वराज भवन के दो हिस्से कर दिए गए, एक स्वराज भवन और दूसरा रिहाइश के लिए आनंद भवन. स्वराज भवन का इस्तेमाल आजादी की लड़ाई के लिए होने लगा.

अब सोनिया ले रहीं अंग्रेज जीर्णोद्धार के विशेषज्ञों की मदद
अब आनंद भवन संग्रहालय में तब्दील हो चुका है, लेकिन इलाहाबाद आने पर स्वराज भवन के एक हिस्से में ही रुकना सोनिया को पसंद है. सोनिया ने खुद भी पुरानी इमारतों के नवीनीकरण का कोर्स किया है, इसलिए आनंद भवन और स्वराज भवन के नवीनीकरण के लिए खुद अपने कौशल के साथ अंग्रेज विशेषज्ञों की मदद ली. पूरी कोशिश रही कि पुरानी इमारत में छेड़छाड़ किए बिना इस ऐतिहासिक इमारत का नवीनीकरण हो.

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सोनिया, राहुल और प्रियंका तीनों स्वराज भवन में
इस बार भले ही पूरा गांधी परिवार स्वराज भवन में रुक रहा हो, लेकिन राहुल पहले इलाहाबाद आने पर सर्किट हाउस में रुकते रहे हैं. हालांकि, सूत्र बताते हैं कि सोनिया को इलाहाबाद आने पर स्वराज भवन में ही रुकना पसंद है. शायद गांधी परिवार की इस बहू को अपनी सास का आंगन खास सुहाता है और वो खुद भी इसकी देखरेख आम बहू की तरह खुद करती हैं. यहां आने वाले मेहमानों की सूची से लेकर हर तरह का फैसला बिना सोनिया के यहां नहीं होता. यहां तक कि राहुल प्रियंका की सिफारिश भी स्वराज भवन और आनंद भवन से जुड़े मुद्दे पर सोनिया से गुजरे बगैर परवान नहीं चढ़ती.

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