उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा मिलकर लोकसभा चुनाव में उतरे थे, लेकिन उम्मीद के मुताबिक इस गठबंधन को सीटें नहीं मिलीं. इसके बाद से बसपा अध्यक्ष मायावती सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर लगातार जुबानी हमले कर रही हैं. जबकि अखिलेश यादव से लेकर सपा के तमाम नेता बसपा और मायावती के खिलाफ खामोशी अख्तियार किए हुए हैं. इतना ही नहीं सूबे में सपा के कई कार्यालयों में अब भी अखिलेश के साथ मायावती की फोटो वाले पोस्टर औैर होर्डिंग्स लगे हुए हैं.
लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन ने अपने वोटों को एक दूसरे को ट्रांसफर कराने और कार्यकर्ताओं को एकजुटता का संदेश देने के लिए अखिलेश और मायावती ने हर जतन किए थे. दोनों नेताओं की संयुक्त रैलियों से लेकर सपा-बसपा उम्मीदवारों ने अपने चुनावी कार्यालयों में अखिलेश-मायावती के एक साथ फोटो वाले पोस्टर और होर्डिंग्स भी लगाए थे.
अखिलेश यादव ने आजमगढ़ संसदीय सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे. उन्होंने अपने चुनाव कार्यालय में अपनी फोटो के साथ-साथ मायावती की फोटो का भी इस्तेमाल किया था. अखिलेश यादव की तरह सपा के बाकी उम्मीदवारों ने भी मायावती की फोटो लगाई और बसपा प्रत्याशियों ने मायावती के साथ अखिलेश यादव की फोटो वाले पोस्टर लगाए थे.
लोकसभा चुनाव में नतीजे उम्मीद के मुताबिक नहीं आने के बाद बसपा अध्यक्ष मायावती ने हार का सारा ठीकरा सपा के मूल वोटबैंक यादव और अखिलेश यादव पर फोड़ा था. इतना ही नहीं उन्होंने उत्तर प्रदेश में होने वाले 12 विधानसभा सीटों के उपचुनाव के लिए अकेले लड़ने का एलान भी कर दिया. इसके बाद बसपा के दफ्तर में लगी अखिलेश यादव वाली फोटो हटा दी गई है.
जबकि सपा के कुछ कार्यालयों में मायावती वाले पोस्टर अभी भी बकायदा लगे हुए हैं, जिन्हें हटाया नहीं गया है. अखिलेश यादव के संसदीय सीट आजमगढ़ में बने चुनावी कार्यालय में अभी भी सपा अध्यक्ष के साथ मायावती वाले पोस्टर लगे हुए हैं. हालाकि लखनऊ में सपा के प्रदेश कार्यालय में लगाए गए पोस्टर और होर्डिंग्स को हटा दिया गया है, लेकिन कुछ जिले में अभी लगे हुए हैं.
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