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मुलायम सिंह यादव से मोदी तक, ऐसे टोपियां बदलते रहे अमर सिंह

नेताजी यानी मुलायम सिंह यादव के चहेते रहे अमर सिंह अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैन बन गए हैं. उन्हें मोदी की नीतियां भी पंसद आ रही हैं. बीजेपी की सदस्यता लिए बिना भी वो मोदी के लिए काम करना चाहते हैं. जबकि मुलायम के दौर में सपा में उनका जलवा देखते बनता था.

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अमर सिंह की पहले और अब की तस्वीर
अमर सिंह की पहले और अब की तस्वीर

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एक दौर था जब समाजवादी पार्टी (सपा) में अमर सिंह की तूती बोला करती थी और मुलायम सिंह अपने हर फैसले को लेकर उनकी ओर देखा करते थे. लेकिन वक्त बदला तो उनकी सियासत का रंग भी फीका पड़ता चला गया.

सपा की बागडोर अखिलेश यादव के हाथों में आने के बाद अमर सिंह को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. नेताजी के खासमखास रहे ये ठाकुर नेता अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैन बन चुके हैं. इसी का नतीजा है कि उन्हें अब भगवा रंग खूब भाने लगा है. रविवार को अमर सिंह लखनऊ में पीएम मोदी के कार्यक्रम में भगवा लिबास में नजर आए. इसके बाद उनके बीजेपी में जाने को लेकरसियासी अटकलें भी छिड़ गईं.

सपा के पूर्व नेता और राज्यसभा सांसद अमर सिंह को एक दौर में मुलायम सिंह यादव का सबसे करीबी नेता माना जाता था. अमर सिंह की मर्जी के बगैर सपा में पत्ता भी नहीं हिलता था. लोकसभा और विधानसभा में टिकट से लेकर मंत्री बनाने तक का फैसला वे करते थे. नेताजी उन्हें अपना भाई बताते थे.

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अमर सिंह के चलते मुलायम सिंह यादव ने राज बब्बर को पार्टी में साइडलाइन तो आजम खान को पार्टी से बाहर कर दिया था. मुलायम के दौर में वे दिल्ली में पार्टी के लिए लॉबिंग करने और मीडिया से बेहतर तालमेल बिठाने का जिम्मा उठाते थे. यही वजह थी कि वे मुलायम के आंख के तारे थे.

वक्त बदला और सपा की सियासी बागडोर अखिलेश यादव के हाथों में आई तो वही अमर सिंह पार्टी की आंख में खटकने लगे. हालत ये हुई कि अखिलेश ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया.

सपा से निकाले जाने से बाद से अमर सिंह पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का भगवा रंग चढ़ने लगा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियां भी उन्हें पंसद आने लगी. यही वजह है कि वक्त-बेवक्त अमर सिंह मोदी की शान में कसीदे पढ़ने लगे हैं.

अमर सिंह रविवार को लखनऊ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में मौजूद थे. अमर सिंह इस कार्यक्रम में भगवा रंग का कुर्ता पहने पहली लाइन में बैठे थे. मोदी ने अमर सिंह की तरफ इशारा करते हुए कहा कि यहां अमर सिंह बैठे हैं, वे सबकी हिस्ट्री निकाल देंगे.

60 हजार करोड़ रुपये की उद्योग परियोजनाओं के शिलान्यास के दौरान पीएम मोदी ने अमर सिंह का जिक्र करते हुए विपक्षी सरकारों के दौरान पर्दे के पीछे होने वाले कॉरपोरेट लॉबिंग पर निशाना साधा.

