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UP की मूर्ति पॉलिटिक्स, फूलन देवी, सम्राट मिहिर भोज के बाद अब कप्तान यादव तक पहुंची

Statue Politics in Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले मूर्ति पॉलिटिक्स चल रही है. इस कड़ी में फूलन देवी, परशुराम, मिहिर भोज के बाद अब कप्तान यादव का नाम जुड़ा है.

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अखिलेश यादव ने कप्तान यादव की मूर्ति का अनावरण किया
अखिलेश यादव ने कप्तान यादव की मूर्ति का अनावरण किया
स्टोरी हाइलाइट्स
  • UP में चुनाव से पहले मूर्ति पॉलिटिक्स जारी
  • अखिलेश यादव ने कप्तान यादव की मूर्ति का अनावरण किया

उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव 2022 से पहले मूर्ति पॉलिटिक्स जोरों पर है. अभी सम्राट मिहिर भोज पर विवाद थमा नहीं था कि एक नई मूर्ति का अनावरण हुआ है. यह मूर्ति है कप्तान यादव की जो कि समाजवादी पार्टी के बड़े नेता रहे हैं.

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समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसका अनावरण किया. हालांकि, इस मूर्ति पर उस तरह का कोई विवाद नहीं है जैसा सम्राट मिहिर भोज या फिर फूलन देवी की प्रतिमा लगाने की बात पर हुआ था.

कप्तान यादव कन्नौज में समाजवादी पार्टी के बड़े नेता रहे हैं. 90 के दशक में राम लहर में भी समाजवादी पार्टी की सीट और सम्मान बचाने वाले नेता कप्तान यादव की मूर्ति का अनावरण कन्नौज में पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने किया है.

सम्राट मिहिर भोज पर जारी है घमासान

उत्तर प्रदेश में अभी सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति को लेकर भी सियासत जारी है, जिनकी भव्य मूर्ति का अनावरण करने पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ग्रेटर नोएडा आए. लेकिन मिहिर भोज की मूर्ति उनके गुर्जर होने बनाम क्षत्रिय होने के विवाद में गुर्जर-क्षत्रिय की राजनीति में फंस गई. 

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फूलन देवी की मूर्ति लगाने की मांग पर हुआ था विवाद

सम्राट मिहिर भोज से पहले यूपी में फूलन देवी की मूर्ति भी लगाने की कोशिश हुई थी. फूलन देवी की मूर्ति निषाद समाज के लोग लगाना चाहते थे लेकिन प्रशासन की तरफ से इसपर मंजूरी नहीं दी गई थी. विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) जो कि बिहार में एनडीए सरकार का हिस्सा है वह  यूपी में राजनीति चमकाने के लिए फूलन देवी की मूर्तियां लगाना चाहती थी, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया.

इससे पहले ब्राह्मण वोट साधने के लिए परशुराम की 100 फीट से ज्यादा ऊंची मूर्ति लगाने का वादा समाजवादी पार्टी और बीएसपी दोनों कर चुकी हैं.

उत्तर प्रदेश में मायावती अपने शासनकाल में पूरे राज्य के भीतर मूर्तियां लगाने वाली सियासत पहले ही कर चुकी हैं. अब उनकी मूर्ति राजनीति का अलग स्टैंड है.

मायावती ने हाल ही में की गई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि मूर्ति लगाकार वे दिग्गजों का सम्मान पहले ही कर चुकी हैं, अब उनकी सरकार बने पर जोर मूर्तियां लगाने पर नहीं बल्कि विकास कार्यों पर होगा. बता दें कि प्रदेश में विभिन्न बड़ी-बड़ी मूर्तियां लगाने को लेकर उनपर हमेशा निशाना साधा जाता रहा है.

भावनाओं को जगाती हैं मूर्तियां

जानकार कहते हैं कि मूर्तियों की राजनीति के जरिए राजनीतिक दल विशेष जाति-क्षेत्र-समुदाय की भावनाओं को जगाने का काम करती हैं और इसका असर भी होता है. जाति-धर्म विशेष से संबंधित मूर्ति लगाकर उस वोटबैंक से सीधा जुड़ाव पैदा किया जाता है.

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