विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) की ओर से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की खातिर पत्थरों को लाने की खबरों के बाद बसपा सुप्रीमो और यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने अखिलेश सरकार को कटघरे में खड़ा किया है.
मायावती ने कहा है कि अगर अयोध्या में कोई भी गैरकानूनी गतिविधि हो रही है तो इसको रोकना सपा सरकार की जिम्मेदारी है. मायावती ने कहा है कि सपा सरकार अपने कर्तव्य को निभाने में असफल रही है. उन्होंने कहा है कि जब वह सत्ता में थी तो उन्होंने ऐसी किसी गतिविधि होने की इजाजत नहीं दी थी.
It is the duty of SP Govt to see to it that nothing is done there #Ayodhya which disregards SC's order: Mayawati,BSP pic.twitter.com/tlUx47DN17
— ANI (@ANI_news) December 23, 2015
क्या है मामला?
दरअसल, छह महीने पहले देशभर से पत्थर इकट्ठा करने का राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया गया था. इसी के तहत जमा किए किए पत्थरों से लदे दो ट्रकों ने रविवार को शहर में प्रवेश किया है. इसी को लेकर एक बार फिर से राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को हवा मिल गई है. हालांकि, राम मंदिर का मुद्दा अभी सुप्रीम कोर्ट में विचारधीन है पत्थर लाने के बाद जिला पुलिस सतर्क हो गई है और हालात पर नजर रख रही है.
अयोध्या विवाद पर अखिलेश की सोशल मीडिया पर नजर
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार को अयोध्या में राम मंदिर पर बढ़ रहे विवाद पर संज्ञान में लेते हुये निर्देश दिए हैं कि अयोध्या में किसी भी तरह के विवाद को हवा न मिले. वहीं, सोशल मीडिया पर भी नजर रखने की हिदायत दी गई है ताकि अयोध्या विवाद को लेकर किसी भी प्रकार के भ्रामक मैसेज लोगों के बीच वायरल न हो पाएं.
सांप्रदायिक सौहार्द को खराब न होने दिया जाए
अखिलेश ने अपने आवास पर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव गृह, डीजीपी, एडीजी, एडीजी इंटेलीजेंस और फैजाबाद के डीएम-एसपी के साथ बैठक की है. उन्होंने सभी अधिकारियों को ये निर्देश दिया कि प्रदेश में किसी भी दशा में कानून-व्यवस्था , अमन-चैन और सांप्रदायिक सौहार्द को खराब न होने दिया जाए. आईजी कानून-व्यवस्था ए सतीश गणेश ने बताया कि सभी अफसरों को क्षेत्रीय अभिसूचना की समग्र रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है.
पत्थर लाने का किसी को अधिकार नहीं
कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह ने कहा कि अयोध्या में कोर्ट का स्टे है. वहां पर पत्थर लाने का मामला संज्ञान में आया है. वहां पर पत्थर रखने और लाने का अधिकार किसी को नहीं है. यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है. यदि कोई भी कानून का उल्लंघन करते हुए ऐसा काम करेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी.