अयोध्या विकास प्राधिकरण जल्द ही राम जन्मभूमि परिसर की 67 एकड़ जमीन का नक्शा पास कर सकता है. हालांकि यह पूरा परिसर 70 एकड़ भूमि का है. लेकिन विकास प्राधिकरण में शनिवार को 67 एकड़ जमीन के लिए मानचित्र जमा किया गया है. योजना यह है कि जैसे-जैसे राम मंदिर के अतिरिक्त कुछ निर्माण होगा, उसका नक्शा उसी समय पास कराया जाएगा. मानचित्र जमा करते समय 65 हजार रुपये, प्रारंभिक शुल्क के रूप में जमा किया गया है. मानचित्र के साथ अग्निशमन, उड्डयन विभाग, नजूल विभाग, वन विभाग समेत 9 विभागों से एनओसी के लिए किए गए आवेदन की कॉपी भी जमा की गई है.
इससे पहले श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता ने आजतक को बताया, 'अब राम मंदिर का निर्माण कराने के लिए तो नक्शा पास कराना ही है. अलग-अलग विभागों से एनओसी लेनी है. इस तरह की प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही हम अपना काम शुरू करने वाले हैं. जो जरूरी चीजें हैं उस पर स्वीकृति लेनी जरूरी है. आज ऑफिस बंद नहीं होगा और अफसर मौजूद रहेंगे तो नक्शा जमा हो जाएगा. तैयारी इसकी शुक्रवार को ही हो गयी थी. जो कागजात और जो शुल्क हैं वो विकास प्राधिकरण को जमा किया जाएगा.'
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने हाल ही में कहा था कि 70 एकड़ भूमि को ध्यान में रखकर राम मंदिर का नक्शा पास कराया जाएगा और यह बाद में तय होगा कि क्या चीजें कहां पर बनेगी. नए नक्शे के हिसाब से काफी चीज़ों में बदलाव होना है, मसलन पुराने राम चबूतरे को तोड़ा जा रहा है.
अयोध्या में मंदिर निर्माण का काम चालू है और मौजूदा समय में राम चबूतरे को तोड़ा जा रहा है क्योंकि यह चबूतरा राम मंदिर मॉडल के बीचो-बीच आ रहा है. सीता रसोई समेत 67 एकड़ में स्थापित कई जर्जर मंदिरों को गिराया गया है. अब मानस भवन के कुछ हिस्सों को गिराने की तैयारी है. इसलिए भवन को गिराया जा रहा है.
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राम चबूतरा ही राम मंदिर आंदोलन का पूरा इतिहास समेटे हुए है. राम चबूतरे के इतिहास की बात करें तो विवादित ढांचे की दीवार के बाहरी हिस्से में 21 गुना 17 फुट का एक चबूतरा था, जिसे राम चबूतरा कहा जाता था. जहां राम की बाल स्वरूप की एक मूर्ति विराजमान थी और यहां लगभग उतने ही लोग पूजन अर्चन के लिए इकट्ठा होते थे जितना अयोध्या के अन्य प्रतिष्ठित मंदिरों में होते थे.
सुप्रीम कोर्ट में मंदिर-मस्जिद विवाद की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने सबसे पहले इसी राम चबूतरे को रामजन्म स्थान माना था. यही नहीं विश्व हिंदू परिषद ने जब शिलान्यास कार्यक्रम किया था तब इसी चबूतरे के बगल राम मंदिर का शिलान्यास किया था.