मायावती की पिछली सरकार में हुए एनआरएचएम घोटाले में बतौर आरोपी जेल में बंद पूर्व परिवार कल्याण मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा ने सपा सरकार से हाथ क्या मिलाया उनपर मेहरबानियों की बरसात होने लगी है. पिछले दिनों लखनऊ में संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (पीजीआई) में इलाज के दौरान मिली सहूलियतों से चर्चा में आए कुशवाहा को अब एक और राहत प्रदेश सरकार ने दी है.
एक दूसरे 'लैकफेड' घोटाले में भी फंसे कुशवाहा की जांच कर रहे पुलिस कोआपरेटिव सेल के महानिदेशक सुब्रत त्रिपाठी को रविवार 22 सितंबर की देर शाम सरकार ने अचानक हटा दिया. त्रिपाठी को पुलिस मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया है. कुछ दिन पूर्व ही सुब्रत त्रिपाठी से आर्थिक अनुसंधान शाखा यानी ईओडब्ल्यू का अतिरिक्त चार्ज भी वापस लिया गया था. सुब्रत त्रिपाठी उस वक्त चर्चा में आए थे जब पिछले वर्ष अक्टूबर में उन्होंने करोड़ो रुपए के लैकफेड घोटाले में शिकंजा कसना शुरू किया था.
सहकारिता विभाग के इस घोटाले में कई मंत्री और अफसर जांच की जद में आए थे जिसके बाद पूर्व बीएसपी सरकार के दो मंत्रियों को जेल तक जाना पड़ा था. इसी मामले में बीएसपी सरकार में सहकारिता मंत्री रहते हुए बाबू सिंह कुशवाहा की लैकफेड को निर्माणदायी संस्थान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका रही थी. कुशवाहा के गांव में चार किलोमीटर की सडक़ 'लैकफेड' ने खनिज विभाग के पैसे से महज 24 घंटे में ही बना दी थी.
कुशवाहा पर मेहरबानी दिखा रही सपा सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर आ गई है. प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक कहते हैं कि एक तरफ सरकार अफसरों के काम न करने का रोना रोती है और दूसरी तरफ दागी नेताओं को बचाने के लिए जांच कर रहे अधिकारियों को हटा रही है.
पाठक बताते हैं 'सपा सरकार में अफसरों का मनोबल गिर रहा है और वह ज्यादातर अधिकारी केंद्र में अपना ठिकाना तलाशने में जुट गए हैं. इससे आने वाले दिनों में प्रदेश में कानून व्यवस्था और सरकारी कामकाज की स्थिति बड़ी भयावह हो सकती है.'