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...तो ठेके से नहीं, भक्ति भाव की नींव पर बनेगा अयोध्या में राम मंदिर!

श्रीरामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास की बैठक में ये भी तय होगा कि अयोध्या में रामजन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण व्यावसायिक ठेके पर हो या सेवा भाव से.

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श्रीरामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास की होने वाली है बैठक
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास की होने वाली है बैठक

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  • न्यास की बैठक में भूमिपूजन की तिथि होगी तय
  • निर्माता कंपनी के प्रस्ताव पर मुहर की संभावना

श्रीरामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास की बैठक में भूमिपूजन की तिथि तय होने के साथ साथ निर्माता कंपनी के प्रस्ताव पर भी मुहर लगेगी. यानी ये भी तय होगा कि अयोध्या में रामजन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण व्यावसायिक ठेके पर हो या सेवा भाव से. क्योंकि भूमिपूजन से पहले रामलला विराजमान कुछ वर्षों के लिए स्थान परिवर्तन करेंगे. आखिर मंदिर का निर्माण भी तो वहीं से शुरू होना है.

उधर, गोकुल के महावन में भूमिपूजन के लिए तैयार हो चुकी चांदी की शिला का अनावरण और पूजन हो भी चुका है. कार्ष्णि उदासीन आश्रम के प्रमुख गुरुशरणानन्द और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास के सदस्य महंत नृत्यगोपाल दास ने इसका विधिपूर्वक पूजन कर इसे लोकसमर्पित किया. यही रजतशिला मंदिर के भूमिपूजन के समय नींव में स्थापित की जाएगी.

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अयोध्या में बनने वाले भव्य राम मंदिर के निर्माण में योगदान की इच्छा रखने वाली अंतरराष्ट्रीय स्तर की निर्माण कंपनी लार्सन एंड टुब्रो के प्रमुख वीरप्पन ने बयान जारी कर कहा है कि वो ये काम सेवा और भक्ति भाव से करेगी ना कि ठेका लेकर व्यावसायिक नजरिये से, और ये सब आज कल में नहीं बल्कि बरसों पहले ही तय हो गया था एक अलिखित करार से.

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कंपनी और राम मंदिर आंदोलनकारियों के बीच ये सब 1992 के बाद ही तय हो गया था जब विश्व हिंदू परिषद के तत्कालीन अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल ने मुंबई में इस कंपनी से मंदिर निर्माण के लिए बात की थी. तब कंपनी प्रबंधन ने वादा किया था कि वो अयोध्या में जन्मभूमि पर राममंदिर निर्माण में बिना किसी शर्त के सेवा भाव से सहयोग करना चाहते हैं.

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास के सूत्रों के मुताबिक जब भवन निर्माण समिति बनी और मंदिर निर्माण के लिए बड़ी कंपनियों की ओर से प्रस्ताव आए तो इसी दौरान लार्सन एंड टुब्रो ने नब्बे के दशक में विश्व हिंदू परिषद और रामजन्मभूमि ट्रस्ट के साथ हुई अपनी बातचीत का हवाला देते हुए अपने उस वादे और सेवा भाव का जिक्र किया.

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इसके बाद न्यास ने भी तय कर लिया है कि मंदिर का निर्माण व्यावसायिक नींव पर नहीं बल्कि सेवा भाव की नींव पर ही होगा. न्यास की बैठक में अयोध्या में भी न्यास का शिविर कार्यालय खोलने पर मुहर लगेगी ताकि रोज़मर्रा का कामकाज वहीं से निपटाने में आसानी हो.

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