नवप्रवेशी पुलिसकर्मियों को फायरिंग का अभ्यास कराने के लिये बनाए गये लगभग सभी ‘फायरिंग रेंज’ क्षेत्रों के आबादी से घिर जाने के मद्देनजर उत्तर प्रदेश सरकार सूबे के सभी पुलिस जोन में ‘बैफेल फायरिंग रेंज’ बनवाएगी.
पुलिस महानिरीक्षक (कानून-व्यवस्था) राजकुमार विश्वकर्मा ने बताया कि चुनार को छोड़ दें तो पुलिस रंगरूटों के अभ्यास के लिए बनाए गये सभी फायरिंग रेंज अब आबादी से घिर गये हैं. इससे अभ्यास के दौरान आम नागरिकों को गोली लगने का खतरा बढ़ गया है.
उन्होंने बताया कि इसी वजह से रंगरूटों को गोली चलाने के अभ्यास का मौका नहीं मिल पा रहा था और उनके इस प्रशिक्षण का काम कागजों तक ही सीमित हो रहा था.
पुलिस महानिरीक्षक ने बताया कि इसके मद्देनजर अब प्रदेश के सभी आठ पुलिस जोन में ‘बैफेल फायरिंग रेंज’ बनवाए जाएंगे. ऐसे एक रेंज के निर्माण पर करीब ढाई करोड़ रुपए खर्च होंगे. इसके लिये सभी पुलिस महानिरीक्षकों को जमीन चिन्हित करने को कहा गया है.
विश्वकर्मा ने बताया कि बैफेल फायरिंग रेंज के लिये एक से तीन एकड़ जमीन की जरूरत होती है जबकि सामान्य फायरिंग रेंज के लिये इससे करीब 20 गुना ज्यादा जमीन की आवश्यकता पड़ती है. उन्होंने बताया कि बैफेल फायरिंग रेंज कम जगह में बनने वाला ऐसा रेंज होगा जिसमें फायरिंग के अभ्यास के दौरान उसके बाहर मौजूद किसी भी व्यक्ति को गोली लगने का खतरा नहीं होगा.