लोकसभा चुनाव की तैयारियों को चाकचौबंद करने के लिए समाजवादी पार्टी (सपा) जल्द ही अपने उन लोकसभा प्रत्याशियों से किनारा कर सकती है जिनके बारे में पार्टी प्रभारियों ने निगेटिव रिपोर्ट दी है.
23 जुलाई को लखनऊ के सपा मुख्यालय में हुई समीक्षा बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने सभी घोषित 76 लोकसभा प्रत्याशियों के बारे में प्रभारियों से एक महीने के भीतर नए सिरे से फीडबैक मांगा था. 30 अगस्त तक सभी प्रभारियों ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रीय अध्यक्ष को सौंप दी है.
इसके मुताबिक पश्चिमी जिलों की आठ लोकसभा सीटों पर सपा के लोकसभा प्रत्याशियों को जनता के बीच वह जनसमर्थन नहीं मिल रहा है जितना कि अपेक्षा थी. रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि घोषणा के छह महीने बीतने के बाद भी इन प्रत्याशियों ने लोकसभा क्षेत्र में अपना जनसंपर्क नहीं शुरू किया है जिससे इलाके में इनकी कोई पहचान नहीं बन पाई है. ऐसी ही शिकायत पूर्वी जिलों के तीन और बुंदेलखंड के एक प्रत्याशी के बारे में मिली है.
1 सितंबर को सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने अपने दो दिवसीय लखनऊ दौरे के पहले दिन पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से उनके 5, कालीदास मार्ग पर स्थित आवास पर जाकर लोकसभा चुनाव की तैयारियों और संगठन को लेकर चर्चा की. जिन सीटों पर प्रत्याशी की चुनावी तैयारी, बूथ प्रबंधन, नेताओं-कार्यकर्ताओं से तालमेल बेहतर नहीं है, उनकी उम्मीदवारी पर पुनर्विचार किया जा सकता है.
रामगोपाल यादव कहते हैं, 'कुछ उम्मीदवारों द्वारा ढिलाई बरतने की शिकायतें मिली हैं. क्षेत्र में उनकी सक्रियता और चुनाव प्रबंधन पार्टी की अपेक्षा के अनुरूप नहीं है. ऐसे प्रत्याशी खुद चुनाव मैदान से हट जाएं वरना उनकी जगह दूसरे उम्मीदवार घोषित किये जा सकते हैं.'
पिछले छह महीने के दौरान सपा अपने 16 लोकसभा प्रत्याशी बदल चुकी है. पार्टी ने अब तक 76 उम्मीदवारों की घोषणा की है. अमेठी और रायबरेली में सपा प्रत्याशी उतारेगी कि नहीं इस पर संशय बना हुआ है. जबकि रामपुर और श्रावस्ती से भी अभी प्रत्याशी घोषित नहीं हुए हैं.