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कार्यक्रम के बाद आजतक संवाददाता कुमार अभिषेक ने अमर सिंह से खास बातचीत की. इस बातचीत में उन्होंने कहा, 'मोदीजी हमें अच्छा लगते हैं. मैं बीजेपी की सदस्यता लूं या नहीं, लेकिन मोदी के लिए काम करता रहूंगा.'  अमर सिंह ने कहा कि मोदीजी का चरित्र ऐसा है कि जिसके साथ वे संबंध रखते हैं. मर्द की तरह रखते हैं. वे छोटा-बड़ा नहीं देखते हैं. जबकि देश के तमाम नेता हैं जो पूजीपतियों से चंदा लेते हैं, लेकिन उनके साथ रिश्ते जाहिर नहीं करते हैं. उनकी करनी कथनी में फर्क होता है, लेकिन मोदी की नहीं.

बीजेपी में शामिल होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अमित शाह को अधिकार है. मैं क्षत्रिय हूं छिपकर कोई काम नहीं करता हूं, जिस दिन बीजेपी में शामिल होना होगा प्रेस कॉन्फेंस करके जाऊंगा.

अमर सिंह की यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ भी नजदीकियां बढ़ती दिख रही है. रविवार को अमर सिंह ने एक बार फिर योगी से मुलाकात की. योगी से मुलाकात के बाद राजनीतिक गलियारों में उनके बीजेपी में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई हैं. हाल ही में अमर सिंह ने कहा था कि वह बीजेपी में शामिल होने के खिलाफ नहीं है.

क्यों खास है अमर सिंह राजनीतिक सफर

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अमर सिंह ने अपना राजनीतिक सफर कांग्रेस से शुरू किया. राजीव गांधी के दौर में तत्कालीन मुख्यमंत्री रहे वीर बहादुर से करीबी बने. इसके बाद अमर सिंह साल 1995 में मुलायम के करीब आए और एक साल के भीतर ही दोनों एक दूसरे के बेहद करीब आ गए.

समाजवादी पार्टी में कॉर्पोरेट कल्चर लाने और बॉलीवुड नेताओं की एंट्री का श्रेय अमर सिंह को ही जाता है. सपा में एंट्री के एक साल बाद ही मुलायम ने अमर सिंह को राज्यसभा भेज दिया. इसके बाद 2002, 2008 और 2016 में भी वे राज्यसभा के लिए चुने गए. अमर सिंह खुद को मुलायम का छोटा भाई और सेवक बताते रहे हैं.

2010 में गिरी अमर सिंह पर गाज

नवंबर, 2009 में फिरोजाबाद उपचुनाव में सपा की हार को लेकर यादव परिवार और अमर सिंह में अनबन शुरू हुई. इस चुनाव में मुलायम सिंह ने अपनी बहू डिंपल यादव को टिकट दिया था. हार के बाद अमर सिंह ने कहा था कि सपा को उसका अतिविश्वास ले डूबा.

जनवरी, 2010 में अमर सिंह ने महासचिव समेत पार्टी के तीन पदों से यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया था कि अब वो अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना चाहते हैं. हालांकि उस समय कहा गया कि सिंह पार्टी में अपने घटते हुए कद से नाराज थे. दस दिनों तक इस्तीफे पर चुप रहने वाले मुलायम ने बाद में उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया.

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खुद की पार्टी बनाकर भी नहीं बनी बात

राष्ट्रीय लोकमंच पार्टी का गठन इस्तीफे के बाद सपा प्रमुख मुलायम ने अमर सिंह को पार्टी से बर्खास्त कर दिया. अमर सिंह कुछ दिनों तक राजनीतिक रूप से निष्क्रिय रहे, हालांकि कुछ ही दिनों बाद उन्होंने अपनी पार्टी 'राष्ट्रीय लोक मंच' बनाई. इससे उन्हें कोई लाभ नहीं मिला.

इसके बाद 2014 का लोकसभा चुनाव उन्होंने आरएलडी ज्वाइन कर लिया और फतेहपुर सीकरी संसदीय सीट से मैदान में उतरे लेकिन वो जीत नहीं पाए. इसके बाद मुलायम सिंह से फिर उनकी नजदीकियां बढ़ी. मुलायम सिंह ने रामगोपाल और आजम खां की नाराजगी को नजर अंदाज करते हुए अमर सिंह को 2016 में राज्यसभा भेजा.

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