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ISIS में दक्षिण भारतीय युवाओं की ज्यादा दिलचस्पी: NIA प्रमुख

एनआईए के ब्रांच ऑफिस का शिलान्यास करने पहुंचे गृह मंत्री ने आतंकवाद, उग्रवाद और माओवाद के खिलाफ लड़ाई को अपने आखिरी दौर में बताया है.

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इस्लामिक स्टेट (ISIS) में मे शामिल होने के लिए भाग रहे युवाओं को लेकर एनआईए के डीजी शरद कुमार ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत के युवा आईएसआईएस की विचारधारा से ज्यादा प्रभानित हो रहे हैं. शरद कुमार लखनऊ में एनआईए के नए दफ्तर की नींव रखे जाने के मौके पर बोल रहे थे.

एनआईए के ब्रांच ऑफिस का शिलान्यास करने पहुंचे गृह मंत्री ने आतंकवाद, उग्रवाद और माओवाद के खिलाफ लड़ाई को अपने आखिरी दौर में बताया है. राजनाथ सिंह ने कहा है कि इस्लामिक स्टेट (ISIS) के खिलाफ लड़ाई में विश्व के दूसरे देशों के मुकाबले भारत की स्थिति कहीं बेहतर है. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सरकार को जिस तरह की कामयाबी मिली है उसे देख कर ऐसा लगता है कि आने वाले कुछ सालों में भारत से आतंकवाद को जड़ से खत्म किया जा सकता है.

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'ISIS से लड़ने के लिए काफी हैं भारतीय संस्कार'
आतंकवाद से जुड़े मामलों में तहकीकात करने वाली भारत की सबसे बड़ी जांच एजेंसी एनआईए के अफसरों के सामने गृहमंत्री ने आईएसआईएस का जिक्र भी किया. उन्होंने हाल के समय में आईएसआईएस को दुनिया का सबसे बड़ा खतरा बताया. हालांकि राजनाथ ने यह भी कहा कि भारतीय सभ्यता, मूल्य और संस्कार इससे मुकाबला करने में सबसे कारगर साबित हो रहे हैं. राजनाथ ने भारतीय मुस्लिम परिवारों की उन्माद के खिलाफ मुकाबला करने की संस्कृति को आतंकवाद के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार बताया.

'हिंदुस्तान से ISIS में शामिल होने वालों की संख्या कम'
राजनाथ सिंह ने कहा, 'हम हिंदुस्तानवासियों को सचमुच इस बात का फक्र होना चाहिए कि हिंदुस्तान के मुस्लिम समुदाय के जो परिवार हैं यदि उनके परिवार का कोई बच्चा रेडिकलाइज होता है, आईएसआईएस की आइडियोलॉजी से प्रभावित होता है तो हमारे देश का मुस्लिम परिवार अपने बच्चों को रोकने का काम करता है कि इस प्रकार की गतिविधियों में तुम्हें लिप्त नहीं होना चाहिए. मैं समझता हूं कि हिंदुस्तान की एक जो तहजीब है, हिंदुस्तान के जो जीवन मूल्य हैं, मूल्यों के प्रति जो प्रतिबद्धता है, संस्कृति है उसका ये परिणाम है. दुनिया के कई देश आईएसआईएस के संकट से जूझ रहे हैं बड़ी संख्या में लोग आईएसआईएस में जा रहे हैं मगर हिंदुस्तान में अगर मैं कहूं तो संख्या अधिक नहीं है बहुत नगण्य है.'

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NIA के डीजी ने बताया आंकड़ा
एनआईए के नए दफ्तर की नींव रखे जाने के मौके पर एनआईए के डीजी शरद कुमार भी मौजूद थे. आईएसआईएस पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि सीरिया और इराक जैसे देश पहुंच कर आईएस में शामिल होने वाले युवाओं की तादाद अभी तक 27 से 28 के बीच ही है. इसलिये फिलहाल आईएस को भारत के लिए कोई बड़ा खतरा नहीं माना जा सकता. हालांकि एनआईए के डीजी ने ये भी कहा कि उत्तर भारत के मुकाबले आईएस में रुचि दिखाने वाले युवाओं की तादाद दक्षिण भारत में कहीं ज्यादा है.

शरद कुमार ने कहा, 'जो लोग इंडिया से चले गए हैं सीरिया और इराक, उनमें प्रॉमिनेन्टली साउथ इंडिया के ज्यादा हैं इसलिए ये बात कहीं गई थी. कंपेयर करना मुश्किल है साउथ और

नॉर्थ इंडिया के बीच. यू कान्ट ड्रॉ कम्पैरिजन्स. वो तो फिगर्स की बात है. उसके बेसिस पर कहा गया है. फिगर्स डिस्क्लोज करने से फायदा नहीं है. कोई ज्यादा नहीं हैं. आराउंड 27-28 हैं.'

छह राज्यों में पड़ताल करेगा नया दफ्तर
लखनऊ में एनआईए का नया दफ्तर छह राज्यों से जुड़े मामलों की पड़ताल करेगा. इनमें यूपी के अलावा उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड शामिल हैं. गृह मंत्रालय की ओर से 32.66 करोड़ के बजट से बनाए जा रहे इस दफ्तर में एनआईए के अफसरों के लिए आवासीय परिसर भी होगा और इसके अगले डेढ़ साल में बन कर पूरा हो जाने की उम्मीद है.

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